"मुक्तिनाथ": अवतरणों में अंतर
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यात्रा का मार्ग काफ़ी कठिन है। इसलिए यात्रा में आवश्यक सामान साथ ले जाना उचित है। जैसे- कम्बल, टार्च, गरम कपड़े, घड़ी, बरसाती, धूप का चश्मा, वेसलीन, खटाई, दस्ता ने आवश्यक हैं। | यात्रा का मार्ग काफ़ी कठिन है। इसलिए यात्रा में आवश्यक सामान साथ ले जाना उचित है। जैसे- कम्बल, टार्च, गरम कपड़े, घड़ी, बरसाती, धूप का चश्मा, वेसलीन, खटाई, दस्ता ने आवश्यक हैं। | ||
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मुक्तिनाथ में [[नारायणी नदी|नारायणी]]<ref>गण्डकी</ref> नदी में सात झरने गरम पानी के हैं। नदी के उद्गम के समीप अग्नि ज्वाला दिखती है। यहाँ कई मंदिर तथा धर्मशालायें हैं। मुक्तिनाथ 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ [[सती]] का दाहिना गण्डस्थल गिरा था। यहाँ मार्ग में ठहरने के स्थान तथा ग्राम | मुक्तिनाथ में [[नारायणी नदी|नारायणी]]<ref>गण्डकी</ref> नदी में सात झरने गरम पानी के हैं। नदी के उद्गम के समीप अग्नि ज्वाला दिखती है। यहाँ कई मंदिर तथा धर्मशालायें हैं। मुक्तिनाथ 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ [[सती]] का दाहिना गण्डस्थल गिरा था। यहाँ मार्ग में ठहरने के स्थान तथा ग्राम बाज़ार मिलते हैं<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम= हिन्दूओं के तीर्थ स्थान|लेखक= सुदर्शन सिंह 'चक्र'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=|संकलन=|संपादन=|पृष्ठ संख्या=59|url=}}</ref>। | ||
10:52, 2 जनवरी 2018 के समय का अवतरण
मुक्तिनाथ नेपाल की राजधानी काठमांडू से 140 मील की दूरी पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थस्थान है। यह शालग्राम क्षेत्र है। दान भंसार से ही गंडकी के तट पर तथा पर्वत पर शालग्राम शिला मिलने लगती हैं।
यात्रा का समय
मुक्तिनाथ हिमप्रदेशीय यात्रा है। अतः मई से सितंबर तक इस यात्रा का अनुकूल समय है। दामोदर कुंड की यात्रा अगस्त-सितंबर में करना उचित है।
यात्रा के लिए ज़रूरी सामान
यात्रा का मार्ग काफ़ी कठिन है। इसलिए यात्रा में आवश्यक सामान साथ ले जाना उचित है। जैसे- कम्बल, टार्च, गरम कपड़े, घड़ी, बरसाती, धूप का चश्मा, वेसलीन, खटाई, दस्ता ने आवश्यक हैं।
मार्ग स्थिति
काठमांडू से मुक्तिनाथ 140 मील दूर है। काठमांडू या गोरखपुर से पोखरा तक हवाई जहाज या मोटर बस से जाना चाहिए। पैदल मार्ग पोखरा से इस प्रकार है-
- नागडांडा – 7 मील
- घोरे पानी – 9 मील
- दानभंसार – 9 मील
- टुकचे बाज़ार – 11 मील
- मुक्तिनाथ – 12 मील
मुक्तिनाथ में नारायणी[1] नदी में सात झरने गरम पानी के हैं। नदी के उद्गम के समीप अग्नि ज्वाला दिखती है। यहाँ कई मंदिर तथा धर्मशालायें हैं। मुक्तिनाथ 51 शक्तिपीठों में से एक है। यहाँ सती का दाहिना गण्डस्थल गिरा था। यहाँ मार्ग में ठहरने के स्थान तथा ग्राम बाज़ार मिलते हैं[2]।
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