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||[[पाब्लो पिकासो]] व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पाब्लो पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित है। इससे | ||[[पाब्लो पिकासो]] व ब्राक ने घनवाद को विकसित किया। संभवत: घनवाद का उदय ([[1907]] ई.) पाब्लो पिकासो के सुविख्यात चित्र 'एविगनन की स्त्रियां' (सुंदरियां) (1907 ई.) से हुआ जो कि घनवाद का प्रथम चित्र माना जाता है। यह चित्र एविगनन के वेश्यालय से संबंधित है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पाब्लो पिकासो का चित्र 'बेंत की कुर्सी पर वस्तु समूह' ([[1912]]) घनवाद की प्रथम कोलाज कृति है। (2) आकारों के सामर्थ्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पाब्लो पिकासो ने चमकीले रंगों को छोड़कर [[भूरा रंग|भूरे रंगों]] का प्रयोग किया। (3) पाब्लो पिकासो ने चित्रकला के अतिरिक्त [[मूर्तिकला]], एंग्रेविंग, लीथोग्राफी, सरैमिक्स, कोलाज आदि भिन्न माध्यमों से उत्कृष्ट कलाकृतियों का निर्माण किया। (4) मजाकिया, मुर्गा, धातु की रचना, बिल्ली, बकरी तथा भेड़ वाला आदमी आदि पाब्लो पिकासो के मूर्ति शिल्प हैं। (5) पाब्लो पिकासो के प्रमुख चित्र हैं- वायलिन, माता व बालक (मैटरनिटी), युद्ध, शांति आदि। | ||
{[[भारत]] में [[रामचंद्र शुक्ल (चित्रकार)|प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल]] किस भारतीय समकालीन कला से सम्बन्धित हैं? | {[[भारत]] में [[रामचंद्र शुक्ल (चित्रकार)|प्रोफेसर रामचंद्र शुक्ल]] किस भारतीय समकालीन कला से सम्बन्धित हैं? |
07:08, 2 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
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