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'''कल्याणिनेय''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रयोग किया जाने वाला एक शब्द था। तत्कालीन समय में रूपवती [[माता]] का पुत्र 'कल्याणिनेय' कहलाता था।<ref>4।1।126</ref>
'''कल्याणिनेय''' पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रयोग किया जाने वाला एक शब्द था। तत्कालीन समय में रूपवती [[माता]] का पुत्र 'कल्याणिनेय' कहलाता था।<ref>4।1।126</ref><ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=पाणिनीकालीन भारत|लेखक=वासुदेवशरण अग्रवाल|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=101|url=}}</ref>




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कल्याणिनेय पाणिनिकालीन भारतवर्ष में प्रयोग किया जाने वाला एक शब्द था। तत्कालीन समय में रूपवती माता का पुत्र 'कल्याणिनेय' कहलाता था।[1][2]


इन्हें भी देखें: पाणिनि, अष्टाध्यायी एवं भारत का इतिहास


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 4।1।126
  2. पाणिनीकालीन भारत |लेखक: वासुदेवशरण अग्रवाल |प्रकाशक: चौखम्बा विद्याभवन, वाराणसी-1 |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 101 |

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