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'''स्वतंत्रता सेनानी एवं पुनर्वास प्रभाग''' [[भारत]] के [[गृह मंत्रालय]] के अधीन स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना और भूतपूर्व पश्चिमी पाकिस्तान/पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाता है और उन्हें कार्यान्वित करता है तथा [[श्रीलंका|श्रीलंकाई]] और तिब्बती शरणार्थियों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था करता है। यह शत्रु-संपत्ति से संबंधित कार्य तथा निष्क्रांत संपत्तियों से संबंधित अवशिष्टि कार्य को भी देखता है। स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग की दो शाखाएं अर्थात् स्वतंत्रता सेनानी शाखा और पुनर्वास शाखा हैं।
'''स्वतंत्रता सेनानी एवं पुनर्वास प्रभाग''' [[भारत]] के [[गृह मंत्रालय]] के अधीन स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना और भूतपूर्व पश्चिमी पाकिस्तान/पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाता है और उन्हें कार्यान्वित करता है तथा [[श्रीलंका|श्रीलंकाई]] और तिब्बती शरणार्थियों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था करता है। यह शत्रु-संपत्ति से संबंधित कार्य तथा निष्क्रांत संपत्तियों से संबंधित अवशिष्टि कार्य को भी देखता है। स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग की दो शाखाएं अर्थात् स्वतंत्रता सेनानी शाखा और पुनर्वास शाखा हैं।
==स्वतंत्रता सेनानी शाखा==
==स्वतंत्रता सेनानी शाखा==
मानव इतिहास में [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] एक अनोखी मिसाल है। इसमें सभी वर्गों के लोगों ने सभी प्रकार की जाति, पंथ, या धर्म से ऊपर उठकर एवं एकजुट होकर एक उद्देश्य के लिए काम किया। यह एक पुनर्जागरण था। यह लोगों की विभिन्न पीढ़ियों का संघर्ष और बलिदान था जिसके परिणामस्वरुप स्वतंत्रता प्राप्त हुई और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष [[1969]] में उन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पूर्व-अंडमान राजनीतिक कैदी पेंशन योजना शुरू की गई जिन्होंने [[सेल्यूलर जेल]], [[अंडमान-निकोबार द्वीप समूह|अंडमान]] में कैद भोगी थी। बाद में, भारतीय स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगाँठ के अवसर पर वर्ष [[1972]] में स्वतंत्रता सेनानियों की अन्य श्रेणियों को शामिल करके एक नियमित स्वतंत्रता सेनानी योजना शुरू की गई। वर्ष [[1980]] में इस योजना को उदारीकृत किया गया।
मानव इतिहास में [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] एक अनोखी मिसाल है। इसमें सभी वर्गों के लोगों ने सभी प्रकार की जाति, पंथ, या धर्म से ऊपर उठकर एवं एकजुट होकर एक उद्देश्य के लिए काम किया। यह एक पुनर्जागरण था। यह लोगों की विभिन्न पीढ़ियों का संघर्ष और बलिदान था जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्त हुई और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष [[1969]] में उन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पूर्व-अंडमान राजनीतिक कैदी पेंशन योजना शुरू की गई जिन्होंने [[सेल्यूलर जेल]], [[अंडमान-निकोबार द्वीप समूह|अंडमान]] में कैद भोगी थी। बाद में, भारतीय स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगाँठ के अवसर पर वर्ष [[1972]] में स्वतंत्रता सेनानियों की अन्य श्रेणियों को शामिल करके एक नियमित स्वतंत्रता सेनानी योजना शुरू की गई। वर्ष [[1980]] में इस योजना को उदारीकृत किया गया।
==पुनर्वास शाखा==
==पुनर्वास शाखा==
पुनर्वास विषय 70 के दशक में तत्कालीन आपूर्ति एवं पुनर्वास मंत्रालय से गृह मंत्रालय को अंतरित किया गया था। वर्तमान में यह शाखा तिब्बती बस्तियों में दौरों हेतु संरक्षित/सुरक्षित क्षेत्र परमिटों की मंजूरी सहित मुख्यत: [[श्रीलंका]] से आए श्रीलंकाई शरणार्थियों/प्रत्यावासियों; और [[भारत]] में ठहरे हुए तिब्बती शरणार्थियों को राहत और पुनर्वास सहायता संबंधी मामले देखती है। यह शाखा भारत में शत्रु सम्पत्ति के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भी उत्तरदायी है और भारत में शत्रु सम्पत्ति का अभिरक्षक का अधीनस्थ कार्यालय है। यह शाखा प्रत्यावासियों के सहकारी वित्त और विकास बैंक से संबंधित प्रशासनिक मुद्दों का प्रबंधन भी देखती / करती है।
पुनर्वास विषय 70 के दशक में तत्कालीन आपूर्ति एवं पुनर्वास मंत्रालय से गृह मंत्रालय को अंतरित किया गया था। वर्तमान में यह शाखा तिब्बती बस्तियों में दौरों हेतु संरक्षित/सुरक्षित क्षेत्र परमिटों की मंजूरी सहित मुख्यत: [[श्रीलंका]] से आए श्रीलंकाई शरणार्थियों/प्रत्यावासियों; और [[भारत]] में ठहरे हुए तिब्बती शरणार्थियों को राहत और पुनर्वास सहायता संबंधी मामले देखती है। यह शाखा भारत में शत्रु सम्पत्ति के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भी उत्तरदायी है और भारत में शत्रु सम्पत्ति का अभिरक्षक का अधीनस्थ कार्यालय है। यह शाखा प्रत्यावासियों के सहकारी वित्त और विकास बैंक से संबंधित प्रशासनिक मुद्दों का प्रबंधन भी देखती / करती है।
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*[http://mha.nic.in/hindi/FREEDOM_FIGHTERS स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग]  
*[http://mha.nic.in/hindi/FREEDOM_FIGHTERS स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग]  
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
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13:19, 29 अक्टूबर 2017 के समय का अवतरण

