"पहेली जुलाई 2013": अवतरणों में अंतर
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- [[सुखदेव]] | - [[सुखदेव]] | ||
|| [[चित्र:Bhagat-Singh.gif|100px|right|link=भगतसिंह]] 'पंजाब नेशनल कॉलेज' में भगत सिंह की देशभक्ति की भावना फलने-फूलने लगी थी। इसी कॉलेज में ही यशपाल, भगवतीचरण, [[सुखदेव]], तीर्थराम, झण्डासिंह आदि क्रांतिकारियों से उनका संपर्क हुआ। कॉलेज में एक नेशनल नाटक क्लब भी था। इसी क्लब के माध्यम से भगतसिंह ने देशभक्तिपूर्ण नाटकों में अभिनय भी किया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भगतसिंह]] | || [[चित्र:Bhagat-Singh.gif|100px|right|link=भगतसिंह]] 'पंजाब नेशनल कॉलेज' में भगत सिंह की देशभक्ति की भावना फलने-फूलने लगी थी। इसी कॉलेज में ही यशपाल, भगवतीचरण, [[सुखदेव]], तीर्थराम, झण्डासिंह आदि क्रांतिकारियों से उनका संपर्क हुआ। कॉलेज में एक नेशनल नाटक क्लब भी था। इसी क्लब के माध्यम से भगतसिंह ने देशभक्तिपूर्ण नाटकों में अभिनय भी किया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भगतसिंह]] | ||
{[[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित प्रथम कलाकार कौन है। | |||
|type="()"} | |||
+ [[देविका रानी]] | |||
- [[पृथ्वीराज कपूर]] | |||
- [[पंकज मलिक]] | |||
- [[सत्यजित राय]] | |||
|| [[चित्र:Devika-Rani.jpg|100px|right|link=देविका रानी]] देविका रानी [[दादा साहब फाल्के पुरस्कार]] से सम्मानित पहली कलाकार हैं। देकिका रानी भारतीय रजतपट की पहली स्थापित नायिका जो अपने [[युग]] से कहीं आगे की सोच रखने वाली [[अभिनेत्री]] थीं और उन्होंने अपनी फ़िल्मों के माध्यम से जर्जर सामाजिक रूढ़ियों और मान्यताओं को चुनौती देते हुए नए मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को स्थापित करने का काम किया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[देविका रानी]] | |||
{ वर्ष [[2008]] में [[भारत रत्न]] से किसे सम्मानित किया गया? | |||
|type="()"} | |||
- [[सचिन तेंदुलकर]] | |||
+ [[भीमसेन जोशी]] | |||
- [[लता मंगेशकर]] | |||
- [[बिस्मिल्लाह ख़ाँ]] | |||
|| [[चित्र:Bhimsen-Joshi-2.jpg|100px|right|link=भीमसेन जोशी]] पंडित भीमसेन जोशी [[किराना घराना|किराना घराने]] के महत्त्वपूर्ण शास्त्रीय गायक हैं। अपने एकल गायन से [[शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत]] में नए युग का सूत्रपात करने वाले पंडित भीमसेन जोशी [[कला]] और [[संस्कृति]] की दुनिया के छठे और अंतिम व्यक्ति हैं जिन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भीमसेन जोशी]] | |||
{ '[[काकोरी काण्ड]]' को किसके नेतृत्व में अंजाम दिया गया था? | |||
|type="()"} | |||
- [[अशफ़ाक़ उल्ला ख़ाँ]] | |||
- [[चंद्रशेखर आज़ाद]] | |||
+ [[राम प्रसाद बिस्मिल]] | |||
- [[राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी]] | |||
|| [[चित्र:Ram-Prasad-Bismil.jpg|100px|right|link=राम प्रसाद बिस्मिल]] राम प्रसाद 'बिस्मिल' [[भारत]] के महान् स्वतन्त्रता सेनानी ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के कवि, शायर, अनुवादक, बहुभाषाविद् व साहित्यकार भी थे जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी। ब्रिटिश साम्राज्य को दहला देने वाले [[काकोरी काण्ड]] को रामप्रसाद बिस्मिल ने ही अंजाम दिया था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[राम प्रसाद बिस्मिल]] | |||
{ फ़िल्म 'लीडर' का गीत '[[अपनी आज़ादी को हम|अपनी आज़ादी को हम]]' के गायक कौन है। | |||
|type="()"} | |||
- [[मन्ना डे]] | |||
- [[किशोर कुमार]] | |||
+ [[मुहम्मद रफ़ी]] | |||
- [[महेन्द्र कपूर]] | |||
