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| <quiz display=simple> | | <quiz display=simple> |
| {स्वतंत्र [[भारत]] के प्रथम महाराज्यपाल ([[गवर्नर जनरल]]) कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-18 | | {[[महाभारत]] में [[कीचक वध]] किस पर्व के अंतर्गत आता है? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -लॉर्ड एटली | | +[[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]] |
| +[[लॉर्ड माउंटबेटन]]
| | -[[अनुशासन पर्व महाभारत|अनुशासन पर्व]] |
| -[[सी. राजगोपालाचारी]] | | -[[आदि पर्व महाभारत |आदि पर्व]] |
| -[[राजेन्द्र प्रसाद]] | | -[[वन पर्व महाभारत|वन पर्व]] |
| ||[[लॉर्ड माउण्टबेटेन]] का मूल नाम 'लुई फ़्राँसिस एल्बर्ट विक्टर निकोलस' था। वह ब्रिटिश राजनेता, नौसेना प्रमुख और [[भारत]] के अन्तिम वाइसराय थे। उन्होंने [[15 अगस्त]], [[1947]] ई. को भारत का, भारत तथा [[पाकिस्तान]] के रूप में विभाजन करके ब्रिटिश हाथों से भारतीय हाथों में सत्ता हस्तान्तरण के कार्य में भारी युक्तिकौशल, चुस्ती तथा राजनीतिक सूझ-बूझ का परिचय दिया। वे भारत के नये राज्य के [[गवर्नर-जनरल]] नियुक्त हुए। इस हैसियत से उन्होंने देशी राजाओं को अपनी रियासतों को भारत संघ अथवा पाकिस्तान में विलयन करने के लिए प्रेरित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड माउंटबेटन]] | | ||[[विराट पर्व महाभारत|विराट पर्व]] में [[अज्ञातवास]] की अवधि में [[विराट नगर]] में रहने के लिए गुप्तमन्त्रणा, धौम्य द्वारा उचित आचरण का निर्देश, [[युधिष्ठिर]] द्वारा भावी कार्यक्रम का निर्देश, विभिन्न नाम और रूप से विराट के यहाँ निवास, [[भीमसेन]] द्वारा जीमूत नामक मल्ल तथा [[कीचक]] और उपकीचकों का वध, [[दुर्योधन]] के गुप्तचरों द्वारा [[पाण्डव|पाण्डवों]] की खोज तथा लौटकर [[कीचक वध]] की जानकारी देना, त्रिगर्तों और [[कौरव|कौरवों]] द्वारा [[मत्स्य]] देश पर आक्रमण, कौरवों द्वारा [[विराट]] की गायों का हरण, पाण्डवों का कौरव-सेना से युद्ध, [[अर्जुन]] द्वारा विशेष रूप से युद्ध और कौरवों की पराजय, अर्जुन और कुमार उत्तर का लौटकर विराट की सभा में आना, विराट का युधिष्ठिरादि पाण्डवों से परिचय तथा अर्जुन द्वारा [[उत्तरा]] को पुत्रवधू के रूप में स्वीकार करना वर्णित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[विराट पर्व महाभारत]], [[कीचक वध]] |
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| {[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के त्रिपुरी सम्मेलन में वर्ष [[1939]] में [[सुभाष चन्द्र बोस]] को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया था। यह त्रिपुरी कहाँ है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-96 | | {[[महाभारत]] युद्ध में कौन-से दिन [[श्रीकृष्ण]] ने [[शस्त्र]] न उठाने की अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ा? |
| |type="()"} | | |type="()"} |
| -[[कलकत्ता]] | | -[[महाभारत युद्ध आठवाँ दिन|आठवें दिन]] |
| -[[पुणे]] | | -[[महाभारत युद्ध दसवाँ दिन|दसवें दिन]] |
| +[[जबलपुर]]
| | -[[महाभारत युद्ध ग्यारहवाँ दिन|ग्यारहवें दिन]] |
| -[[अहमदाबाद]]
| | +[[महाभारत युद्ध नौवाँ दिन|नौवें दिन]] |
| ||[[जबलपुर]] शहर [[मध्य प्रदेश]] राज्य, [[मध्य भारत]] में स्थित है। यह [[नर्मदा नदी]] के उत्तर में निचली पहाड़ियों से घिरे चट्टानी बेसिन में झीलों और मंदिरों के बीच स्थित है। इस नगर में उच्च-न्यायालय भी स्थित है। जबलपुर में साक्षरता, [[संस्कृति]], सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों की लंबी परंम्परा रही है। जबलपुर [[अंग्रेज़ी]], [[हिन्दी]] और [[उर्दू]] के कई लेखकों, प्रकाशकों व मुद्रकों का आवास क्षेत्र रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जबलपुर]] | | ||[[महाभारत युद्ध नौवाँ दिन|नौवें दिन]] के युद्ध में [[भीष्म]] के [[बाण अस्त्र|बाणों]] से [[अर्जुन]] घायल हो गए। भीष्म की भीषण बाण-वर्षा से [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] के अंग भी जर्जर हो गए। तब श्रीकृष्ण अपनी प्रतिज्ञा भूलकर रथ का एक चक्र उठाकर भीष्म को मारने के लिए दौड़े। अर्जुन भी रथ से कूदे और कृष्ण के पैरों से लिपट पड़े। वे श्रीकृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा का स्मरण दिलाते हैं कि वे युद्ध में [[अस्त्र शस्त्र|अस्त्र-शस्त्र]] नहीं उठायेंगे। |
