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एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार [[प्रयाग]] का एक नाम इलाबास भी था जो [[वैवस्वत मनु|मनु]] की पुत्री [[इला]] के नाम पर था। प्रयाग के निकट भुसी या प्रतिष्ठानपुर में [[चन्द्रवंश|चन्द्रवंशी]] राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा एल हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को इलाबास की संज्ञा दी जिसका रूपांतर [[अकबर]] के समय में इलाहाबाद हो गया।
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==पर्यटन स्थल==
|विवरण=[[इलाहाबाद]] शहर, दक्षिणी [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[उत्तर भारत|उत्तरी भारत]] में स्थित है। इलाहाबाद [[गंगा नदी|गंगा]] नदी के किनारे बसा हुआ है।
पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहां संगम होता है।
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=[[इलाहाबाद ज़िला]]
|निर्माता=[[अकबर]]
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|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=सन 1583 ई.
|भौगोलिक स्थिति=उत्तर- 25.45°, पूर्व- 81.85°
|मार्ग स्थिति=राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 27 से इलाहाबाद पहुँचा जा सकता है।
|प्रसिद्धि=
|कब जाएँ=[[अक्टूबर]] से [[मार्च]]
|यातायात=ऑटो रिक्शा, बस, टैम्पो, साइकिल रिक्शा
|हवाई अड्डा=इलाहाबाद विमानक्षेत्र, वाराणसी हवाई अड्डा
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|क्या देखें=[[संगम]], [[इलाहाबाद क़िला]], [[आनंद भवन]][[इलाहाबाद संग्रहालय]]  
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|क्या ख़रीदें=
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'''इलाहाबाद''' [[भारत]] के सर्वाधिक प्राचीन नगरों में से एक है। प्राचीन समय में यह नगर '[[प्रयाग]]' नाम से प्रसिद्ध था, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक व्याप्त थी। एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार प्रयाग का एक नाम 'इलाबास' भी था, जो [[वैवस्वत मनु|मनु]] की पुत्री [[इला]] के नाम पर था। प्रयाग के निकट 'भुसी' या '[[प्रतिष्ठानपुर]]' में [[चन्द्रवंश|चन्द्रवंशी]] राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और [[बुध देवता|बुध]] का पुत्र [[पुरुरवा]] हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को 'इलाबास' की संज्ञा दी, जिसका रूपांतर [[मुग़ल]] बादशाह [[अकबर]] के समय में '[[इलाहाबाद]]' हो गया।
==मुख्य पर्यटन स्थल==
पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख [[भारत]] के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। [[वेद]], [[पुराण]], [[रामायण]] और [[महाभारत]] में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। [[गंगा]], [[यमुना]] और [[सरस्वती नदी|सरस्वती]] नदियों का यहां संगम होता है।
   
   
====संगम====
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*यह तीन पवित्र नदियों ([[गंगा नदी|गंगा]], [[यमुना नदी|यमुना]] और [[सरस्वती नदी|सरस्वती]]) के मिलन का स्थान है।
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*यहाँ वर्ष भर लाखों श्रद्धालु आते है और संगम में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझते हैं।
*यहाँ वर्ष भर लाखों श्रद्धालु आते है और संगम में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझते हैं।
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====इलाहाबाद क़िला====
====इलाहाबाद क़िला====
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*गंगा-यमुना के पवित्र [[संगम]] के किनारे स्थित इस भव्य क़िले का निर्माण बादशाह [[अकबर]] ने 1583 ई. में करवाया था।
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*आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित ''पातालपुरी मंदिर'' एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।
*आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित ''पातालपुरी मंदिर'' एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।


====अशोक स्‍तम्‍भ====
====अशोक स्‍तम्‍भ====
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*इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह [[स्तम्भ]] 232 ई.पू. के समय का है।
*इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह स्तम्भ 232 ई.पू. के समय का है।
*200 ई. में [[समुद्रगुप्त]] इसे कौशाम्बी से [[प्रयाग]] लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।  
*200 ई. में [[समुद्रगुप्त]] इसे कौशाम्बी से [[प्रयाग]] लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।  
*[[1800]] ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और [[1838]] में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।<ref>{{cite web |url=http://www.srijangatha.com/Itihaas-2Apr_2k10 |title=तीर्थराज प्रयाग: इतिहास के आईने में |accessmonthday=[[27 दिसंबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=सृजनगाथा |language=हिन्दी }}</ref>  
*1800 ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और 1838 में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।<ref>{{cite web |url=http://www.srijangatha.com/Itihaas-2Apr_2k10 |title=तीर्थराज प्रयाग: इतिहास के आइने में |accessmonthday=[[27 दिसंबर]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=सृजनगाथा |language=[[हिन्दी]] }}</ref>  


