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{ | {'[[आकाशदीप -जयशंकर प्रसाद|आकाशदीप]]' कहानी के लेखक हैं? | ||
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-[[भगवतीचरण वर्मा]] | -[[भगवतीचरण वर्मा]] | ||
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+[[जयशंकर प्रसाद]] | +[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
-[[अमृत राय]] | -[[अमृत राय]] | ||
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]]जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। [[संस्कृत]], [[हिन्दी]], फ़ारसी, [[उर्दू]] के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|100px|right|जयशंकर प्रसाद]] जयशंकर प्रसाद की शिक्षा घर पर ही आरम्भ हुई। [[संस्कृत]], [[हिन्दी]], फ़ारसी, [[उर्दू]] के लिए शिक्षक नियुक्त थे। इनमें रसमय सिद्ध प्रमुख थे। प्राचीन संस्कृत ग्रन्थों के लिए दीनबन्धु ब्रह्मचारी शिक्षक थे। कुछ समय के बाद स्थानीय क्वीन्स कॉलेज में प्रसाद का नाम लिख दिया गया, पर यहाँ पर वे आठवीं कक्षा तक ही पढ़ सके।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जयशंकर प्रसाद]] | ||
{'[[रामचरितमानस]]' में कितने काण्ड हैं? | {'[[रामचरितमानस]]' में कितने काण्ड हैं? | ||
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|| [[चित्र:Logo-NSD.jpg|right|100px]] राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) [[रंगमंच]] का प्रशिक्षण देने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था है जो [[दिल्ली]] में है। इसकी स्थापना [[संगीत नाटक अकादमी]] ने 1959 में की थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]] | || [[चित्र:Logo-NSD.jpg|right|100px]] राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) [[रंगमंच]] का प्रशिक्षण देने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण संस्था है जो [[दिल्ली]] में है। इसकी स्थापना [[संगीत नाटक अकादमी]] ने 1959 में की थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]] | ||
{[[ | {[[श्रृंगार रस]] का स्थायी भाव है? | ||
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+रति | +रति | ||
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+[[तुलसीदास]] | +[[तुलसीदास]] | ||
-गिरिधर | -गिरिधर | ||
||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]]तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और | ||[[चित्र:Tulsidas-2.jpg|तुलसीदास|100px|right]] तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] | ||
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07:58, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- भाषा प्रांगण, हिन्दी भाषा
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