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{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{हिन्दी सामान्य ज्ञान नोट}}
{{हिन्दी सामान्य ज्ञान}}
{{हिन्दी सामान्य ज्ञान}}
{{सामान्य ज्ञान नोट}}
 
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<quiz display=simple>
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{आँख की किरकिरी होने का अर्थ है-
|type="()"}
+अप्रिय लगना
-धोखा देना
-कष्टदायक होना
-बहुत प्रिय होना
{लाल पीला होने का अर्थ है-
|type="()"}
- मुद्राएँ बनाना
- तेवर बदलना
+ क्रोध करना
- रंग बदना
{'नमक का दरोगा' कहानी के लेखक हैं-
|type="()"}
-[[जयशंकर प्रसाद]]
+[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
-गुलाब राय
-[[रामचन्द्र शुक्ल]]
|| [[चित्र:Premchand.jpg|right|150px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
{इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?
|type="()"}
-[[रामकुमार वर्मा|डॉ. रामकुमार वर्मा]]
-सेठ गोविन्ददास
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
+[[जयशंकर प्रसाद]]
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|150px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]
{'प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?
|type="()"}
-केदारनाथ सिंह
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
+नरेन्द्र शर्मा
-[[रामधारी सिंह दिनकर]]
{'निशा -निमंत्रण' के रचनाकार कौन हैं?
|type="()"}
-[[महादेवी वर्मा]]
-श्यामनारायण पाण्डेय
-[[जयशंकर प्रसाद]]
+[[हरिवंश राय बच्चन]]
{[[बिहारी लाल|बिहारी]] किस राजा के दरबारी कवि थे?
|type="()"}
-बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के
+[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के
-[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के
-चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के
||आमेर नरेश मिर्ज़ा [[जयसिंह]] [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगज़ेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। जिस समय दक्षिण में शिवाजी के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में [[अफ़ज़ल ख़ाँ]] एवं [[शाइस्ता ख़ाँ]] की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब [[औरंगज़ेब]] ने मिर्ज़ा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगज़ेब से संधि करने के लिए राजी किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयसिंह]]
{'अतीत के चलचित्र' के रचयिता हैं-
|type="()"}
-[[जयशंकर प्रसाद]]
+[[महादेवी वर्मा]]
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
|| [[चित्र:Mahadevi-verma.png|महादेवी वर्मा|100px|right]] महादेवी वर्मा , [[हिन्दी भाषा]] की प्रख्यात कवयित्री हैं। महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ [[सुमित्रानन्दन पन्त]], [[जयशंकर प्रसाद]] और [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]] के साथ की जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महादेवी वर्मा]]
{[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौन-सा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?
|type="()"}
-दोहावली
-गीतावली
+रामाज्ञा प्रश्नावली
-कवितावली
{'[[रामचरितमानस]]' में प्रधान [[रस]] के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?
|type="()"}
-शांत रस
+भक्ति रस
-वात्सल्य रस
-अद्भुत रस


{सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?
{सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?
पंक्ति 104: पंक्ति 31:
+[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]]
+[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]]
-[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]]
-[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]]
||'''सूरदास''' - हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
||'''सूरदास''' - हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
||'''तुलसीदास''' - गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान् कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]]
||'''मलिक मुहम्मद जायसी''' - मलिक मुहम्मद जायसी (जन्म- 1397 ई. और 1494 ई. के बीच, मृत्यु- 1542 ई.) [[भक्ति काल]] की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा व मलिक वंश के कवि हैं। जायसी अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि, जिनके लिए केवल 'जायसी' शब्द का प्रयोग भी, उनके उपनाम की भाँति, किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मलिक मुहम्मद जायसी]]


{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?
{[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]] के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?
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-[[सूरदास]]
-[[सूरदास]]
-[[जायसी]]
-[[जायसी]]
-[[तुलसी]]
-[[तुलसीदास|तुलसी]]
 


{'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?   
{'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?   
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-[[तुलसीदास]]
-[[तुलसीदास]]
+[[सूरदास]]
+[[सूरदास]]
||हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
||[[हिन्दी साहित्य]] में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी [[वात्सल्य रस]] के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूरदास]]
 
{[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?
|type="()"}
-[[जायसी]]
+[[कबीर]]
-[[तुलसीदास]]
-[[कुम्भनदास]]
 
 
{प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं-
|type="()"}
-नूर मुहम्मद
-[[मलिक मुहम्मद जायसी]]
+मुल्ला दाऊद
-कुतबन
 
{भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है?
|type="()"}
-[[जायसी]]
-[[सूरदास]]
+[[तुलसीदास]]
-रविदास
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|150px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
 
{'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?
|type="()"}
-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
-[[चन्द्रबली पाण्डेय]]
-डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह
+[[रामचन्द्र शुक्ल]]
 
{दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में [[हिन्दी]] के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?
|type="()"}
-[[रहीम]]
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
-[[भूषण]]
-[[सूरदास]]
||हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]]
 
{'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥' उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?
|type="()"}
-[[रहीम]]
-[[तुलसीदास|तुलसी]]
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
-[[भूषण]]
|| हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]]
 
{जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है। उसका नाम है?
|type="()"}
-लोकायतन
-कुरुक्षेत्र
+कामायनी
-चिताम्बरा
 
{शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है?
|type="()"}
-मम्मट
-कुंतक
+भामह
-चिंतामणि
 
{ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[मीराबाई]]
-[[जायसी]]
-[[तुलसीदास]]
+[[कबीर दास]]
 
{चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं-
|type="()"}
-11
-13
+16
-15
 
</quiz>
</quiz>
|}
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{{हिन्दी सामान्य ज्ञान}}
{{हिन्दी सामान्य ज्ञान}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
[[Category:हिन्दी सामान्य ज्ञान]]
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07:32, 6 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

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राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा

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1 सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?

मिश्रबंधु : हिन्दी नवरत्न
पद्मसिंह शर्मा : बिहारी सतसई की भूमिका
कृष्ण बिहारी मिश्र : देव और बिहारी
लाला भगवान दीन : बिहारी और देव

2 इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी : विश्व साहित्यविकल्प
गयाप्रसाद अग्निहोत्री : समालोचना
रामचन्द्र शुक्ल : चिंतामणि
श्यामसुन्दर दास : साहित्यालोचन

3 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?

कबीर, जायसी, सूर
कबीर, जायसी, तुलसी
सूर, तुलसी, जायसी
कबीर, सूर, तुलसी

4 आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?

कबीर
सूरदास
जायसी
तुलसी

5 'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?

बिहारी
केशवदास
तुलसीदास
सूरदास

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