====स्वराज भवन====
====स्वराज भवन====
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*इस ऐतिहासिक इमारत को [[मोतीलाल नेहरू]] ने बनवाया था। [[1930]] में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया और इसका नाम भी ‘आनंद भवन’ रखा।
*इस ऐतिहासिक इमारत को [[मोतीलाल नेहरू]] ने बनवाया था। [[1930]] में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया और इसका नाम भी ‘आनंद भवन’ रखा।
*इसी स्वराज भवन मे आज़ादी की लड़ाई के दौरन यहाँ के तहखाने मे बने एक कमरे मे स्वतंत्रता संग्रामियों की मीटिंग होती थी।
*इसी स्वराज भवन में आज़ादी की लड़ाई के दौरन यहाँ के तहखाने में बने एक कमरे में स्वतंत्रता संग्रामियों की मीटिंग होती थी।
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====आनंद भवन====
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*आनंद भवन और उसके बराबर में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है।
*आनंद भवन और उसके बराबर में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है।
*एक जमाने में आनंद भवन भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेहरू परिवार का निवास स्थान था।
*एक जमाने में आनंद भवन भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेहरू परिवार का निवास स्थान था।
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*इलाहाबाद संग्रहालय चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है।
*इलाहाबाद संग्रहालय चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है।
*इलाहाबाद संग्रहालय में [[गुप्त साम्राज्य]] के समय की टेराकोटा एवं वास्तुकला की चीजें प्रदर्शीत हैं।
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====पत्थर गिरजाघर====
====पत्थर गिरजाघर====
*पत्थर गिरजाघर [[1870]] ई. में सर विलियम एम्र्सन ने इसका निर्माण गोथिक शैली में करवाया था।
*पत्थर गिरजाघर [[1870]] ई. में सर विलियम एम्र्सन ने इसका निर्माण [[गोथिक शैली]] में करवाया था।
*पत्थर गिरजाघर भी शहर की एक देखने योग्य ऐतिहासिक इमारत है।
*पत्थर गिरजाघर भी शहर की एक देखने योग्य ऐतिहासिक इमारत है।




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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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14:09, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

इलाहाबाद इलाहाबाद पर्यटन इलाहाबाद ज़िला
इलाहाबाद पर्यटन
विवरण इलाहाबाद शहर, दक्षिणी उत्तर प्रदेश राज्य के उत्तरी भारत में स्थित है। इलाहाबाद गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला इलाहाबाद ज़िला
निर्माता अकबर
स्थापना सन 1583 ई.
भौगोलिक स्थिति उत्तर- 25.45°, पूर्व- 81.85°
मार्ग स्थिति राष्ट्रीय राजमार्ग 2 और 27 से इलाहाबाद पहुँचा जा सकता है।
कब जाएँ अक्टूबर से मार्च
कैसे पहुँचें विमान, रेल, बस, टैक्सी
हवाई अड्डा इलाहाबाद विमानक्षेत्र, वाराणसी हवाई अड्डा
रेलवे स्टेशन प्रयाग रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद सिटी रेलवे स्टेशन, दारागंज रेलवे स्टेशन, इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन, नैनी जंक्शन रेलवे स्टेशन, सूबेदारगंज रेलवे स्टेशन, बमरौली रेलवे स्टेशन
बस अड्डा लीडर रोड एवं सिविल लाइंस से बसें उपलब्ध
यातायात ऑटो रिक्शा, बस, टैम्पो, साइकिल रिक्शा
क्या देखें संगम, इलाहाबाद क़िला, आनंद भवन, इलाहाबाद संग्रहालय
कहाँ ठहरें होटल, धर्मशाला, अतिथि ग्रह
गूगल मानचित्र, इलाहाबाद विमानक्षेत्र
अद्यतन‎

