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[[भारत]] के [[महाराष्ट्र]], [[तमिलनाडु]], [[आन्ध्र प्रदेश]] और [[कर्नाटक]] में अच्छे काम की शुरुआत और यशप्राप्ति के लिए गणेश चतुर्थी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन गजमुख [[गणेश]] की पूजा की जाती है। यह वार्षिक उत्सव दस दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश के मूर्ति की स्थापना की जाती है और दस दिन भावभक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। दस दिन बाद बड़ी ही धूमधाम से गणेश मूर्ति का विसर्जन पानी में किया जाता है। [[मुम्बई]] में [[समुद्र]] के किनारे विसर्जन के दिन का दृश्य देखने लायक़ होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक और फ़िल्मों का आयोजन किया जाता है।
[[भारत]] के [[महाराष्ट्र]], [[तमिलनाडु]], [[आन्ध्र प्रदेश]] और [[कर्नाटक]] में अच्छे काम की शुरुआत और यशप्राप्ति के लिए गणेश चतुर्थी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन गजमुख [[गणेश]] की पूजा की जाती है। यह वार्षिक उत्सव दस दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश के मूर्ति की स्थापना की जाती है और दस दिन भावभक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। दस दिन बाद बड़ी ही धूमधाम से गणेश मूर्ति का विसर्जन पानी में किया जाता है। [[मुम्बई]] में [[समुद्र]] के किनारे विसर्जन के दिन का दृश्य देखने लायक़ होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक और फ़िल्मों का आयोजन किया जाता है।
====तार्णेतर मेला====
====तार्णेतर मेला====
सितम्बर माह में [[गुजरात]] के पास [[सौराष्ट्र]] में तार्णेतर नामक स्थान पर एक अत्यंत सजीव और मनोरंजक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला त्रिनेत्रेश्वर मन्दिर द्वारा मनाए जाने वाले [[अर्जुन]] और [[द्रौपदी]] के [[विवाह]] उत्सव का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कोली, भारवाड़ और राबड़ी जैसे आदिवासी लोगों में शादी के लिए उत्सुक लोगों के लिए यह शादी बाज़ार है। परंपरागत परिधान और गहने पहन कर किए जाने वाले [[लोक नृत्य]] इस मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं। यहाँ हाथ से बनी, कशीदाकारी और आइने से सजी हुयी छतरियाँ ख़रीदारी का विशेष आकर्षण हैं जिन्हें एक बार देखने के बाद भुलाया नहीं जा सकता।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/parva/parvaparichay/sept.htm |title=सितंबर माह के पर्व |accessmonthday=9 जून |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति |language=हिंदी  }}</ref>   
सितम्बर माह में [[गुजरात]] के पास [[सौराष्ट्र]] में तार्णेतर नामक स्थान पर एक अत्यंत सजीव और मनोरंजक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला त्रिनेत्रेश्वर मन्दिर द्वारा मनाए जाने वाले [[अर्जुन]] और [[द्रौपदी]] के [[विवाह]] उत्सव का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कोली, भारवाड़ और राबड़ी जैसे आदिवासी लोगों में शादी के लिए उत्सुक लोगों के लिए यह शादी बाज़ार है। परंपरागत परिधान और गहने पहन कर किए जाने वाले [[लोक नृत्य]] इस मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं। यहाँ हाथ से बनी, कशीदाकारी और आइने से सजी हुई छतरियाँ ख़रीदारी का विशेष आकर्षण हैं जिन्हें एक बार देखने के बाद भुलाया नहीं जा सकता।<ref>{{cite web |url=http://www.abhivyakti-hindi.org/parva/parvaparichay/sept.htm |title=सितंबर माह के पर्व |accessmonthday=9 जून |accessyear=2013 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=अभिव्यक्ति |language=हिंदी  }}</ref>   


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सितंबर
सितंबर
सितंबर
विवरण ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का नौवाँ महीना है।
हिंदी माह भाद्रपद - आश्विन
हिजरी माह ज़िलक़ाद - ज़िलहिज्ज
कुल दिन 30
व्रत एवं त्योहार गणेश चतुर्थी (भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी), ऋषि पंचमी, राधा अष्टमी, वामन जयन्ती
जयंती एवं मेले तार्णेतर मेला (गुजरात में), फुलाइच (हिमाचल प्रदेश में)
महत्त्वपूर्ण दिवस शिक्षक दिवस (05), विश्व साक्षरता दिवस (08), हिन्दी दिवस (14), अभियंता दिवस (15), विश्व बधिर दिवस (24), पर्यटन दिवस (27)
पिछला अगस्त
अगला अक्टूबर
अन्य जानकारी सितंबर वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है।

