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| class="headbg16" style="border:1px solid #B0B0FF; padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg15" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''विशेष आलेख'''</span></div>
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<blockquote>'''मूर्ति कला मथुरा'''<br /></blockquote>
        '''[[संसद भवन]]''' [[नई दिल्ली]] में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं [[लोक सभा]] और [[राज्य सभा]] इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - '''सर एडविन लुटय़न्स''' और '''सर हर्बर्ट बेकर''' ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला [[12 फ़रवरी]], [[1921]] को महामहिम '''द डय़ूक ऑफ कनाट''' ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह [[वर्ष]] लगे और इसका उद्घाटन समारोह [[भारत]] के तत्कालीन गवर्नर जनरल [[लॉर्ड इर्विन]] ने [[18 जनवरी]], [[1927]] को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। [[संसद भवन|... और पढ़ें]]
[[चित्र:Buddha-3.jpg|right|70px|बुद्ध|link=बुद्ध]]
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<blockquote>चीनी यात्री [[हुएनसांग]] के लेखानुसार यहाँ पर [[अशोक]] के बनवाये हुये कुछ स्तूप 7वीं शताब्दी में विद्यमान थे। परन्तु आज हमें इनके विषय में कुछ भी ज्ञान नहीं है। लोक-कला की दृष्टि से देखा जाय तो मथुरा और उसके आसपास के भाग में इसके मौर्यकालीन नमूने विद्यमान हैं। लोक-कला की ये मूर्तियां [[यक्ष|यक्षों]] की हैं। यक्षपूजा तत्कालीन लोकधर्म का एक अभिन्न अंग थी। संस्कृत, पाली और प्राकृत साहित्य यक्षपूजा के उल्लेखों से भरा पड़ा है । [[पुराण|पुराणों]] के अनुसार यक्षों का कार्य पापियों को विघ्न करना, उन्हें दुर्गति देना और साथ ही साथ अपने क्षेत्र का संरक्षण करना था।<balloon title="वामनपुराण, 34.44; 35.38।" style="color:blue">*</balloon>  मथुरा से इस प्रकार के यक्ष और यक्षणियों की छह प्रतिमाएं मिल चुकी हैं ।  [[मूर्ति कला मथुरा|.... और पढ़ें]]</blockquote>
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14:05, 6 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण

एक आलेख

        संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें

पिछले आलेख राष्ट्रपति रसखान की भाषा मौर्य काल