इलाहाबाद भारत के सर्वाधिक प्राचीन नगरों में से एक है। प्राचीन समय में यह नगर 'प्रयाग' नाम से प्रसिद्ध था, जिसकी ख्याति दूर-दूर तक व्याप्त थी। एक प्राचीन किंवदन्ती के अनुसार प्रयाग का एक नाम 'इलाबास' भी था, जो मनु की पुत्री इला के नाम पर था। प्रयाग के निकट 'भुसी' या 'प्रतिष्ठानपुर' में चन्द्रवंशी राजाओं की राजधानी थी। इसका पहला राजा इला और बुध का पुत्र पुरुरवा हुआ। उसी ने अपनी राजधानी को 'इलाबास' की संज्ञा दी, जिसका रूपांतर मुग़ल बादशाह अकबर के समय में 'इलाहाबाद' हो गया।

मुख्य पर्यटन स्थल

पर्यटकों के लिये यहाँ ब्रिटिश काल का एक सरकारी बंगला, आंग्ल व रोमन कैथॅलिक गिरजाघर और जामी मस्जिद भी हैं। उत्तर प्रदेश के इस ऐतिहासिक शहर का प्रशासनिक, शैक्षिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक दृष्टि से अग्रणी स्थान है। इस शहर का उल्लेख भारत के धार्मिक ग्रन्थों में भी मिलता है। वेद, पुराण, रामायण और महाभारत में इस स्थान को प्रयाग कहा गया है। गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का यहां संगम होता है।

संगम

  • यह तीन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना और सरस्वती) के मिलन का स्थान है।
  • यहाँ वर्ष भर लाखों श्रद्धालु आते है और संगम में डुबकी लगाकर अपने आपको धन्य समझते हैं।

इलाहाबाद क़िला

  • गंगा-यमुना के पवित्र संगम के किनारे स्थित इस भव्य क़िले का निर्माण बादशाह अकबर ने 1583 ई. में करवाया था।
  • आज यह क़िला सशस्त्र सेना के अधीन है तथा पर्यटकों को इसमें स्थित पातालपुरी मंदिर एवं अक्षय वट-वृक्ष तक जाने की अनुमति है।

अशोक स्‍तम्‍भ

  • इलाहाबाद क़िले के मुख्य द्वार पर स्थित 10.6 मीतर की ऊँचाई का यह स्तम्भ 232 ई.पू. के समय का है।
  • 200 ई. में समुद्रगुप्त इसे कौशाम्बी से प्रयाग लाया और उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग-प्रशस्ति इस पर ख़ुदवाया गया।
  • 1800 ई. में किले की प्राचीर सीधी बनाने हेतु इस स्तम्भ को गिरा दिया गया और 1838 में अंग्रेज़ों ने इसे पुनः खड़ा किया।[1]

स्वराज भवन

  • इस ऐतिहासिक इमारत को मोतीलाल नेहरू ने बनवाया था। 1930 में उन्होंने इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया था और एक नया भवन बनवाया और इसका नाम भी ‘आनंद भवन’ रखा।
  • इसी स्वराज भवन में आज़ादी की लड़ाई के दौरन यहाँ के तहखाने में बने एक कमरे में स्वतंत्रता संग्रामियों की मीटिंग होती थी।
  • इस भवन में मोती लाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, कमला नेहरू और जवाहर लाल नेहरू के कमरे और उनका ऑफिस वगैरा देखने को मिलता है।[2]

आनंद भवन

  • आनंद भवन और उसके बराबर में स्थित स्वराज भवन आज ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विख्यात है।
  • एक जमाने में आनंद भवन भारतीय राजनीति में अहम स्थान रखने वाले नेहरू परिवार का निवास स्थान था।

हनुमान मंदिर

  • संगम के निकट स्थित यह मंदिर प्रसिद्ध है।
  • हनुमान मंदिर में भगवान हनुमान की विशाल मूर्ति लेटे हुए दिखाया गया है।

इलाहाबाद संग्रहालय

  • इलाहाबाद संग्रहालय चन्द्र शेखर आज़ाद पार्क के निकट स्थित है।
  • इलाहाबाद संग्रहालय में गुप्त साम्राज्य के समय की टेराकोटा एवं वास्तुकला की चीज़ें प्रदर्शीत हैं।

पत्थर गिरजाघर

  • पत्थर गिरजाघर 1870 ई. में सर विलियम एम्र्सन ने इसका निर्माण गोथिक शैली में करवाया था।
  • पत्थर गिरजाघर भी शहर की एक देखने योग्य ऐतिहासिक इमारत है।


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