|| [[चित्र:Mohd.Rafi.jpg|100px|right|link=मुहम्मद रफ़ी]] मुहम्मद रफ़ी [[हिन्दी सिनेमा]] के श्रेष्ठतम पार्श्व गायकों में से एक थे। जिन्होंने क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए। अपनी आवाज़ की मधुरता और परास की अधिकता के लिए इन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई। इन्हें 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' भी कहा जाता था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुहम्मद रफ़ी]] और [[अपनी आज़ादी को हम]] | |||
{ [[नन्हा मुन्ना राही हूँ|नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं...]] गीत के रचनाकार कौन है? | |||
|type="()"} | |||
- [[मजरूह सुल्तानपुरी]] | |||
+ [[शकील बदायूँनी]] | |||
- [[कैफ़ी आज़मी]] | |||
- [[साहिर लुधियानवी]] | |||
|| [[चित्र:SHAKEEL BADAYUNI.jpg|100px|right|link=शकील बदायूँनी]] 'नन्हा मुन्ना राही हूं देश का सिपाही हूं' गीत के रचनाकार शकील बदायूँनी हैं। जिन्होंने क़रीब तीन दशक के फ़िल्मी जीवन में लगभग 90 फ़िल्मों के लिये गीत लिखे। उनके फ़िल्मी सफर पर एक नजर डालने से पता चलता है कि उन्होंने सबसे ज्यादा फ़िल्में संगीतकार [[नौशाद]] के साथ ही की। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शकील बदायूँनी]] और [[नन्हा मुन्ना राही हूँ]] | |||
{ सदाबहार हिंदी फ़िल्म '[[मदर इंडिया]]' के निर्देशक कौन थे। | |||
|type="()"} | |||
- [[कमाल अमरोही]] | |||
- [[वी शांताराम]] | |||
- [[दादा साहब फाल्के]] | |||
+ [[महबूब ख़ान]] | |||
|| [[चित्र:Mehboob-Khan.jpg|100px|right|link=महबूब ख़ान]] महबूब रमज़ान ख़ान [[भारतीय सिनेमा]] इतिहास के अग्रणी निर्माता-निर्देशक थे। [[हिन्दी सिनेमा]] जगत् के युगपुरुष महबूब ख़ान को एक ऐसी शख़्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फ़िल्मों का तोहफा दिया। मदर इंडिया भी इनमें से एक थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महबूब ख़ान]] और [[मदर इंडिया]] | |||
{ [[अहमदनगर]] के प्रथम भारतीय निगम आयुक्त के रूप में किसने अपनी सेवाएँ प्रदान की थीं? | |||
|type="()"} | |||
+ [[सरदार पटेल]] | |||
- [[जवाहरलाल नेहरू]] | |||
- [[महात्मा गाँधी]] | |||
- [[सर्वपल्ली राधाकृष्णन]] | |||
|| [[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|100px|right|link=सरदार पटेल]] सरदार वल्लभ भाई पटेल का उपनाम सरदार पटेल है। सरदार पटेल भारतीय बैरिस्टर और राजनेता थे। [[1917]] से [[1924]] तक सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की और [[1924]] से [[1928]] तक वह इसके निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष रहे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सरदार पटेल]] | |||
{[[महाराष्ट्र]] में 'गणपति उत्सव' आरंभ करने का श्रेय किसको दिया जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[वल्लभभाई पटेल]] | |||
+[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
-[[शिवाजी]] | |||
-[[विपिन चन्द्र पाल]] | |||
||[[चित्र:Lokmanya-Bal-Gangadhar-Tilak.jpg|बाल गंगाधर तिलक|100px|right]]बाल गंगाधर तिलक के जीवनकाल के दौरान पुरानी परंपरा और संस्थाओं के प्रति जनता में नई जागरूकता प्रकट हो रही थी। इसके सबसे स्पष्ट उदाहरण थे, पुरानी धार्मिक आराधना, [[गणेश चतुर्थी|गणपति-पूजन]] और [[शिवाजी]] के जीवन से जुड़े प्रसंगों पर महोत्सवों का आयोजन।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
{[[महावीर]] ने 'जैन संघ' की स्थापना कहाँ की थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[कुण्डग्राम]] | |||
-[[वैशाली]] | |||
+[[पावापुरी]] | |||
-[[वाराणसी]] | |||
