"एडवर्ड टैरी": अवतरणों में अंतर
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*'''एडवर्ड टैरी''' [[थॉमस रो]] का पादरी था। | *'''एडवर्ड टैरी''' [[थॉमस रो]] का पादरी था, जो 1616 ई. में [[भारत]] आया था। वह थॉमस रो के साथ 1617 ई. में [[मांडू]] गया और वहाँ [[मुग़ल]] [[जहाँगीर|बादशाह जहाँगीर]] से भेंट की। इसके बाद वह [[अहमदाबाद]] चला गया। उसके कथन के अनुसार "जहाँगीर दो विपरीत गुणों के मिश्रण वाला व्यक्ति था"। | ||
* | *अपने वृत्तांत में एडवर्ड टैरी ने [[मालवा]] और [[गुजरात]] के बारे में विशेष रूप से लिखा है। | ||
*एडवर्ड टैरी ने तत्कालीन | *एडवर्ड टैरी ने [[मुग़ल]] महिलाओं के पहनावे के बारे में भी विस्तार से वर्णन किया है। | ||
* | *टैरी के अनुसार तत्कालीन मुग़ल दरबार की भाषा [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] हुआ करती थी, जबकि विद्वानों की भाषा [[अरबी भाषा|अरबी]] थी। | ||
*उसने [[भारत]] में होने वाले फलों का भी उल्लेख किया है। | *अनेक उत्सवों तथा प्रथाओं का भी उल्लेख एडवर्ड टैरी ने किया है। इन विशेष अवसरों पर बुलाये जाने वाले पुरोहितों को ‘दरूस’ या ‘हरबूद’ कहा जाता था। उनके सर्वोच्च [[पुरोहित]] को ‘दस्तूर’ कहा जाता था, जिसका [[पारसी]] समुदाय में बड़ा ही सम्मान था। | ||
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04:59, 7 जनवरी 2020 के समय का अवतरण
- एडवर्ड टैरी थॉमस रो का पादरी था, जो 1616 ई. में भारत आया था। वह थॉमस रो के साथ 1617 ई. में मांडू गया और वहाँ मुग़ल बादशाह जहाँगीर से भेंट की। इसके बाद वह अहमदाबाद चला गया। उसके कथन के अनुसार "जहाँगीर दो विपरीत गुणों के मिश्रण वाला व्यक्ति था"।
- अपने वृत्तांत में एडवर्ड टैरी ने मालवा और गुजरात के बारे में विशेष रूप से लिखा है।
- एडवर्ड टैरी ने मुग़ल महिलाओं के पहनावे के बारे में भी विस्तार से वर्णन किया है।
- टैरी के अनुसार तत्कालीन मुग़ल दरबार की भाषा फ़ारसी हुआ करती थी, जबकि विद्वानों की भाषा अरबी थी।
- अनेक उत्सवों तथा प्रथाओं का भी उल्लेख एडवर्ड टैरी ने किया है। इन विशेष अवसरों पर बुलाये जाने वाले पुरोहितों को ‘दरूस’ या ‘हरबूद’ कहा जाता था। उनके सर्वोच्च पुरोहित को ‘दस्तूर’ कहा जाता था, जिसका पारसी समुदाय में बड़ा ही सम्मान था।
- एडवर्ड टैरी का दरवेशों से सम्बंधित विवरण भी अत्यधिक रोचक है। ये मुसलमानों को कामचोर बताते हुए हिन्दुओं की प्रशंसा करते थे। टैरी भी मुसलमानों को आराम पसन्द बताता है।
- टैरी का मानना था कि परिश्रम से कमाई रोटी ही मीठी और सम्मानजनक होती है। उसने भारत में होने वाले फलों का भी उल्लेख किया है।
- तत्कालीन सिक्कों के आकार-प्रकार तथा मूल्य आदि का विवरण एडवर्ड टैरी ने दिया है।
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