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'''सत्यपाल''' का उल्लेख [[हिन्दू]] पौराणिक [[ग्रंथ]] [[महाभारत]] में हुआ है। [[महाभारत सभा पर्व]] के अनुसार ये एक [[ऋषि]] थे, जो [[युधिष्ठिर]] की सभा में विराजते थे।<ref>महाभारत सभा पर्व 4.14</ref>
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==परिचय==
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सत्यपाल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- सत्यपाल (बहुविकल्पी)

सत्यपाल (जन्म- 1885, वजीराबाद, पश्चिमी पंजाब; मृत्यु- 1954) पंजाब के प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। वे पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष पद पर भी रहे। वे द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में घायलों की चिकित्सा की खातिर सेना में भर्ती हो गए थे।

परिचय

पंजाब के प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता डॉ. सत्यपाल का जन्म पश्चिमी पंजाब के वजीराबाद नामक स्थान में 1885 ई. में एक खत्री परिवार में हुआ था। उन्होंने 1908 ई. में लाहौर मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. की परीक्षा पास की और चिकित्सा कार्य के साथ ही सार्वजनिक कार्यों में रुचि लेने लगे। रौलट एक्ट के विरोध में गांधी जी ने देश में जो आंदोलन आरंभ किया था, उसे पंजाब में आगे बढ़ाने में डॉ. सत्यपाल और उनके साथी डॉ. सैफुद्दीन किचलू ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड से पहले ही सरकार ने इन दोनों नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था।[1]

शांतिपूर्ण समाधान

सत्यपाल शांतिपूर्ण तरीके से देश की पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्ति में विश्वास रखते थे। 1919 की अमृतसर कांग्रेस में वे गांधी जी, जवाहरलाल नेहरू आदि नेताओं के संपर्क में आए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के समर्थन के लिए लाहौर से उर्दू में 'कांग्रेस' नाम का एक पत्र भी प्रकाशित किया था।

क्रियाकलाप

द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान घायलों की चिकित्सा करने के लिए वे डॉक्टर की हैसियत से सेना में भर्ती हो गए थे। पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष पद पर भी उन्होंने कार्य किया। वे आंदोलनों में भाग लेने के कारण कई बार जेल गये। वे 1919 से पंजाब के राष्ट्रवादी नेता के रूप में प्रसिद्ध थे।

मृत्यु

पंजाब के प्रसिद्ध राष्ट्रीय नेता डॉ. सत्यपाल का 1954 में स्वर्गवास हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |पृष्ठ संख्या: 886 |

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