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+[[मुहम्मद रफ़ी]]
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-[[महेन्द्र कपूर]]
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||[[चित्र:Mohd.Rafi.jpg|150px|right|मुहम्मद रफ़ी]]'मुहम्मद रफ़ी' [[हिन्दी सिनेमा]] के श्रेष्ठतम पार्श्वगायकों में से एक थे, जिन्होंने क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए। अपनी आवाज़ की मधुरता और परास की अधिकता के लिए उन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई थी। इन्हें 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' भी कहा जाता था। [[मोहम्मद रफ़ी]] की आवाज़ में अद्भुत विस्तार था, जिसका संगीतकारों ने बख़ूबी इस्तेमाल किया। पूरी तीन पीढ़ियों तक अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी का कहना था कि- "आवाज़ तो खुदा की देन है।" क़रीब 25 कलाकारों को अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी के गीत सुनते ही लोग जान जाते थे कि यह गीत किस पर फ़िल्माया गया होगा। फिर चाहे वे [[गुरुदत्त]] हों, [[शम्मी कपूर]] हों या फिर [[जॉनी वॉकर]] हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद रफ़ी]]
||[[चित्र:Mohd.Rafi.jpg|100px|right|मुहम्मद रफ़ी]]'मुहम्मद रफ़ी' [[हिन्दी सिनेमा]] के श्रेष्ठतम पार्श्वगायकों में से एक थे, जिन्होंने क़रीब 40 साल के फ़िल्मी गायन में 25 हज़ार से अधिक गाने रिकॉर्ड करवाए। अपनी आवाज़ की मधुरता और परास की अधिकता के लिए उन्होंने अपने समकालीन गायकों के बीच अलग पहचान बनाई थी। इन्हें 'शहंशाह-ए-तरन्नुम' भी कहा जाता था। [[मोहम्मद रफ़ी]] की आवाज़ में अद्भुत विस्तार था, जिसका संगीतकारों ने बख़ूबी इस्तेमाल किया। पूरी तीन पीढ़ियों तक अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी का कहना था कि- "आवाज़ तो खुदा की देन है।" क़रीब 25 कलाकारों को अपनी आवाज़ देने वाले मोहम्मद रफ़ी के गीत सुनते ही लोग जान जाते थे कि यह गीत किस पर फ़िल्माया गया होगा। फिर चाहे वे [[गुरुदत्त]] हों, [[शम्मी कपूर]] हों या फिर [[जॉनी वॉकर]] हों।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मुहम्मद रफ़ी]]
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