||[[कनिंघम]] ने 'पावापुरी' का अभिज्ञान 'कसिया' के दक्षिण-पूर्व में 10 मील पर स्थित 'फ़ाज़िलपुर' नामक ग्राम से किया है। [[जैन धर्म]] के [[ग्रंथ]] [[कल्पसूत्र]] के अनुसार [[महावीर]] ने [[पावापुरी]] में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन धर्म के संम्प्रदाय का [[सारनाथ]] माना जाता है। [[महावीर|महावीर स्वामी]] द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पावापुरी]] | |||
{[[महाभारत]] के अनुसार [[अभिमन्यु]] के पुत्र का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[दिलीप]] | |||
+[[परीक्षित]] | |||
-[[प्रद्युम्न]] | |||
-[[शान्तनु]] | |||
||वीर [[अभिमन्यु]] और [[उत्तरा]] के पुत्र का नाम [[परीक्षित]] था। धर्मराज [[युधिष्ठिर]] ने जब पुत्र जन्म का समाचार सुना तो वे अति प्रसन्न हुये और उन्होंने असंख्य [[गाय]], गाँव, [[हाथी]], घोड़े, अन्न आदि [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को दान दिये। उत्तम ज्योतिषियों को बुलाकर बालक के भविष्य के विषय में प्रश्न पूछे। ज्योतिषियों ने बताया कि वह बालक अति प्रतापी, यशस्वी तथा [[इक्ष्वाकु वंश|इक्ष्वाकु]] समान प्रजापालक, दानी, धर्मी, पराक्रमी और भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्णचन्द्र]] का [[भक्त]] होगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[परीक्षित]] | |||
{[[महाभारत]] के अनुसार [[दुर्योधन]] के मामा [[शकुनि]] के राज्य का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[मगध]] | |||
-[[हस्तिनापुर]] | |||
+[[गांधार]] | |||
-[[पांचाल]] | |||
||[[चित्र:Gandhar-Map.jpg|right|100px|गांधार महाजनपद]][[गान्धार]] राज सुबल का पुत्र और [[गान्धारी]] का भाई [[शकुनि]] जुआ खेलने में यह बहुत ही कुशल था। वह प्रायः [[धृतराष्ट्र]] के दरबार में ही बना रहता था। [[दुर्योधन]] की इससे बहुत पटती थी। [[युधिष्ठिर]] और दुर्योधन के बीच खेले गये जुए में शकुनि ने दुर्योधन की ओर से जुआ खेला था। वह ऐसा चतुर जुआरी था कि युधिष्ठिर को उसने एक भी दाँव नहीं जीतने दिया। शकुनि छलिया भी अव्वल श्रेणी का था। ज्यों-ज्यों युधिष्ठिर हारते जाते, त्यों-त्यों वह उन्हें उकसाता और जो चीज़ें उनके पास रह गई थीं, उन्हें दाँव पर लगाने के लिए विवश कर देता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शकुनि]] | |||
{निम्नलिखित में से [[दुर्योधन]] की बहन कौन थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[सुभद्रा]] | |||
-[[रम्भा]] | |||
-[[हिडिंबा]] | |||
+[[दुःशला]] | |||
||[[महाभारत]] में [[दुःशला]] राजा [[धृतराष्ट्र]] की पुत्री और [[दुर्योधन]] आदि [[कौरव|कौरवों]] की बहन थी। इसका जन्म [[गांधारी]] के गर्भ से हुआ था। बाद में इसका [[विवाह]] [[सिंधु]] नरेश [[जयद्रथ]] के साथ में हुआ, जिसका वध [[अर्जुन]] द्वारा [[कुरुक्षेत्र]] में किया गया। जयद्रथ की मृत्यु के पश्चात् दु:शला ने अपनी संरक्षता में अपने छोटे बालक 'सुरथ' को सिंहासन पर बैठाया। [[पांडव|पांडवों]] के '[[अश्वमेध यज्ञ]]' के समय अर्जुन घोड़ा लेकर जब सिंधु देश पहुँचा, तब सुरथ भय से इतना डर गया कि उसने प्राण त्याग दिये।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दुःशला]] | |||
{निम्नलिखित में से [[दशरथ]] के पुत्र [[लक्ष्मण]] की पत्नी कौन थीं? | |||
|type="()"} | |||
-[[सावित्री देवी|सावित्री]] | |||
-[[सत्यभामा]] | |||
+[[उर्मिला]] | |||
-[[रम्भा]] | |||
