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<h4>[[चयनित लेख|एक आलेख]]</h4>
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<div style="padding:3px">[[चित्र:500-1000-rupee-notes.jpg|right|border|120px|link=विमुद्रीकरण]]</div>
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          '''[[विमुद्रीकरण]]''' एक आर्थिक गतिविधि है जिसके अंतर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर नई मुद्रा को प्रचलित करती है। जब देश में [[काला धन]] बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए ख़तरा बन जाता है तो इसे दूर करने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है। भारत की आज़ादी के बाद प्रधानमंत्री [[मोरारजी देसाई]] के प्रधानमंत्रित्व काल में जनवरी 1978 में ₹1000, ₹5000 और ₹10000 के नोट को पहली बार विमुद्रीकृत किया गया। 8 नवंबर, 2016 को भारतीय प्रधानमंत्री [[नरेंद्र मोदी]] ने ₹500 और ₹1000 के नोटों को उसी रात 12 बजे से बंद किए जाने की घोषणा की। [[भारत]] में मुद्रा संबंधी कार्य [[भारतीय रिज़र्व बैंक]] संभालती है। [[भारत सरकार]], रिज़र्व बैंक की सलाह पर जारी किये जाने वाले विभिन्न मूल्यवर्ग के बैंकनोटों के संबंध में निर्णय लेती है। [[विमुद्रीकरण|... और पढ़ें]]</poem>
        '''[[संसद भवन]]''' [[नई दिल्ली]] में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं [[लोक सभा]] और [[राज्य सभा]] इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - '''सर एडविन लुटय़न्स''' और '''सर हर्बर्ट बेकर''' ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला [[12 फ़रवरी]], [[1921]] को महामहिम '''द डय़ूक ऑफ कनाट''' ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह [[वर्ष]] लगे और इसका उद्घाटन समारोह [[भारत]] के तत्कालीन गवर्नर जनरल [[लॉर्ड इर्विन]] ने [[18 जनवरी]], [[1927]] को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। [[संसद भवन|... और पढ़ें]]
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एक आलेख

        संसद भवन नई दिल्ली में स्थित सर्वाधिक भव्य भवनों में से एक है, जहाँ विश्व में किसी भी देश में मौजूद वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों की उज्ज्वल छवि मिलती है। राजधानी में आने वाले भ्रमणार्थी इस भवन को देखने ज़रूर आते हैं जैसा कि संसद के दोनों सभाएं लोक सभा और राज्य सभा इसी भवन के अहाते में स्थित हैं। संसद भवन संपदा के अंतर्गत संसद भवन, स्वागत कार्यालय भवन, संसदीय ज्ञानपीठ (संसद ग्रंथालय भवन) संसदीय सौध और इसके आस-पास के विस्तृत लॉन, जहां फ़व्वारे वाले तालाब हैं, शामिल हैं। संसद भवन की अभिकल्पना दो मशहूर वास्तुकारों - सर एडविन लुटय़न्स और सर हर्बर्ट बेकर ने तैयार की थी जो नई दिल्ली की आयोजना और निर्माण के लिए उत्तरदायी थे। संसद भवन की आधारशिला 12 फ़रवरी, 1921 को महामहिम द डय़ूक ऑफ कनाट ने रखी थी । इस भवन के निर्माण में छह वर्ष लगे और इसका उद्घाटन समारोह भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड इर्विन ने 18 जनवरी, 1927 को आयोजित किया। इसके निर्माण पर 83 लाख रुपये की लागत आई। ... और पढ़ें

पिछले आलेख राष्ट्रपति रसखान की भाषा मौर्य काल