"पहेली फ़रवरी 2018": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Barindra-ghose.jpg|right|100px|border|बारीन्द्र कुमार घोष]]'बारीन्द्र कुमार घोष' [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे। उनको 'बारिन घोष' के नाम से भी जाना जाता है। [[बारीन्द्र कुमार घोष]] अध्यात्मवादी [[अरविंद घोष]] के छोटे भाई थे। [[बंगाल]] में क्रांतिकारी विचारधारा को फैलाने का श्रेय बारीन्द्र कुमार और [[भूपेन्द्रनाथ दत्त]], जो कि [[स्वामी विवेकानंद]] के छोटे भाई थे, को ही जाता है। 'स्वदेशी आंदोलन' के परिणामस्वरूप बारीन्द्र कुमार घोष ने क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करने के लिए [[1906]] में बंगाली साप्ताहिक 'युगान्तर' का प्रकाशन प्रारम्भ किया। उन्होंने [[1907]] में क्रांतिकारी गतिविधियों का संयोजन करने के लिए 'मणिकतल्ला पार्टी' का गठन भी किया था। [[1908]] में उन्हें गिरफ़्तार कर मृत्युदण्ड की सजा सुनाई गई, किन्तु बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बारीन्द्र कुमार घोष]] | ||[[चित्र:Barindra-ghose.jpg|right|100px|border|बारीन्द्र कुमार घोष]]'बारीन्द्र कुमार घोष' [[भारत]] के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार थे। उनको 'बारिन घोष' के नाम से भी जाना जाता है। [[बारीन्द्र कुमार घोष]] अध्यात्मवादी [[अरविंद घोष]] के छोटे भाई थे। [[बंगाल]] में क्रांतिकारी विचारधारा को फैलाने का श्रेय बारीन्द्र कुमार और [[भूपेन्द्रनाथ दत्त]], जो कि [[स्वामी विवेकानंद]] के छोटे भाई थे, को ही जाता है। 'स्वदेशी आंदोलन' के परिणामस्वरूप बारीन्द्र कुमार घोष ने क्रांतिकारी विचारों का प्रचार करने के लिए [[1906]] में बंगाली साप्ताहिक 'युगान्तर' का प्रकाशन प्रारम्भ किया। उन्होंने [[1907]] में क्रांतिकारी गतिविधियों का संयोजन करने के लिए 'मणिकतल्ला पार्टी' का गठन भी किया था। [[1908]] में उन्हें गिरफ़्तार कर मृत्युदण्ड की सजा सुनाई गई, किन्तु बाद में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बारीन्द्र कुमार घोष]] | ||
{[[बौद्ध धर्म]] का प्रसिद्ध 'मिन्ड्रोलिंग स्तूप' किस भारतीय राज्य में स्थित है? | |||
|type="()"} | |||
+[[देहरादून]] | |||
-[[हिमाचल प्रदेश]] | |||
-[[सिक्किम]] | |||
-[[मिज़ोरम]] | |||
||[[चित्र:Mindroling-Stupa.jpg|right|100px|border|मिन्ड्रोलिंग स्तूप]]'मिन्ड्रोलिंग स्तूप' [[उत्तराखण्ड]] के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल [[देहरादून]] में स्थित है। यह एक [[स्तूप|बौद्ध महास्तूप]] है, जिसका [[बौद्ध]] अनुयायियों में बड़ा धार्मिक महत्त्व है। इस स्तूप की चौथी मंजिल की दीवार पर [[बुद्ध|महात्मा बुद्ध]] के एक हज़ार चित्र हैं। यहाँ का उद्यान भी काफ़ी सुन्दर है और यहाँ आने वाले पर्यटकों को लुभाता है। महास्तूप की तीसरी व पांचवी मंजिल के बाहर वाले चबूतरे पर परिक्रमा करने पर आसपास के पूरे देहरादून की छवि बहुत रमणीक दिखायी देती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मिन्ड्रोलिंग स्तूप]] | |||
{किस शायर ने [[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]] का [[उर्दू]] शायरी में अनुवाद किया है? | |||
|type="()"} | |||
-[[अली सरदार जाफ़री]] | |||
+[[अनवर जलालपुरी]] | |||
-[[निदा फ़ाज़ली]] | |||
-[[फ़ैज़ अहमद फ़ैज़]] | |||
||[[चित्र:Anwar-Jalalpuri.jpg|right|100px|border|अनवर जलालपुरी]]'अनवर जलालपुरी' 'यश भारती' से सम्मानित [[उर्दू]] के मशहूर शायर थे। उन्होंने [[हिन्दू]] धार्मिक ग्रंथ '[[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]]' का उर्दू शायरी में अनुवाद किया था। उर्दू दुनिया की नामचीन हस्तियों में शुमार [[अनवर जलालपुरी]] मुशायरों की निजामत के बादशाह थे। मुशायरों की जान माने जाने वाले अनवर जलालपुरी ने 'राहरौ से रहनुमा तक', 'उर्दू शायरी में गीतांजलि' तथा भगवद्गीता के उर्दू संस्करण 'उर्दू शायरी में गीता' नामक पुस्तकें लिखीं, जिन्हें बेहद सराहा गया। उन्होंने 'अकबर द ग्रेट' धारावाहिक के संवाद भी लिखे थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अनवर जलालपुरी]] | |||
{'महाराष्ट्र का सुकरात' किसे कहा जाता है? | |||
|type="()"} | |||
-[[बाल गंगाधर तिलक]] | |||
-[[बिपिन चन्द्र पाल]] | |||
-[[फिरोज़शाह मेहता]] | |||
+[[महादेव गोविन्द रानाडे]] | |||
||[[चित्र:M-g-ranade.jpg|right|100px|border|महादेव गोविन्द रानाडे]]'महादेव गोविन्द रानाडे' [[भारत]] के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी, समाज सुधारक, विद्वान् और न्यायविद थे। उन्हें "महाराष्ट्र का सुकरात" कहा जाता है। [[महादेव गोविन्द रानाडे]] ने समाज सुधार के कार्यों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। [[प्रार्थना समाज]], [[आर्य समाज]] और [[ब्रह्म समाज]] का उनके जीवन पर बहुत प्रभाव था। गोविंद रानाडे 'दक्कन एजुकेशनल सोसायटी' के संस्थापकों में से एक थे। उन्होंने '[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना का भी समर्थन किया था। रानाडे स्वदेशी के समर्थक और देश में ही निर्मित वस्तुओं का प्रयोग करने के पक्षधर थे। देश की एकता उनके लिए सर्वोपरी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महादेव गोविन्द रानाडे]] | |||
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