||'[[वाल्मीकि रामायण]]' में [[लक्ष्मण]] की पत्नी के रूप में [[उर्मिला]] का नामोल्लेख मिलता है। 'वाल्मिकी रामायण' के अनुसार [[उर्मिला]] [[जनक]] नंदनी [[सीता]] की छोटी बहन थीं और सीता के [[विवाह]] के समय ही [[दशरथ]] और [[सुमित्रा]] के पुत्र [[लक्ष्मण]] को ब्याही गई थीं। इनके '[[अंगद (लक्ष्मण पुत्र)|अंगद]]' और 'चन्द्रकेतु' नाम के दो पुत्र तथा 'सोमदा' नाम की एक पुत्री थी। आधुनिक साहित्यकारों ने उर्मिला को विविध कलाओं में पारंगत और कर्तव्यपरायण नारी के रूप में चित्रित किया है। [[राम]] के साथ लक्ष्मण के भी चौदह वर्ष के लिए वन जाने पर उर्मिला ने अपनी विरह-व्यथा को जीव-जन्तुओं के प्रति सहानुभूति में बदल दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[उर्मिला]] | |||
{[[रामायण]] के अनुसार [[जटायु]] के भाई का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[गरुड़]] | |||
-[[शम्भू]] | |||
+[[सम्पाती]] | |||
-[[हिडिम्ब]] | |||
||'सम्पाती' नामक गिद्ध [[जटायु]] का बड़ा भाई था। वृत्तासुर-वध के उपरांत अत्यधिक गर्व हो जाने के कारण दोनों भाई [[आकाश]] में उड़कर [[सूर्य]] की ओर चले। उन दोनों का उद्देश्य सूर्य का [[विंध्याचल]] तक पीछा करना था। सूर्य के ताप से जटायु के पंख जलने लगे तो [[सम्पाती]] ने उसे अपने पंखों से छिपा लिया। जटायु तो बच गया, किंतु सम्पाती के पर जल गये और उड़ने की शक्ति समाप्त हो गयी। वह [[विंध्य पर्वत]] पर जा गिरा। जब [[सीता]] को ढूंढ़ने में असफल [[हनुमान]], [[अंगद]] आदि उस [[पर्वत]] पर बातें कर रहे थे, तब जटायु का नाम सुनकर सम्पाती ने सविस्तार जटायु के विषय में जानना चाहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[सम्पाती]] | |||
{[[राम]] के चरण स्पर्श से जो शिला स्त्री बन गई, उस स्त्री का नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[शबरी]] | |||
-[[मन्थरा]] | |||
+[[अहल्या]] | |||
-[[कुब्जा दासी|कुब्जा]] | |||
||[[चित्र:Ahilya-and-Ram.jpg|right|120px|अहल्या का उद्धार करते श्रीराम]] अहल्या महर्षि [[गौतम]] की पत्नी थी। ये अत्यंत ही रूपवान तथा सुन्दरी थी। एक दिन गौतम की अनुपस्थिति में देवराज [[इन्द्र]] ने अहल्या से संभोग की इच्छा प्रकट की। यह जानकर कि इन्द्र उस पर मुग्ध हैं, अहल्या इस अनुचित कार्य के लिए तैयार हो गई। गौतम ने कुटिया से जाते हुए इन्द्र को देख लिया और उन्होंने अहल्या को पाषाण बन जाने का शाप दे दिया। [[त्रेता युग]] में श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ और पुन: वह पाषाण से ऋषि-पत्नी हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[अहल्या]] | |||
{[[लक्ष्मण]] को नागपाश से मुक्त किसने किया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[जटायु]] | |||
-[[सम्पाती]] | |||
-[[जामवन्त]] | |||
+[[गरुड़]] | |||
||[[चित्र:Garuda.jpg|right|120px|पक्षियों के राजा गरुड़]][[गरुड़]] [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और विनता के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को 'नागपाश' से बाँध लिया था, तब गरुड़ ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गरुड़]] | |||
{[[अर्जुन]] ने [[द्रोणाचार्य]] के जिस मित्र को परास्त किया, उसका नाम क्या था? | |||
|type="()"} | |||
-[[कृपाचार्य]] | |||
+[[द्रुपद]] | |||
-[[शल्य]] | |||
-[[विदुर]] | |||
||[[द्रुपद]], [[पांचाल]] के राजा और परिशत के पुत्र थे। ये [[शिखंडी]], [[धृष्टद्युम्न]] व [[द्रौपदी]] के पिता थे। [[भीष्म]], [[द्रोणाचार्य]], और द्रुपद [[परशुराम]] के शिष्य थे। शिक्षा काल में द्रुपद और द्रोण की गहरी मित्रता थी। द्रोण ग़रीब होने के कारण प्राय: दुखी रहते थे, तो द्रुपद ने उन्हें राजा बनने पर आधा राज्य देने का वचन दिया था, परंतु कालांतर में वे अपने वचन से न केवल मुकर गए वरन् उन्होंने द्रोण का अपमान भी किया।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[द्रुपद]] | |||
