"पहेली 12 मार्च 2018": अवतरणों में अंतर

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-[[जयप्रकाश नारायण]]
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+[[स्वामी सहजानंद सरस्वती]]
+[[स्वामी सहजानंद सरस्वती]]
||[[चित्र:Swami Sahajanand Saraswati.jpg|right|100px|border|स्वामी सहजानंद सरस्वती]]'स्वामी सहजानंद सरस्वती' [[भारत]] के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे भारत में 'किसान आन्दोलन के जनक' थे। [[स्वामी सहजानंद सरस्वती]] आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के '[[दसनामी संन्यासी]]' अखाड़े के दण्डी संन्यासी थे। वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, [[इतिहासकार]] एवं किसान-नेता थे। उन्होंने [[कांग्रेस]] में रहते हुए किसानों को हक दिलाने के लिए संघर्ष को ही जीवन का लक्ष्य घोषित किया था। उन्होंने नारा दिया था- "कैसे लोगे मालगुजारी, लट्ठ हमारा ज़िन्दाबाद"। बाद में यहीं नारा [[किसान आंदोलन]] का सबसे प्रिय नारा बन गया। वे कहते थे- "अधिकार हम लड़ कर लेंगे और जमींदारी का खात्मा करके रहेंगे।" स्वामी जी का ओजस्वी भाषण किसानों पर गहरा असर डालता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी सहजानंद सरस्वती]]
||[[चित्र:Swami Sahajanand Saraswati.jpg|right|100px|border|स्वामी सहजानंद सरस्वती]]'स्वामी सहजानंद सरस्वती' [[भारत]] के राष्ट्रवादी नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे भारत में 'किसान आन्दोलन के जनक' थे। [[स्वामी सहजानंद सरस्वती]] आदि शंकराचार्य सम्प्रदाय के '[[दसनामी संन्यासी]]' अखाड़े के दण्डी संन्यासी थे। वे एक बुद्धिजीवी, लेखक, समाज-सुधारक, क्रान्तिकारी, [[इतिहासकार]] एवं किसान-नेता थे। उन्होंने [[कांग्रेस]] में रहते हुए किसानों को हक दिलाने के लिए संघर्ष को ही जीवन का लक्ष्य घोषित किया था। उन्होंने नारा दिया था- '''कैसे लोगे मालगुजारी, लट्ठ हमारा ज़िन्दाबाद'''। बाद में यही नारा [[किसान आंदोलन]] का सबसे प्रिय नारा बन गया। वे कहते थे- "अधिकार हम लड़ कर लेंगे और ज़मींदारी का खात्मा करके रहेंगे।" स्वामी जी का ओजस्वी भाषण किसानों पर गहरा असर डालता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वामी सहजानंद सरस्वती]]
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