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'''लोहाचल''' | '''लोहाचल''' होस्पेट तालुका, [[मैसूर]] में स्थित एक पहाड़ी है। यह वेल्लारी से लगभग छ: मील की दूरी पर पूर्व की ओर स्थित है। | ||
*माना जाता है कि इस पहाड़ी का प्राचीन नाम [[क्रौंच पर्वत|क्रौंच]] था और [[वाल्मीकि रामायण]] में वर्णित क्रौंचारण्य शायद इसी के निकट अवस्थित था- | *माना जाता है कि इस पहाड़ी का प्राचीन नाम [[क्रौंच पर्वत|क्रौंच]] था और [[वाल्मीकि रामायण]] में वर्णित [[क्रौंचारण्य]] शायद इसी के निकट अवस्थित था- | ||
<blockquote>'तत: परं जनस्थानात् त्रिकोशं गम्य राघवौ, क्रौंचारण्यं विविशतुर्गहनं तौ महौजसौ।'<ref>[[वाल्मीकि रामायण]], [[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्य काण्ड]] 69,5</ref></blockquote> | <blockquote>'तत: परं जनस्थानात् त्रिकोशं गम्य राघवौ, क्रौंचारण्यं विविशतुर्गहनं तौ महौजसौ।'<ref>[[वाल्मीकि रामायण]], [[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्य काण्ड]] 69,5</ref></blockquote> | ||
*[[श्रीराम]] और [[लक्ष्मण]] [[सीता]] के हरण के | *[[श्रीराम]] और [[लक्ष्मण]] [[सीता]] के हरण के पश्चात् [[पंचवटी]] से चलकर तीन कोस की यात्रा करने के बाद यहाँ पहुँचे थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=823|url=}}</ref> | ||
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07:30, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
लोहाचल होस्पेट तालुका, मैसूर में स्थित एक पहाड़ी है। यह वेल्लारी से लगभग छ: मील की दूरी पर पूर्व की ओर स्थित है।
- माना जाता है कि इस पहाड़ी का प्राचीन नाम क्रौंच था और वाल्मीकि रामायण में वर्णित क्रौंचारण्य शायद इसी के निकट अवस्थित था-
'तत: परं जनस्थानात् त्रिकोशं गम्य राघवौ, क्रौंचारण्यं विविशतुर्गहनं तौ महौजसौ।'[1]
- श्रीराम और लक्ष्मण सीता के हरण के पश्चात् पंचवटी से चलकर तीन कोस की यात्रा करने के बाद यहाँ पहुँचे थे।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाल्मीकि रामायण, अरण्य काण्ड 69,5
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 823 |