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| {[[इंडियन एसोसिएशन]] ने किस मुद्दे पर सर्वप्रथम आंदोलन शुरू किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-97,प्रश्न-47
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| +[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] के नियम में सुधार और परीक्षा में बैठने की अधिकतम उम्र बढ़ाने के लिए
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| -शस्त्र अधिनियम और भारतीय भाषा प्रेस अधिनियम
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| -जमींदारों द्वारा प्रताड़ित काश्तकारों के साथ सहयोग
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| -[[अंग्रेज|अंग्रेजों]] द्वारा [[चाय]] की खेती में लगाये गये मजदूरों की दयनीय स्थिति
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| ||[[भारतीय प्रशासनिक सेवा]] वह प्रशासकीय सेवा है जिसे [[ईस्ट इंडिया कम्पनी]] ने [[भारत]] में अपना प्रशासन चलाने के लिए चालू किया था। पहले इसका नाम '''कम्पनी राज की सिविल सर्विस''' था, बाद में इसका नाम बदलकर '''भारतीय प्रशासनिक सेवा (इण्डियन सिविल सर्विस)''' रखा गया। इसका आरम्भ अत्यन्त छोटे रूप में हुआ। व्यापारियों की संस्था के रूप में कम्पनी ने अपनी सेवा में [[अंग्रेज़]] युवकों को लिपिक के पद पर नियुक्त किया। ये ब्रिटिश युवक आम तौर से प्रबन्धकों द्वारा मनोनीत होते थे और कम्पनी के शेयर होल्डरों से रिश्तेदारी के आधार पर चुने जाते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]
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| {[[ग़दर पार्टी]] के एक प्रमुख नेता कौन थे? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-98,प्रश्न-7
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| -पी. मित्रा
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| +[[लाला हरदयाल]]
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| -[[बाल गंगाधर तिलक]]
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| -[[बिपिन चन्द्र पाल]]
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| ||[[ग़दर पार्टी]] की स्थापना [[25 जून]], [[1913]] ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म [[अमेरिका]] के सैन फ्रांसिस्को के 'एस्टोरिया' में अंग्रेज़ी साम्राज्य को जड़ से उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। ग़दर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष [[सोहन सिंह भकना]] थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), [[लाला हरदयाल]] (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘ग़दर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘ग़दर पार्टी’ रखा गया था। ‘ग़दर’ पत्र ने संसार का ध्यान [[भारत]] में [[अंग्रेज़|अंग्रेज़ों]] के द्वारा किए जा रहे अत्याचार की ओर दिलाया। नई पार्टी की कनाडा, [[चीन]], [[जापान]] आदि में शाखाएँ खोली गईं। लाला हरदयाल इसके महासचिव थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ग़दर पार्टी]], [[लाला हरदयाल]]
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| {किसने [[अकबर]] को 'जिल्ल-ए-एलाही' (खुदा की परछाईं) एवं 'फर्र-ए-इज्दी' (खुदा से निकलने वाली रोशनी) कहा? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-186
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| +[[अबुल फ़ज़ल]]
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| -फैजी
