"पेरुनजेरल इरंपोरई": अवतरणों में अंतर
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*इंरपोरई ने सामन्तों की राजधानी तडगूर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। | *इंरपोरई ने सामन्तों की राजधानी तडगूर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। | ||
*उसने विद्धान, अनेक [[यज्ञ]] को सम्पन्न कराने | *उसने विद्धान, अनेक [[यज्ञ]] को सम्पन्न कराने वाले एवं अनेक वीर पुत्रों का [[पिता]] होने का गौरव प्राप्त किया था। | ||
*इसने 'अमरयवरम्वन' की उपाधि ग्रहण की थी, जिसका अर्थ होता है- [[हिमालय]] तक सीमा वाला, | *इसने 'अमरयवरम्वन' की उपाधि ग्रहण की थी, जिसका अर्थ होता है- [[हिमालय]] तक सीमा वाला, अर्थात् उसने समस्त [[भारत]] पर विजय प्राप्त की तथा हिमालय पर [[चेर वंश]] का चिह्न अंकित किया। | ||
*इसकी राजधानी 'मरन्दई' थी। | *इसकी राजधानी 'मरन्दई' थी। | ||
*इरंपोरई का विरोधी तडगूर के राजा 'अदिगयमान' अथवा 'नडुमान' का महत्त्वपूर्ण कार्य था- दक्षिणी भू-भाग में सर्वप्रथम [[गन्ना|गन्ने]] की खेती को आरम्भ करवाना। | *इरंपोरई का विरोधी तडगूर के राजा 'अदिगयमान' अथवा 'नडुमान' का महत्त्वपूर्ण कार्य था- दक्षिणी भू-भाग में सर्वप्रथम [[गन्ना|गन्ने]] की खेती को आरम्भ करवाना। | ||
*इंरपोरई के विषय में कहा जाता है कि, उसने [[पाण्ड्य साम्राज्य]] तथा [[चोल वंश]] के शासकों से युद्ध किया और बहुत सा धन अपनी राजधानी वांजि (कुरुवुर) लाया। | *इंरपोरई के विषय में कहा जाता है कि, उसने [[पाण्ड्य साम्राज्य]] तथा [[चोल वंश]] के शासकों से युद्ध किया और बहुत-सा धन अपनी राजधानी वांजि (कुरुवुर) लाया। | ||
* | *टॉल्मी ने यहाँ अनेक [[रोमन साम्राज्य|रोमन]] सिक्के मिलने की बात कही है। | ||
*संगम कालीन कवियों ने इरंपोरई को अन्तिम चेर शासक माना है। | *संगम कालीन कवियों ने इरंपोरई को अन्तिम चेर शासक माना है। | ||
*किंतु लगभग 290 ई. में एक और अंतिम चेर शासक, जिसका नाम 'शेय' ([[हाथी]] की आँख वाला) एवं जिसकी उपाधि 'मांदरंजीजल इरंपोरई' थी, का उल्लेख मिलता है। | *किंतु लगभग 290 ई. में एक और अंतिम चेर शासक, जिसका नाम 'शेय' ([[हाथी]] की आँख वाला) एवं जिसकी उपाधि 'मांदरंजीजल इरंपोरई' थी, का उल्लेख मिलता है। | ||
*यह सुविख्यात | *यह सुविख्यात कवयित्री औवैयार का समर्थक तथा उसके सात संरक्षकों में से एक था। | ||
*औवैयार ने उसकी प्रशंसा में अनेक गीत लिखे हैं। | *औवैयार ने उसकी प्रशंसा में अनेक गीत लिखे हैं। | ||
*इसके अतिरिक्त [[चेर वंश]] के अन्य राजा 'गजमुखशीय' का नाम भी उल्लेखनीय है। उसे मान्दरंजीरल इरम्पोरई (210 ई.) की उपाधि मिली थी। | *इसके अतिरिक्त [[चेर वंश]] के अन्य राजा 'गजमुखशीय' का नाम भी उल्लेखनीय है। उसे मान्दरंजीरल इरम्पोरई (210 ई.) की उपाधि मिली थी। | ||
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08:09, 31 दिसम्बर 2017 के समय का अवतरण
- पेरुनजेरल इंरपोरई (लगभग 190 ई.), नेदुनजेरल आदन का पुत्र था।
- इंरपोरई ने सामन्तों की राजधानी तडगूर पर आक्रमण कर उसे जीत लिया।
- उसने विद्धान, अनेक यज्ञ को सम्पन्न कराने वाले एवं अनेक वीर पुत्रों का पिता होने का गौरव प्राप्त किया था।
- इसने 'अमरयवरम्वन' की उपाधि ग्रहण की थी, जिसका अर्थ होता है- हिमालय तक सीमा वाला, अर्थात् उसने समस्त भारत पर विजय प्राप्त की तथा हिमालय पर चेर वंश का चिह्न अंकित किया।
- इसकी राजधानी 'मरन्दई' थी।
- इरंपोरई का विरोधी तडगूर के राजा 'अदिगयमान' अथवा 'नडुमान' का महत्त्वपूर्ण कार्य था- दक्षिणी भू-भाग में सर्वप्रथम गन्ने की खेती को आरम्भ करवाना।
- इंरपोरई के विषय में कहा जाता है कि, उसने पाण्ड्य साम्राज्य तथा चोल वंश के शासकों से युद्ध किया और बहुत-सा धन अपनी राजधानी वांजि (कुरुवुर) लाया।
- टॉल्मी ने यहाँ अनेक रोमन सिक्के मिलने की बात कही है।
- संगम कालीन कवियों ने इरंपोरई को अन्तिम चेर शासक माना है।
- किंतु लगभग 290 ई. में एक और अंतिम चेर शासक, जिसका नाम 'शेय' (हाथी की आँख वाला) एवं जिसकी उपाधि 'मांदरंजीजल इरंपोरई' थी, का उल्लेख मिलता है।
- यह सुविख्यात कवयित्री औवैयार का समर्थक तथा उसके सात संरक्षकों में से एक था।
- औवैयार ने उसकी प्रशंसा में अनेक गीत लिखे हैं।
- इसके अतिरिक्त चेर वंश के अन्य राजा 'गजमुखशीय' का नाम भी उल्लेखनीय है। उसे मान्दरंजीरल इरम्पोरई (210 ई.) की उपाधि मिली थी।
- चोलों का प्राचीनतम उल्लेख कात्यायन ने किया है।
- ई.पू. दूसरी शती में 'एलारा' नामक चोल राजा ने श्रीलंका पर विजय प्राप्त की और लगभग 50 वर्षों तक वहाँ शासन किया।
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