"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 353": अवतरणों में अंतर
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||'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र' झाला जी की हवेली' में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त कोटा शैली के भित्ति-चित्र 'राजमहल' तथा 'देवता जी' की हवेली में भी देखने को मिलते हैं। इससे | ||'कोटा शैली' के उत्कृष्ट भित्ति-चित्र' झाला जी की हवेली' में देखने को मिलते हैं। इसके अतिरिक्त कोटा शैली के भित्ति-चित्र 'राजमहल' तथा 'देवता जी' की हवेली में भी देखने को मिलते हैं। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) [[राजस्थानी चित्रकला|राजस्थान शैली]] के लघु चित्र [[काग़ज़]] की मोटी तह (वसली) पर बनाए जाते थे। (2) कोटा शैली के पुष्टि मार्ग कथा प्रसंगों को अधिकांश 'रघुनाथ' तथा गोविंद नामक कलाकारों ने चिन्हित किया। | ||
{[[अकबर]] ने किस राज्य पर अपनी विजय के स्मारक के रूप में [[बुलंद दरवाज़ा]] बनवाया था? | {[[अकबर]] ने किस राज्य पर अपनी विजय के स्मारक के रूप में [[बुलंद दरवाज़ा]] बनवाया था? | ||
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-[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]] | -[[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल शैली]] | ||
-आधुनिक शैली | -आधुनिक शैली | ||
||प्रकृति चित्रण को [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी चित्र शैली]] में अत्यधिक महत्त्व प्रदान किया गया। पहाड़ी शैली के अंतर्गत 'बारहमासा' का अंकन किया गया है, जिसमें [[चैत्र|चैत्र माह]] से लेकर [[फाल्गुन|फाल्गुन माह]] तक की प्रकृति की शोभा को केंद्रित करके चित्रण किया गया है। इससे | ||प्रकृति चित्रण को [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी चित्र शैली]] में अत्यधिक महत्त्व प्रदान किया गया। पहाड़ी शैली के अंतर्गत 'बारहमासा' का अंकन किया गया है, जिसमें [[चैत्र|चैत्र माह]] से लेकर [[फाल्गुन|फाल्गुन माह]] तक की प्रकृति की शोभा को केंद्रित करके चित्रण किया गया है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पहाड़ी शैली में [[बसंत ऋतु|बसंत माह]] की शोभा का भी चित्रण प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त पर्वतों, नदी, काले बादल, नीले-आकाश, वन-उपवन, उद्यान तथा वाटिकाओं का मनोहारी अंकन प्राप्त होता है। | ||
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07:08, 2 फ़रवरी 2018 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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