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| {{सूचना बक्सा कलाकार | | {| class="bharattable-green" width="100%" |
| |चित्र=Raj-Ghosla.jpg | | |- |
| |चित्र का नाम=राज खोसला
| | | valign="top"| |
| |पूरा नाम=राज खोसला
| | {| width="100%" |
| |प्रसिद्ध नाम=
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| |अन्य नाम=
| | <quiz display=simple> |
| |जन्म=[[31 मई]], [[1925]]
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| |जन्म भूमि=[[लुधियाना]], [[पंजाब]]
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| |मृत्यु=[[9 जून]], [[1991]]
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| |मृत्यु स्थान=[[मुंबई]]
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| |अभिभावक=
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| |पति/पत्नी=
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| |संतान=मिलान लूथ्रिया, सुनीता खोसला भल्ला
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| |कर्म भूमि=मुम्बई
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| |कर्म-क्षेत्र=निर्माता, निर्देशक | |
| |मुख्य रचनाएँ= | |
| |मुख्य फ़िल्में='मेरा गांव मेरा देश', 'सी.आई.डी'., 'मैं तुलसी तेरे आंगन की', 'दो बदन', 'दो रास्ते', 'वो कौंन थी', 'मेरा साया', 'काला पानी', 'कच्चे धागे' और 'दोस्ताना' | |
| |विषय=[[अंग्रेज़ी]] | |
| |शिक्षा=स्नातक
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| |विद्यालय=एलिफोस्टन कॉलेज
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| |पुरस्कार-उपाधि=
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| |प्रसिद्धि=
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| |विशेष योगदान=
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| |नागरिकता=
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| |संबंधित लेख=
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| |शीर्षक 1=
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| |पाठ 1=
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| |शीर्षक 2=
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| |पाठ 2=
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| |अन्य जानकारी=वर्ष [[1980]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'दोस्ताना' राज खोसला के सिने करियर की अंतिम सुपरहिट फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में [[अमिताभ बच्चन]], [[शत्रुघ्न सिन्हा]] और जीनत अमान ने मुख्य भूमिका निभाई थी
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| |बाहरी कड़ियाँ=
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| |अद्यतन=
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| }}
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| '''राज खोसला''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Raj Khosla'', जन्म: [[31 मई]], [[1925]], [[लुधियाना]], [[पंजाब]]; मृत्यु: [[9 जून]], [[1991]] [[मुम्बई]]) [[1950]] से [[1980]] के दशक तक [[हिंदी]] फ़िल्मों में शीर्ष निर्देशक, निर्माता और पटकथाकारों में से एक थे। उन्हें [[देव आनंद]] जैसे अभिनेताओं की सफ़लता के लिए श्रेय दिया जाता है। [[गुरु दत्त]] के तहत अपना कॅरियर शुरू करने के बाद, वह 'सी.आई.डी' की तरह हिट फ़िल्में बनाते रहे। (1956), 'वो कौन थी'? (1964), 'मेरा साया' (1966), 'दोस्ताना' (1980) और मुख्य फ़िल्म 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' (1978) थी, जिसने उन्हें फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मूवी पुरस्कार जिताया था।
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| ==परिचय==
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| हिंदी सिनेमा के असली “हिचकॉक” राज घोसला का जन्म 31 मई, 1925 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। उनका बचपन से ही गीत संगीत की ओर रूझान था। वह फ़िल्मी दुनिया में पार्श्वगायक बनना चाहते थे। राज खोसला 19 वर्ष की उम्र में पार्श्वगायकी की तमन्ना लिए अपने पिता के साथ मुंबई आ गए। उनके चाचा देवानंद के पिता किशोरी आनंद के गहरे दोस्त थे। राज खोसला की प्रारंभिक शिक्षा अंजुमन इस्लामिक स्कूल में हुई। उन्होंने एलिफोस्टन कॉलेज से [[अंग्रेज़ी]] में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।<ref>{{cite web |url=http://rgurbaxani.blogspot.in/2010/07/blog-post_06.html |title=राज खोसला--रहस्य और रोमांच का चितेरा |accessmonthday=31 मई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format=rgurbaxani.blogspot.in |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
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| ==फ़िली सफ़र की शुरुआत==
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| [[मुंबई]] आने के बाद राज खोसला ने रंजीत स्टूडियों में अपना स्वर परीक्षण कराया और इस कसौटी पर वह खरे भी उतरे लेकिन रंजीत स्टूडियों के मालिक सरदार चंदू लाल ने उन्हें बतौर पार्श्वगायक अपनी फ़िल्म में काम करने का मौका नहीं दिया। उन दिनों रंजीत स्टूडियो की स्थिती ठीक नही थी और सरदार चंदूलाल को नए पार्श्वगायक की अपेक्षा [[मुकेश |मुकेश]] पर ज़्यादा भरोसा था अतः उन्होंने अपनी फ़िल्म में मुकेश को ही पार्श्वगायन करने का मौका देना उचित समझा।<ref>{{cite web |url=http://www.bollywoodirect.com/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%87%E0%A4%AE%E0%A4%BE-%E0%A4%95%E0%A5%87/ |title=राज खोसला- हिंदी सिनेमा के असली “हिचकॉक” |accessmonthday=31 मई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format=www.bollywoodirect.com |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
