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||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|border|100px|चंद्रगुप्त मौर्य]]'चंद्रगुप्त मौर्य' की गणना [[भारत]] के महानतम शासकों में की जाती है। उसकी महानता की सूचक अनेक उपाधियाँ हैं और उसकी महानता कई बातों में अद्वितीय भी है। वह [[भारत]] के प्रथम ‘ऐतिहासिक’ सम्राट के रूप में हमारे सामने आता है, इस अर्थ में कि वह [[भारतीय इतिहास]] का पहला सम्राट है, जिसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित कालक्रम के ठोस आधार पर सिद्ध की जा सकती है। जैनियों का दावा है कि [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने अपने जीवन के अंतिम समय में [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया था और अपने पुत्र को राज्य देकर सन्न्यासी हो गया था। एक जैन मुनि और अनेक अन्य साधुओं के साथ वह [[दक्षिण भारत]] गया, जहाँ उसने जैन धर्म की परंपरागत रीति से धीरे-धीरे अनाहार द्वारा अपने जीवन का अंत कर लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रगुप्त मौर्य]]
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|border|100px|चंद्रगुप्त मौर्य]]'चंद्रगुप्त मौर्य' की गणना [[भारत]] के महानतम शासकों में की जाती है। उसकी महानता की सूचक अनेक उपाधियाँ हैं और उसकी महानता कई बातों में अद्वितीय भी है। वह [[भारत]] के प्रथम ‘ऐतिहासिक’ सम्राट के रूप में हमारे सामने आता है, इस अर्थ में कि वह [[भारतीय इतिहास]] का पहला सम्राट है, जिसकी ऐतिहासिकता प्रमाणित कालक्रम के ठोस आधार पर सिद्ध की जा सकती है। जैनियों का दावा है कि [[चंद्रगुप्त मौर्य]] ने अपने जीवन के अंतिम समय में [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया था और अपने पुत्र को राज्य देकर संन्यासी हो गया था। एक जैन मुनि और अनेक अन्य साधुओं के साथ वह [[दक्षिण भारत]] गया, जहाँ उसने जैन धर्म की परंपरागत रीति से धीरे-धीरे अनाहार द्वारा अपने जीवन का अंत कर लिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रगुप्त मौर्य]]
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