"गांधारी से संवाद (1) -कुलदीप शर्मा": अवतरणों में अंतर
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अब जबकि बिल्कुल निहत्थे हो गए हो तुम | अब जबकि बिल्कुल निहत्थे हो गए हो तुम | ||
और शत्रु कर चुका है जयघोष | और शत्रु कर चुका है जयघोष | ||
लड़ना और भी | लड़ना और भी ज़रूरी हो गया है | ||
अब जबकि खण्ड खण्ड गिरी पड़ी है अस्मिता | अब जबकि खण्ड खण्ड गिरी पड़ी है अस्मिता | ||
और सारा युद्ध क्षेत्र | और सारा युद्ध क्षेत्र | ||
पंक्ति 39: | पंक्ति 39: | ||
जहां से लड़ा जा सके | जहां से लड़ा जा सके | ||
अपने पक्ष में | अपने पक्ष में | ||
लड़ना और भी | लड़ना और भी ज़रूरी हो गया है | ||
अब जबकि लगता है | अब जबकि लगता है | ||
कि लड़ाई का नहीं है कोई अर्थ | कि लड़ाई का नहीं है कोई अर्थ | ||
पंक्ति 59: | पंक्ति 59: | ||
झिलमिल उजाले में बदलने के लिए | झिलमिल उजाले में बदलने के लिए | ||
ज़रूरी है लड़ना | ज़रूरी है लड़ना | ||
बेशक बदल दिए है | बेशक बदल दिए है उन्होंने | ||
रातों रात युद्ध के सारे नियम | रातों रात युद्ध के सारे नियम | ||
अपने पक्ष में कर लिए हैं सारे शस्त्र | अपने पक्ष में कर लिए हैं सारे शस्त्र | ||
पंक्ति 66: | पंक्ति 66: | ||
जीती जा सकती है लड़ाई | जीती जा सकती है लड़ाई | ||
तुम सच मानो | तुम सच मानो | ||
कि लड़ना और भी | कि लड़ना और भी ज़रूरी हो गया है | ||
और यह भी कि | और यह भी कि | ||
हर लड़ाई जीत के लिए नहीं लड़ी जाती | हर लड़ाई जीत के लिए नहीं लड़ी जाती |
10:49, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
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