"पहेली 31 अक्टूबर 2020": अवतरणों में अंतर

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-[[त्र्यम्बकराव दाभाड़े|त्र्यम्बकराव]]
-[[त्र्यम्बकराव दाभाड़े|त्र्यम्बकराव]]
-[[रघुजी भोंसले]]
-[[रघुजी भोंसले]]
+[[महादजी शिन्दे]
+[[महादजी शिन्दे]]
||[[चित्र:Mahadaji-Shinde.jpg|right|border|100px|महादजी शिन्दे]]'महादजी शिन्दे' रणोजी सिंधिया का अवैध [[पुत्र]] और उत्तराधिकारी था। वह अंग्रेज़ों के औपनिवेशिक काल में प्रमुख रूप से सक्रिय था। [[महादजी शिन्दे]] बहुत ही महत्वाकांक्षी और सैनिक गुणों से सम्पन्न व्यक्ति था। अपनी तीव्र बुद्धि और सैनिक कुशलताओं के कारण ही वह [[मराठा साम्राज्य]] में विशिष्ट स्थान रखता था। [[पेशवा]] [[बाजीराव प्रथम]] के शासन काल में वह छोटे से पद से पदोन्नति करते हुए उच्च पद तक पहुँच गया। [[1803]] ई. के द्वितीय युद्ध में उसने भाग लिया और घाव लगने के कारण सदा के लिए लंगड़ा हो गया। [[महाराष्ट्र]] वापस लौटकर उसने अपने दायित्व का निर्वाह इतनी कुशलता से किया कि सरदारों में वही सबसे प्रमुख गिना जाने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महादजी शिन्दे]]
||[[चित्र:Mahadaji-Shinde.jpg|right|border|100px|महादजी शिन्दे]]'महादजी शिन्दे' रणोजी सिंधिया का अवैध [[पुत्र]] और उत्तराधिकारी था। वह अंग्रेज़ों के औपनिवेशिक काल में प्रमुख रूप से सक्रिय था। [[महादजी शिन्दे]] बहुत ही महत्वाकांक्षी और सैनिक गुणों से सम्पन्न व्यक्ति था। अपनी तीव्र बुद्धि और सैनिक कुशलताओं के कारण ही वह [[मराठा साम्राज्य]] में विशिष्ट स्थान रखता था। [[पेशवा]] [[बाजीराव प्रथम]] के शासन काल में वह छोटे से पद से पदोन्नति करते हुए उच्च पद तक पहुँच गया। [[1803]] ई. के द्वितीय युद्ध में उसने भाग लिया और घाव लगने के कारण सदा के लिए लंगड़ा हो गया। [[महाराष्ट्र]] वापस लौटकर उसने अपने दायित्व का निर्वाह इतनी कुशलता से किया कि सरदारों में वही सबसे प्रमुख गिना जाने लगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महादजी शिन्दे]]
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