"सुषिर वाद्य": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
('जिन वाद्यों को वायु द्वारा बजाया जाता ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
जिन [[वाद्य यंत्र|वाद्यों]] को वायु द्वारा बजाया जाता है, उन्हें सुषिर वाद्य कहते हैं। जैसे- [[बाँसुरी]], [[शंख]], [[हारमोनियम]] इत्यादि।
जिन [[वाद्य यंत्र|वाद्यों]] को वायु द्वारा बजाया जाता है, उन्हें '''सुषिर वाद्य''' कहते हैं; जैसे- [[बाँसुरी]], [[शंख]], [[हारमोनियम]] इत्यादि।<ref>{{cite web |url=https://www.indianculture.gov.in/hi/musical-instruments |title=भारत के वाद्य यंत्र|accessmonthday=21 दिसंबर|accessyear=2020 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=indianculture.gov.in |language=हिंदी}}</ref><br />
<br />
*सुषिर वाद्य वायु से बजने वाले वाद्य होते हैं।
*इनमें [[ध्वनि]] उत्पन्न करने के लिए, बिना तारों या झिल्ली के इस्तेमाल के और यंत्र के बिना कम्पित हुए, वायु के टुकड़े को कम्पित किया जाता है, जिससे ध्वनि में बढोत्तरी  होती है।
*इन उपकरणों की तान संबंधी गुणवत्ता उपयोग किए गए ट्यूब के आकार और आकृति पर निर्भर करती है। वे गहरे बास से लेकर कर्णभेदी तेज़ सुरों तक, जोर की और भारी ध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
*सुषिर वाद्य खोखले होते हैं, जिनमें हवा से ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
*वाद्य में छिद्र खोलने और बंद करने के लिए उंगलियों का उपयोग करके [[ध्वनि]] के स्वरमान को नियंत्रित किया जाता है।
*[[शहनाई]] [[भारत]] का एक लोकप्रिय सुषिर वाद्य है।
*सुषिर वाद्य को बजाने के तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है-
#हवा की यंत्रवत् रूप से आपूर्ति की जाती है, जैसे कि [[हारमोनियम]] में।
#हवा की आपूर्ति श्वास द्वारा शहनाई या [[बांसुरी]] में की जाती है।<ref>मुँह से फूंककर</ref>


{{प्रचार}}
{{लेख प्रगति |आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक=|पूर्णता=|शोध=}}
{{लेख प्रगति
|आधार=
|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{संगीत वाद्य}}
{{संगीत वाद्य}}
[[Category:संगीत वाद्य]][[Category:संगीत कोश]][[Category:वादन]]
[[Category:वादन]][[Category:संगीत वाद्य]][[Category:संगीत कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

09:38, 21 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

जिन वाद्यों को वायु द्वारा बजाया जाता है, उन्हें सुषिर वाद्य कहते हैं; जैसे- बाँसुरी, शंख, हारमोनियम इत्यादि।[1]

  • सुषिर वाद्य वायु से बजने वाले वाद्य होते हैं।
  • इनमें ध्वनि उत्पन्न करने के लिए, बिना तारों या झिल्ली के इस्तेमाल के और यंत्र के बिना कम्पित हुए, वायु के टुकड़े को कम्पित किया जाता है, जिससे ध्वनि में बढोत्तरी होती है।
  • इन उपकरणों की तान संबंधी गुणवत्ता उपयोग किए गए ट्यूब के आकार और आकृति पर निर्भर करती है। वे गहरे बास से लेकर कर्णभेदी तेज़ सुरों तक, जोर की और भारी ध्वनि उत्पन्न करने में सक्षम होते हैं।
  • सुषिर वाद्य खोखले होते हैं, जिनमें हवा से ध्वनि उत्पन्न की जाती है।
  • वाद्य में छिद्र खोलने और बंद करने के लिए उंगलियों का उपयोग करके ध्वनि के स्वरमान को नियंत्रित किया जाता है।
  • शहनाई भारत का एक लोकप्रिय सुषिर वाद्य है।
  • सुषिर वाद्य को बजाने के तरीकों से वर्गीकृत किया जा सकता है-
  1. हवा की यंत्रवत् रूप से आपूर्ति की जाती है, जैसे कि हारमोनियम में।
  2. हवा की आपूर्ति श्वास द्वारा शहनाई या बांसुरी में की जाती है।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत के वाद्य यंत्र (हिंदी) indianculture.gov.in। अभिगमन तिथि: 21 दिसंबर, 2020।
  2. मुँह से फूंककर

संबंधित लेख