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| ==निर्देशक के रूप में==
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| राज खोसला [[1948]] के लगभग [[चेतन आनंद]], देवानंद और विजय आनंद पाली हिल में एक साथ रहने लगे थे। जल्द ही राज खोसला भी इसी [[परिवार]] के साथ रहने लगे। उनका चेतन आनंद की पत्नी उमा आनंद से बेहद स्नेह था। वे उन्हें भाभी और आनंद बंधुओं को भाई मानते थे। इस बीच राज खोसला फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्ही दिनों उनके पारिवारिक मित्र और अभिनेता देवानंद ने राज खोसला को अपनी फ़िल्म 'बाजी' में गुरू दत्त के सहायक निर्देशक के तौर पर नियुक्त कर लिया। वर्ष [[1954]] में राज खोसला को स्वतंत्र निर्देशक के तौर पर फ़िल्म 'मिलाप' को निर्देशित करने का मौका मिला। [[देवानंद]] और गीताबाली अभिनीत फ़िल्म 'मिलाप' की सफलता के बाद बतौर निर्देशक राज खोसला फ़िल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गए। वर्ष [[1956]] में राज खोसला ने 'सी.आई.डी' फ़िल्म निर्देशित की। जब फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अपनी सिल्वर जुबली पूरी की तब गुरु दत्त इससे काफ़ी खुश हुए। उन्होंने राज खोसला को एक नई कार भेंट की।
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| सी.आई.डी की सफलता के बाद गुरु दत्त ने राज खोसला को अपनी एक अन्य फ़िल्म के निर्देशन की भी जिम्मेवारी सौंपनी चाही लेकिन राज खोसला ने उन्हें यह कह कर इंकार कर दिया कि एक बड़े पेड़ के नीच भला दूसरा पेड़ कैसे पनप सकता है। इस पर गुरु दत्त ने राज खोसला से कहा कि इस फ़िल्म पर जितना मेरा अधिकार है उतना तुम्हारा भी है।
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| ==फ़िल्म निर्माण के रूप में==
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| वर्ष [[1960]] में राज खोसला ने निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और और 'बंबई का बाबू' का निर्माण किया। फ़िल्म के जरिए राज खोसला ने अभिनेत्री [[सुचित्रा सेन]] को रूपहले पर्दे पर पेश किया। वर्ष [[1964]] में राज खोसला की एक और सुपरहिट फ़िल्म 'वह कौन थी' प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म के निर्माण के समय [[मनोज कुमार]] और अभिनेत्री के रूप में [[निम्मी]] का चयन किया गया था लेकिन राज खोसला ने निम्मी की जगह [[साधना (अभिनेत्री)|साधना]] का चयन किया। रहस्य और रोमांच से भरपूर इस फ़िल्म में साधना की रहस्यमयी मुस्कान के दर्शक दीवाने हो गए। साथ ही फ़िल्म की सफलता के बाद राज खोसला का निर्णय सही साबित हुआ। वर्ष [[1971]] में राज खोसला की एक और सुपरहिट फ़िल्म 'मेरा गांव मेरा देश' प्रदर्शित हुई। इस फ़िल्म में [[विनोद खन्ना]] खलनायक की भूमिका में थे। फ़िल्म की कहानी उन दिनों एक अखबार में छपी कहानी पर आधारित थी। वर्ष [[1980]] में प्रदर्शित फ़िल्म 'दोस्ताना' राज खोसला के सिने करियर की अंतिम सुपरहिट फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में [[अमिताभ बच्चन]], [[शत्रुघ्न सिन्हा]] और जीनत अमान ने मुख्य भूमिका निभाई थी।<ref>{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/bollywood-focus/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A5%87%E0%A4%AC%E0%A5%88%E0%A4%95-%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B0-%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%9A%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%A4%E0%A5%87-%E0%A4%A5%E0%A5%87-%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%96%E0%A5%8B%E0%A4%B8%E0%A4%B2%E0%A4%BE-113060800071_1.htm |title=प्लेबैक सिंगर बनना चाहते थे राज खोसला |accessmonthday=31 मई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format=hindi.webdunia.com |publisher= |language=हिंदी}}</ref>
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| ==मुख्य फ़िल्में==
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| राज घोसला द्वारा निर्देशित फ़िल्म 'मेरा गांव मेरा देश', 'सी.आई.डी'., 'मैं तुलसी तेरे आंगन की', 'दो बदन', 'दो रास्ते', 'वो कौंन थी', 'मेरा साया', 'काला पानी', 'कच्चे धागे' और 'दोस्ताना' जैसी अनगिनत सुपर हिट फ़िल्मों का नाम सामने आ जाता है। उनकी फ़िल्में आज भी वहीं क्रेज, सस्पेंस, थ्रिलर, मनोरंजन की गारंटी रखती हैं।
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| ==पुरस्कार और नामांकन==
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| *राज घोसला का फ़िल्म 'दो रास्ते' (1970) में फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में नामांकन हुआ था।
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| *फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के रूप में फ़िल्म 'मैं तुलसी तेरे आंगन की' (1978) में राज घोसला का नामांकन हुआ और उन्हें इस फ़िल्म के लिये फ़िल्मफेयर सर्वश्रेष्ठ मूवी पुरस्कार मिला
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| ==निधन==
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| अपने दमदार निर्देशन से लगभग चार दशक तक सिनेप्रेमियों का भरपूर मनोरंजन करने वाले महान निर्माता और निर्देशक राज खोसला [[9 जून]], [[1991]] को इस दुनिया से अलविदा कह गए।
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