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||[[चित्र:Swt red.jpg|border|right|100px|हिंदू धार्मिक चिह्न स्वस्तिक]]'हिन्दू धर्म' [[भारत]] का सर्वप्रमुख [[धर्म]] है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण 'सनातन धर्म' भी कहा जाता है। [[ईसाई धर्म|ईसाई]], [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]], [[जैन धर्म|जैन]] आदि धर्मों के समान [[हिन्दू धर्म]] किसी पैगम्बर या व्यक्ति विशेष द्वारा स्थापित धर्म नहीं है, बल्कि यह प्राचीन काल से चले आ रहे विभिन्न धर्मों, मतमतांतरों, आस्थाओं एवं विश्वासों का समुच्चय है। हिन्दू, बौद्ध तथा जैन धर्म में [[आत्मा]] के अमरत्व की अवधारणा से ही पुनर्जन्म की अवधारणा पुष्ट होती है। एक जीव की मृत्यु के पश्चात् उसकी आत्मा नयी देह धारण करती है अर्थात् उसका पुनर्जन्म होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिन्दू धर्म]], [[बौद्ध धर्म]], [[जैन धर्म]] | |||
{[[बौद्ध संगीति|बौद्ध संगीतियों]] के चार आयोजकों का सही क्या है? | {[[बौद्ध संगीति|बौद्ध संगीतियों]] के चार आयोजकों का सही क्रम क्या है? | ||
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-[[कालाशोक]], [[अजातशत्रु]], [[अशोक]], [[कनिष्क]] | -[[कालाशोक]], [[अजातशत्रु]], [[अशोक]], [[कनिष्क]] | ||
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-[[अशोक]], [[कालाशोक]], [[अजातशत्रु]], [[कनिष्क]] | -[[अशोक]], [[कालाशोक]], [[अजातशत्रु]], [[कनिष्क]] | ||
+[[अजातशत्रु]], [[कालाशोक]], [[अशोक]], [[कनिष्क]] | +[[अजातशत्रु]], [[कालाशोक]], [[अशोक]], [[कनिष्क]] | ||
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|border|right|80px|बौद्ध प्रतीक चिह्न]]'बौद्ध संगीति' का तात्पर्य उस 'संगोष्ठी' या 'सम्मेलन' या 'महासभा' से है, जो [[महात्मा बुद्ध]] के परिनिर्वाण के अल्प समय के पश्चात् से ही उनके उपदेशों को संग्रहीत करने, उनका पाठ (वाचन) करने आदि के उद्देश्य से सम्बन्धित थी। [[इतिहास]] में चार [[बौद्ध संगीति|बौद्ध संगीतियों]] का उल्लेख हुआ है- [[बौद्ध संगीति प्रथम|प्रथम बौद्ध संगीति]] (483 ई.पू., [[राजगृह]] में), [[बौद्ध संगीति द्वितीय|द्वितीय बौद्ध संगीति]] ([[वैशाली]] में), [[बौद्ध संगीति तृतीय|तृतीय बौद्ध संगीति]] (249 ई.पू., [[पाटलीपुत्र]] में), [[बौद्ध संगीति चतुर्थ|चतुर्थ बौद्ध संगीति]] ([[कश्मीर]] में)।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध संगीति]] | |||
{हेलियोडोरस का [[बेसनगर]] [[अभिलेख]] संदर्भित है- | {[[हेलियोडोरस]] का [[बेसनगर]] [[अभिलेख]] संदर्भित है- | ||
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-[[संकर्षण]] तथा [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] से | -[[संकर्षण]] तथा [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] से | ||
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+केवल [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] से | +केवल [[वासुदेव (कृष्ण)|वासुदेव]] से | ||