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| -[[बदायूंनी]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[अबुल फ़ज़ल]] शेख़ मुबारक़ नागौरी का द्वितीय पुत्र था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान् था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। अबुल फ़ज़ल रात्रि में दरवेशों के यहाँ जाते, उनमें अशर्फ़ियाँ बाँटते और अपने धर्म के लिए उनसे दुआ माँगते थे। वह बहुत वर्षों तक [[अकबर]] का विश्वासपात्र वज़ीर और सलाहकार रहा। वह केवल दरबारी और आला अफ़सर ही नहीं था, वरन् बड़ा विद्वान् था और उसने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं। उसकी [[आइना-ए-अकबरी]] में अकबर के साम्राज्य का विवरण मिलता है और अकबरनामा में उसने अकबर के समय का इतिहास लिखा है। उसका भाई [[फ़ैज़ी]] भी अकबर का दरबारी शायर था। '1602 ई. में [[बुन्देला]] राजा वीरसिंहदेव ने शहज़ादा [[सलीम]] के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अबुल फ़ज़ल]], [[सलीम]]
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| {[[बाबर]] ने प्रसिद्ध 'गुलुगमा नीति' का प्रयोग सर्वप्रथम किस युद्ध में किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-3
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| -[[खानवा का युद्ध|खानवा के युद्ध]]
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| -[[घाघरा का युद्ध|घाघरा के युद्ध]]
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| +[[पानीपत युद्ध|पानीपत के युद्ध]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||1526 ई. में [[पानीपत]] के प्रथम युद्ध में [[दिल्ली सल्तनत]] के अंतिम वंश ([[लोदी वंश]]) के सुल्तान [[इब्राहीम लोदी]] की पराजय के साथ ही [[भारत]] में [[मुग़ल वंश]] की स्थापना हो गई। इस वंश का संस्थापक "ज़हीरुद्दीन मुहम्मद बाबर" था। बाबर का पिता 'उमर शेख़ मिर्ज़ा', 'फ़रग़ना' का शासक था, जिसकी मृत्यु के बाद बाबर राज्य का वास्तविक अधिकारी बना। पारिवारिक कठिनाईयों के कारण वह मध्य [[एशिया]] के अपने पैतृक राज्य पर शासन नहीं कर सका। उसने केवल 22 वर्ष की आयु में [[क़ाबुल]] पर अधिकार कर [[अफ़ग़ानिस्तान]] में राज्य क़ायम किया था। वह 22 वर्ष तक क़ाबुल का शासक रहा। उस काल में उसने अपने पूर्वजों के राज्य को वापिस पाने की कई बार कोशिश की, पर सफल नहीं हो सका।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बाबर]], [[पानीपत युद्ध]]
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| {निम्नलिखित में से किसने [[अकबर]] की जीवन कथा लिखी थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-17
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| +[[अबुल फ़ज़ल]]
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| -फैजी
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| -[[अब्दुलनवी ख़ाँ|अब्दुल नबी खाँ]]
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| -[[बीरबल]]
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| ||[[अबुल फ़ज़ल]] शेख़ मुबारक़ नागौरी का द्वितीय पुत्र था। वह बहुत पढ़ा-लिखा और विद्वान् था और उसकी विद्वता का लोग आदर करते थे। अबुल फ़ज़ल रात्रि में दरवेशों के यहाँ जाते, उनमें अशर्फ़ियाँ बाँटते और अपने धर्म के लिए उनसे दुआ माँगते थे। वह बहुत वर्षों तक [[अकबर]] का विश्वासपात्र वज़ीर और सलाहकार रहा। वह केवल दरबारी और आला अफ़सर ही नहीं था, वरन् बड़ा विद्वान् था और उसने अनेक पुस्तकें भी लिखी थीं। उसकी [[आइना-ए-अकबरी]] में अकबर के साम्राज्य का विवरण मिलता है और अकबरनामा में उसने अकबर के समय का इतिहास लिखा है। उसका भाई [[फ़ैज़ी]] भी अकबर का दरबारी शायर था। '1602 ई. में [[बुन्देला]] राजा वीरसिंहदेव ने शहज़ादा [[सलीम]] के उकसाने से अबुल फ़ज़ल की हत्या कर डाली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अबुल फ़ज़ल]], [[सलीम]]
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| {निम्नलिखित में किसने अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर यूनियन/एसोसिएशन ([[1918]]) की स्थापना की? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-90,प्रश्न-92