{[[भीष्म|भीष्म पितामह]] को इच्छा मृत्यु का वरदान किसने दिया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[इंद्र]] | |||
+[[शान्तनु]] | |||
-[[गंगा]] | |||
-[[सत्यवती]] | |||
|| देवव्रत (भीष्म के बचपन का नाम) ने अपनी माता [[सत्यवती]] को लाकर अपने पिता [[शान्तनु]] को जब सौंपा तो पिता ने प्रसन्न होकर पुत्र से कहा, “वत्स! तूने पितृभक्ति के वशीभूत होकर ऐसी प्रतिज्ञा की है जैसी कि न आज तक किसी ने की है और न कोई भविष्य में करेगा। मैं तुझे वरदान देता हूँ कि तेरी मृत्यु तेरी इच्छा से ही होगी। तेरी इस प्रकार की प्रतिज्ञा करने के कारण तू भीष्म कहलायेगा और तेरी प्रतिज्ञा भीष्म प्रतिज्ञा के नाम से सदैव प्रख्यात रहेगी। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[शान्तनु]] | |||
{[[अमीर ख़ुसरो]] का जन्म कहाँ हुआ था? | |||
|type="()"} | |||
-[[आगरा]] | |||
-[[बाराबंकी]] | |||
+[[एटा]] | |||
-[[इटावा]] | |||
||[[ब्रजभाषा]] के महान् [[कवि]] और संगीतकार [[अमीर ख़ुसरो]] दहलवी का जन्म [[उत्तर प्रदेश]] के एटा ज़िले के पटियाली नामक ग्राम में [[गंगा]] किनारे हुआ था। एटा [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] प्रान्त का एक शहर है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एटा]] | |||
{[[द्रौपदी]] किसके वरदान के कारण पाँच पतियों की पत्नी बनी थी? | |||
|type="()"} | |||
-[[इन्द्र]] | |||
-[[विष्णु]] | |||
+[[शिव]] | |||
-[[ब्रह्मा]] | |||
||[[चित्र:Statue-Shiva-Bangalore.jpg|right|100px|भगवान शिव]] [[महाभारत]], [[आदिपर्व महाभारत|आदिपर्व]] के अनुसार [[पांचाल]] नरेश [[द्रुपद]] की पुत्री [[द्रौपदी]] पूर्वजन्म में एक [[ऋषि]] कन्या थी। उसने श्रेष्ठ पति पाने की कामना से भगवान [[शिव]] की तपस्या की थी। शंकर ने प्रसन्न होकर उसे वर देने की इच्छा की। उसने शंकर से पाँच बार कहा कि वह सर्वगुणसंपन्न पति चाहती है। शंकरजी ने कहा कि अगले जन्म में उसके पाँच भारतवंशी पति होंगे, क्योंकि उसने पति पाने की कामना पाँच बार दोहरायी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शिव]] और [[द्रौपदी]] | |||
[[चित्र: | {[[राज्यसभा]] के लिए नामित प्रथम फ़िल्म [[अभिनेत्री]] कौन थीं? | ||
|type="()"} | |||
+[[नर्गिस|नर्गिस दत्त]] | |||
-[[वैजयंती माला]] | |||
-[[हेमा मालिनी]] | |||
-[[जयललिता]] | |||
|| [[चित्र:Nargis-Dutt.jpg|right|100px|link=नर्गिस]] नर्गिस (जन्म नाम: फ़ातिमा रशीद) [[हिन्दी सिनेमा]] की महान् अभिनेत्रियों में से एक है। नर्गिस मशहूर गायिका जद्दनबाई की पुत्री थीं और राज्यसभा के लिए नामित प्रथम फ़िल्म अभिनेत्री थीं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नर्गिस]] | |||
{स्वतंत्र [[भारत]] के प्रथम शिक्षा मंत्री कौन थे? | |||
|type="()"} | |||
- [[जवाहरलाल नेहरू]] | |||
- [[गोविंद वल्लभ पंत]] | |||
+ [[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद]] | |||
- [[सरोजिनी नायडू]] | |||
|| [[चित्र:Abul-Kalam-Azad.gif|100px|अबुल कलाम आज़ाद|right]] अबुल कलाम आज़ाद, स्वतंत्र [[भारत]] में वह भारत सरकार के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्हें 'मौलाना आज़ाद' के नाम से जाना जाता है। 'आज़ाद' उनका उपनाम है। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और वह वरिष्ठ राजनीतिक नेता थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अबुलकलाम आज़ाद]] | |||
</quiz> | |||
|} | |} | ||
{{पहेली क्रम |पिछली=|अगली=[[पहेली अगस्त 2013]]}} | |||
[[Category:भारतकोश पहेली]] | [[Category:भारतकोश पहेली]] | ||
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