"पहेली 13 अप्रॅल 2018": अवतरणों में अंतर

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-[[जयशंकर प्रसाद]]
-[[जयशंकर प्रसाद]]
-[[प्रताप नारायण मिश्र]]
-[[प्रताप नारायण मिश्र]]
||[[चित्र:Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg|right|100px|border|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]'अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'' का नाम [[खड़ी बोली]] को काव्य भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले कवियों में बहुत आदर से लिया जाता है। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में [[1890]] के आसपास [[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|अयोध्यासिंह उपाध्याय]] ने साहित्य सेवा के क्षेत्र में पदार्पण किया। उपाध्याय जी की प्रतिभा का विकास वस्तुत: कवि रूप में हुआ। खड़ी बोली का प्रथम महाकवि होने का श्रेय 'हरिऔध' जी को है। 'हरिऔध' के उपनाम से उन्होंने अनेक छोटे-बड़े काव्यों की सृष्टि की, जिनकी संख्या पन्द्रह से ऊपर है। अयोध्यासिंह उपाध्याय खड़ी बोली काव्य के निर्माताओं में आते हैं। उन्होंने अपने कविकर्म का शुभारम्भ [[ब्रजभाषा]] से किया था। 'रसकलश' की कविताओं से पता चलता है कि इस [[भाषा]] पर उनका अच्छा अधिकार था, किन्तु उन्होंने समय की गति शीघ्र ही पहचान ली और खड़ी बोली काव्य-रचना करने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
||[[चित्र:Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg|right|100px|border|अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]'अयोध्यासिंह उपाध्याय' का नाम [[खड़ी बोली]] को काव्य भाषा के पद पर प्रतिष्ठित करने वाले कवियों में बहुत आदर से लिया जाता है। 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में [[1890]] के आसपास [[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध'|अयोध्यासिंह उपाध्याय]] ने साहित्य सेवा के क्षेत्र में पदार्पण किया। उपाध्याय जी की प्रतिभा का विकास वस्तुत: कवि रूप में हुआ। खड़ी बोली का प्रथम महाकवि होने का श्रेय 'हरिऔध' जी को है। 'हरिऔध' के उपनाम से उन्होंने अनेक छोटे-बड़े काव्यों की सृष्टि की, जिनकी संख्या पन्द्रह से ऊपर है। अयोध्यासिंह उपाध्याय खड़ी बोली काव्य के निर्माताओं में आते हैं। उन्होंने अपने कविकर्म का शुभारम्भ [[ब्रजभाषा]] से किया था। 'रसकलश' की कविताओं से पता चलता है कि इस [[भाषा]] पर उनका अच्छा अधिकार था, किन्तु उन्होंने समय की गति शीघ्र ही पहचान ली और खड़ी बोली काव्य-रचना करने लगे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
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