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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम [[सुमित्रानन्दन पंत]] के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?
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| |type="()"}
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| -वीणा
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| +पल्लव
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| -तारापथ
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| -ग्रंथि
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| {[[भिखारीदास]] की रचना का नाम है? | | {जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है, जिसको आधार बनाकर [[छायावादी युग]] में एक [[महाकाव्य]] लिखा गया। उसका नाम है- |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| +काव्य निर्णय
| | -[[लोकायतन -सुमित्रानन्दन पंत|लोकायतन]] |
| -काव्य विवेक
| | -[[कुरुक्षेत्र -रामधारी सिंह दिनकर|कुरुक्षेत्र]] |
| -भाव विलास
| | +[[कामायनी -जयशंकर प्रसाद|कामायनी]] |
| -नवरस तरंग | | -[[चिदम्बरा -सुमित्रानन्दन पंत|चिदम्बरा]] |
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| {उन्नीसवीं [[सदी]] की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?
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| |type="()"} | |
| -ईसाई विरोध
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| -मुस्लिम विरोध
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| +पराधीनता का बोध
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| -परमाणु परीक्षण
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| {'यह प्रेम को पंथ कराल महा तरवारि की धार पै धावनो है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?
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| |type="()"}
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| -[[घनानंद कवि|घनानंद]]
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| +बोधा
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| -आलम | |
| -ठाकुर
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| {आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?
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| |type="()"}
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| -आचार्य पद्मसिंह शर्मा
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| -आचार्य नंददुलारे वाजपेयी
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| -आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र
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| +[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
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| || [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|100px|right|रामचन्द्र शुक्ल]]रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन् 1884 ई. में हुआ था। सन् 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन् 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?
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| |type="()"}
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| -[[जायसी]]
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| +[[कबीर]]
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| -[[तुलसीदास]]
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| -[[कुम्भनदास]]
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| {प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं-
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| -नूर मुहम्मद
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| -[[मलिक मुहम्मद जायसी]]
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| +मुल्ला दाऊद
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| -कुतबन
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| {भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है?
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| |type="()"}
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| -[[जायसी]]
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| -[[सूरदास]]
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| +[[तुलसीदास]]
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| -रविदास
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| || [[चित्र:Tulsidas.jpg|150px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
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| {'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?
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| |type="()"}
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| -डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
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| -[[चन्द्रबली पाण्डेय]]
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| -डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह
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| +[[रामचन्द्र शुक्ल]]
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| {दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में [[हिन्दी]] के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?
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| |type="()"} | |
| -[[रहीम]]
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| +[[बिहारी लाल|बिहारी]] | |
| -[[भूषण]] | |
| -[[सूरदास]]
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| ||हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]] | |
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| {'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥' उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?
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| |type="()"}
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| -[[रहीम]]
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| -[[तुलसीदास|तुलसी]] | |
| +[[बिहारी लाल|बिहारी]]
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| -[[भूषण]] | |
| || हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]] | |
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| {जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है। उसका नाम है?
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| |type="()"}
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| -लोकायतन
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| -कुरुक्षेत्र
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| +कामायनी
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| -चिताम्बरा
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| {शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है? | | {शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मम्मट]] | | -[[मम्मट]] |
| -कुंतक | | -[[कुंतक]] |
| +भामह | | +भामह |
| -चिंतामणि | | -[[चिंतामणि त्रिपाठी|चिंतामणि]] |
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| {ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? | | {'ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥' प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता कौन थे? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[मीराबाई]] | | -[[मीराबाई]] |
| -[[जायसी]] | | -[[जायसी]] |
| -[[तुलसीदास]] | | -[[तुलसीदास]] |
| +[[कबीर दास]] | | +[[कबीर|कबीर दास]] |
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| {चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं- | | {[[चौपाई]] के प्रत्येक चरण में कितनी मात्राएँ होती हैं? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -11 | | -11 |
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| +16 | | +16 |
| -15 | | -15 |
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| | {[[भक्ति काल|भक्तिकालीन]] कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार भी था, जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर था। वह था- |
| | |type="()"} |
| | -[[जायसी]] |
| | -[[सूरदास]] |
| | +[[तुलसीदास]] |
| | -[[रविदास]] |
| | ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|150px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान् कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान [[बाँदा ज़िला]]) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]] |
| </quiz> | | </quiz> |
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| {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} | | {{हिन्दी सामान्य ज्ञान}} |
| {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} | | {{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}} |
| {{प्रचार}}
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