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| -[[सरदार वल्लभाई पटेल]]
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| -[[एन. एम. जोशी]]
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| -[[जे. बी. कृपलानी]]
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| +[[महात्मा गाँधी]]
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| ||[[महात्मा गाँधी]] को [[ब्रिटिश शासन]] के ख़िलाफ़ [[भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन]] का नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। राजनीतिक और सामाजिक प्रगति की प्राप्ति हेतु अपने अहिंसक विरोध के सिद्धांत के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई। मोहनदास करमचंद गाँधी [[भारत]] एवं [[भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन]] के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। '[[साबरमती आश्रम]]' से उनका अटूट रिश्ता था। इस आश्रम से महात्मा गाँधी आजीवन जुड़े रहे, इसीलिए उन्हें 'साबरमती का संत' की उपाधि भी मिली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[महात्मा गाँधी]]
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| {किस वायसराय के शासनकाल में पहला 'फ़ैक्ट्री अधिनियम' पारित किया गया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-87,प्रश्न-06
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| -[[लॉर्ड कर्ज़न]]
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| -[[लॉर्ड लिटन]]
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| +[[लॉर्ड रिपन]]
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| -[[लॉर्ड कैनिंग]]
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| ||[[लॉर्ड रिपन]] का पूरा नाम 'जॉर्ज फ़्रेडरिक सैमुअल राबिन्सन' था। यह [[1880]] ई. में [[लॉर्ड लिटन प्रथम]] के बाद [[भारत]] के [[वायसराय]] बनकर आये थे। अपने से पहले आये सभी वायसरायों की तुलना में यह अधिक उदार थे। लॉर्ड रिपन के समय में भारत एक तरफ धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक जागरण की स्थिति से गुज़र रहा था, वहीं दूसरी ओर लिटन प्रथम के कार्यों से भारतीय जनता कराह रही थी। प्रथम फ़ैक्ट्री अधिनियम, 1881 ई. रिपन द्वारा ही लाया गया। अधिनियम के अन्तर्गत यह व्यवस्था की गई कि, जिस कारखाने में सौ से अधिक श्रमिक कार्य करते हैं, वहाँ पर 7 वर्ष से कम आयु के बच्चे काम नहीं कर सकेंगे। 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए काम करने के लिए घण्टे तय कर दिये गये और इस क़ानून के पालन के लिए एक निरीक्षक को नियुक्त कर दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[लॉर्ड रिपन]]
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| {[[छोटा नागपुर]] में जनजाति विद्रोह कब हुआ था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-87,प्रश्न-29
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| -1808-09 ई.
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| +1820 ई.
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| -1858-59 ई.
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| -1889 ई.
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| ||[[छोटा नागपुर]] [[भारत]] में स्थित एक पठार है जिसका ज़्यादातर हिस्सा [[झारखंड]] और कुछ हिस्से [[उड़ीसा]], [[बिहार]] और [[छत्तीसगढ़]] में फैले हुये हैं। यह पठार पूर्व कैंब्रियन युगीन (5,4000,000, वर्ष से भी अधिक पुरानी) चट्टानों से बना है। [[रांची]], [[हज़ारीबाग़]] और कोडरमा के पठारों का संयुक्त नाम ही छोटा नागपुर है। इसकी मुख्य विशेषताओं में से एक 'पाट भूमि' है। इसे 'भारत का रूर' भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ संसाधनों की प्रचुरता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[छोटा नागपुर]]
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