स्वतंत्रता सेनानी एवं पुनर्वास प्रभाग भारत के गृह मंत्रालय के अधीन स्वतंत्रता सेनानी पेंशन योजना और भूतपूर्व पश्चिमी पाकिस्तान/पूर्वी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के पुनर्वास के लिए योजनाएं बनाता है और उन्हें कार्यान्वित करता है तथा श्रीलंकाई और तिब्बती शरणार्थियों को राहत प्रदान करने की व्यवस्था करता है। यह शत्रु-संपत्ति से संबंधित कार्य तथा निष्क्रांत संपत्तियों से संबंधित अवशिष्टि कार्य को भी देखता है। स्वतंत्रता सेनानी और पुनर्वास प्रभाग की दो शाखाएं अर्थात् स्वतंत्रता सेनानी शाखा और पुनर्वास शाखा हैं।

स्वतंत्रता सेनानी शाखा

मानव इतिहास में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम एक अनोखी मिसाल है। इसमें सभी वर्गों के लोगों ने सभी प्रकार की जाति, पंथ, या धर्म से ऊपर उठकर एवं एकजुट होकर एक उद्देश्य के लिए काम किया। यह एक पुनर्जागरण था। यह लोगों की विभिन्न पीढ़ियों का संघर्ष और बलिदान था जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्त हुई और राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुआ। वर्ष 1969 में उन स्वतंत्रता सेनानियों के लिए पूर्व-अंडमान राजनीतिक कैदी पेंशन योजना शुरू की गई जिन्होंने सेल्यूलर जेल, अंडमान में कैद भोगी थी। बाद में, भारतीय स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगाँठ के अवसर पर वर्ष 1972 में स्वतंत्रता सेनानियों की अन्य श्रेणियों को शामिल करके एक नियमित स्वतंत्रता सेनानी योजना शुरू की गई। वर्ष 1980 में इस योजना को उदारीकृत किया गया।

पुनर्वास शाखा

पुनर्वास विषय 70 के दशक में तत्कालीन आपूर्ति एवं पुनर्वास मंत्रालय से गृह मंत्रालय को अंतरित किया गया था। वर्तमान में यह शाखा तिब्बती बस्तियों में दौरों हेतु संरक्षित/सुरक्षित क्षेत्र परमिटों की मंजूरी सहित मुख्यत: श्रीलंका से आए श्रीलंकाई शरणार्थियों/प्रत्यावासियों; और भारत में ठहरे हुए तिब्बती शरणार्थियों को राहत और पुनर्वास सहायता संबंधी मामले देखती है। यह शाखा भारत में शत्रु सम्पत्ति के संरक्षण और प्रबंधन के लिए भी उत्तरदायी है और भारत में शत्रु सम्पत्ति का अभिरक्षक का अधीनस्थ कार्यालय है। यह शाखा प्रत्यावासियों के सहकारी वित्त और विकास बैंक से संबंधित प्रशासनिक मुद्दों का प्रबंधन भी देखती / करती है।

सौंपे गए विषय

  • स्वतंत्रता सैनिक सम्मान पेंशन योजना, 1980 का कार्यान्वयन।
  • देश के स्वतंत्रता सेनानियों के कल्याण से संबंधित मामले।
  • पी ओ के, 1947 और छम्ब-नियाबात क्षेत्र, 1971 के विस्थापित व्यक्तियों के लिए वर्ष 2000 में भारत सरकार द्वारा घोषित राहत पैकेजों का कार्यान्वयन।
  • तमिलनाडु में शरणार्थी शिविरों में ठहरे श्रीलंकाई शरणार्थियों को राहत सहायता।
  • पश्चिम बंगाल में बसे पूर्ववर्ती पूर्वी पाकिस्तान के विस्थापित व्यक्तियों को राहत और उनका पुनर्वास।
  • तिब्बती बस्तियों के दौरे के लिए संरक्षित क्षेत्र परमिट के मुद्दे सहित तिब्बती शरणार्थियों के लिए राज्यों को राहत और पुनर्वास सहायता।
  • शत्रु सम्पत्ति से जुड़े मामले।
  • प्रत्यावासी सहकारी वित्त एवं विकास बैंक लिमिटेड (रिपको) चेन्नई के प्रशासनिक प्रभाग के कार्य।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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