सितंबर (अंग्रेज़ी: September) ग्रेगोरी कैलंडर के अनुसार वर्ष का नौवाँ महीना है। यह वर्ष के उन चार महीनों में से एक है जिनके दिनों की संख्या 30 होती है। ग्रेगोरी कैलंडर, दुनिया में लगभग हर जगह उपयोग किया जाने वाला कालदर्शक (कैलंडर) या तिथिपत्रक है। यह जूलियन कालदर्शक का रूपातंरण है। ग्रेगोरी कालदर्शक की मूल इकाई दिन होता है। 365 दिनों का एक वर्ष होता है, किन्तु हर चौथा वर्ष 366 दिन का होता है जिसे अधिवर्ष (लीप का साल) कहते हैं। सूर्य पर आधारित पंचांग हर 146,097 दिनों बाद दोहराया जाता है। इसे 400 वर्षों मे बाँटा गया है, और यह 20871 सप्ताह (7 दिनों) के बराबर होता है। इन 400 वर्षों में 303 वर्ष आम वर्ष होते हैं, जिनमें 365 दिन होते हैं। और 97 लीप वर्ष होते हैं, जिनमें 366 दिन होते हैं। इस प्रकार हर वर्ष में 365 दिन, 5 घंटे, 49 मिनट और 12 सेकंड होते है। इसे पोप ग्रेगोरी ने लागू किया था।

सितंबर के पर्व एवं त्योहार

फुलाइच (हिमाचल प्रदेश)

बारिश का मौसम जाते ही उत्तर भारत की पहाड़ियों में शरद ऋतु की हल्की सर्दी का आगमन होने लगता है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर नगर में इस समय "फुलाइच" नाम से फूलों का उत्सव मनाया जाता है जो इस प्रदेश की प्रकृति और परंपरा के सौन्दर्य का सजीव दृश्य प्रस्तुत करता है। ग्राम्यजन तलहटियों में फूलों की तलाश करते घूमते हैं और उन्हें प्रमुख चौराहे पर इकठ्ठा कर देते हैं। इन्हें स्थानीय देवता को अर्पित किया जाता है। इसके बाद शुरू होता है मौज मस्ती का दौर - नाच-गाना और दावत। छम्ब के पास छत्रारि गाँव में शक्ति देवी के मंदिर के पास मेले में तथा अन्य स्थानों पर मुखौटे नृत्य का आयोजन होता है। इसी समय कांगड़ा घाटी में सैर नामक उत्सव मनाया जाता है। इसमें छोटी छोटी दुकानों और लोकगीतों के साथ ही शिमला के पास अर्की और मशोबरा में भैसों की लड़ाई का आयोजन किया जाता है। कांगड़ा में नूरपुर के पास पुराने किले की दर्शनीय दीवार के नीचे नगीनी मेले द्वारा गर्मी के मौसम को भाव भीनी विदाई दे दी जाती है।

गणेश चतुर्थी

गणेश चतुर्थी

भारत के महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आन्ध्र प्रदेश और कर्नाटक में अच्छे काम की शुरुआत और यशप्राप्ति के लिए गणेश चतुर्थी को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस दिन गजमुख गणेश की पूजा की जाती है। यह वार्षिक उत्सव दस दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश के मूर्ति की स्थापना की जाती है और दस दिन भावभक्ति के साथ पूजा अर्चना की जाती है। दस दिन बाद बड़ी ही धूमधाम से गणेश मूर्ति का विसर्जन पानी में किया जाता है। मुम्बई में समुद्र के किनारे विसर्जन के दिन का दृश्य देखने लायक़ होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार सार्वजनिक रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक और फ़िल्मों का आयोजन किया जाता है।

तार्णेतर मेला

सितम्बर माह में गुजरात के पास सौराष्ट्र में तार्णेतर नामक स्थान पर एक अत्यंत सजीव और मनोरंजक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला त्रिनेत्रेश्वर मन्दिर द्वारा मनाए जाने वाले अर्जुन और द्रौपदी के विवाह उत्सव का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। कोली, भारवाड़ और राबड़ी जैसे आदिवासी लोगों में शादी के लिए उत्सुक लोगों के लिए यह शादी बाज़ार है। परंपरागत परिधान और गहने पहन कर किए जाने वाले लोक नृत्य इस मेले का मुख्य आकर्षण होते हैं। यहाँ हाथ से बनी, कशीदाकारी और आइने से सजी हुई छतरियाँ ख़रीदारी का विशेष आकर्षण हैं जिन्हें एक बार देखने के बाद भुलाया नहीं जा सकता।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सितंबर माह के पर्व (हिंदी) अभिव्यक्ति। अभिगमन तिथि: 9 जून, 2013।

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