||[[चित्र:Heliodorus-Pillar-Vidisha.jpg|border|right|80px|हेलिओडोरस स्तंभ]]'बेसनगर' पूर्वी [[मालवा]] में स्थित प्राचीन नगर [[विदिशा]] का ही आधुनिक नाम है। [[शुंग वंश|शुंग]] राजाओं के शासन काल में इस नगर का बहुत ही महत्त्व था। शुंग राजाओं के शासन के बाद भी अनेक वर्षों तक [[बेसनगर]] स्थानीय शासकों की राजधानी बना रहा। यहाँ के शासकों ने [[भारत]] की पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित [[यवन]] शासकों के साथ राजनीतिक सम्बन्ध बना रखे थे। बेसनगर में [[वासुदेव (विष्णु)|भगवान वासुदेव]] के सम्मान में [[तक्षशिला]] के राजा एंटिआल्किडस के राजदूत [[हेलियोडोरस]] ने लगभग 135 ई. पू. में एक 'गरुड़ ध्वज' स्थापित कराया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बेसनगर]], [[हेलियोडोरस]] | |||
{निम्नलिखित में से किस नगर में प्रथम बौद्ध संगीति/सभा आयोजित की गई थी ? | {निम्नलिखित में से किस नगर में [[बौद्ध संगीति प्रथम|प्रथम बौद्ध संगीति/सभा]] आयोजित की गई थी ? | ||
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-[[नालंदा]] | -[[नालंदा]] | ||
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+[[राजगृह]] | +[[राजगृह]] | ||
-[[बोधगया]] | -[[बोधगया]] | ||
||[[चित्र:Buddha-National-Museum-Delhi-4.jpg|border|right|80px|बुद्ध प्रतिमा, राष्ट्रीय संग्रहालय, दिल्ली]]'[[राजगृह]]' 'राजगीर' [[बिहार]] में [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यह कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करता था, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। राजगीर जिस समय [[मगध]] की राजधानी थी, उस समय इसे 'राजगृह' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है। माना जाता है कि [[महावीर|भगवान महावीर स्वामी]] ने [[वर्षा ऋतु]] में राजगृह में सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। यहाँ प्रथम [[बौद्ध संगीति|विश्व बौद्ध संगीति]] का आयोजन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बौद्ध संगीति प्रथम|प्रथम बौद्ध संगीति]] | |||
{[[गौतम बुद्ध]] | {[[गौतम बुद्ध]] ने किस स्थान पर स्त्रियों की प्रव्रज्या पर लगाई हुई रोक को तोड़ा था? | ||
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-[[सारनाथ]] | -[[सारनाथ]] | ||
-[[कपिलवस्तु]] | -[[कपिलवस्तु]] | ||
+[[ | +[[सांकाश्य]] | ||
-[[गया]] | -[[गया]] | ||
||[[चित्र:Buddha-Footprints-Bodhgaya.jpg|border|right|100px|बुद्ध के पैरों के निशान, बोधगया]]'गौतम बुद्ध' के जीवन काल में [[सांकाश्य]] ख्याति प्राप्त नगर था। [[सांकाश्य]] ही में [[बुद्ध]] ने अपने प्रमुख शिष्य [[आनन्द (बौद्ध)|आनन्द]] के कहने से स्त्रियों की प्रव्रज्या पर लगाई हुई रोक को तोड़ा था और भिक्षुणी उत्पलवर्णा को [[दीक्षा]] देकर स्त्रियों के लिए भी बौद्ध संघ का द्वार खोल दिया था। पालिग्रंथ 'अभिधानप्पदीपिका' में संकस्स (सांकाश्य) की [[उत्तरी भारत]] के बीस प्रमुख नगरों में गणना की गई है। [[पाणिनी]] ने सांकाश्य की स्थिति [[इक्षुमती नदी]] पर कहीं है, जो [[संकिसा]] के पास बहने वाली ईखन है। [[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] [[कौशांबी]] में अक्सर आते-जाते रहते थे। उनके सम्बन्ध के कारण कौशांबी के अनेक स्थान सैकड़ों वर्षों तक प्रसिद्ध रहे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुद्ध]] | |||
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06:47, 2 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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