"हस्तशिल्प": अवतरणों में अंतर
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'''हस्तशिल्प''' से अभिप्राय है "हाथ के कौशल से तैयार किए गए वे रचनात्मक उत्पाद, जिनके लिए किसी आधुनिक मशीनरी और उपकरणों की मदद नहीं ली जाती।" आजकल हस्त-निर्मित उत्पादों को फैशन और विलासिता की वस्तु माना जाता है। | '''हस्तशिल्प''' से अभिप्राय है "हाथ के कौशल से तैयार किए गए वे रचनात्मक उत्पाद, जिनके लिए किसी आधुनिक मशीनरी और उपकरणों की मदद नहीं ली जाती।" आजकल हस्त-निर्मित उत्पादों को फैशन और विलासिता की वस्तु माना जाता है। | ||
==सांस्कृतिक विरासत== | ==सांस्कृतिक विरासत== |
06:27, 25 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
हस्तशिल्प से अभिप्राय है "हाथ के कौशल से तैयार किए गए वे रचनात्मक उत्पाद, जिनके लिए किसी आधुनिक मशीनरी और उपकरणों की मदद नहीं ली जाती।" आजकल हस्त-निर्मित उत्पादों को फैशन और विलासिता की वस्तु माना जाता है।
सांस्कृतिक विरासत
भारत की भव्य सांस्कृतिक विरासत और सदियों से क्रमिक रूप से विकास कर रही इस परम्परा की झलक देश भर में निर्मित हस्तशिल्प की भरपूर वस्तुओं में दिखाई पड़ती है। हस्तशिल्प इन वस्तुओं को तैयार करने वाले परम्परावादी कारीगरों की सांस्कृतिक पहचान का दर्पण है। युगों से भारत के हस्तशिल्प जैसे कि कश्मीरी ऊनी कालीन, ज़री की कढ़ाई किए गए वस्त्र, पक्की मिट्टी (टेराकोटा) और सेरामिक के उत्पाद, रेशम के वस्त्र आदि, ने अपनी विलक्षणता को कायम रखा है। प्राचीन समय में इन हस्तशिल्पों को 'सिल्क रूट' (रेशम मार्ग) के रास्ते यूरोप, अफ़्रीका, पश्चिम एशिया और दूरवर्ती पूर्व के दूरस्थ देशों को निर्यात किया जाता था। कालातीत भारतीय हस्तशिल्पों की यह समूची सम्पत्ति हर युग में बनी रही है। इन शिल्पों में भारतीय संस्कृति का जादुई आकर्षण है, जो इसकी अनन्यता, सौन्दर्य, गौरव और विशिष्टता का विश्वास दिलाता है।
श्रेणियाँ
भारतीय हस्तशिल्प को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
- लोक शिल्प
- आध्यात्मिक शिल्प
- वाणिज्यिक शिल्प
लोकप्रिय शिल्प जिनमें बाजार की मांग के अनुरूप संशोधन किया जाता है, वाणिज्यिक शिल्प बन जाता है। भारत के विविध पारम्परिक वर्गों के धर्मों से जुड़े रीति-रिवाज़ों के अनुरूप करोड़ों हस्तशिल्प तैयार किए गए हैं। कुछ हस्तशिल्प तो मूल रूप से धार्मिक प्रयोजनों के लिए ही बनाए जाते हैं, लेकिन फिर भी वे अपनी सुन्दरता के कारण लोगों द्वारा बहुत पसन्द किए जाते हैं।
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