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||[[चित्र:C.V Raman.jpg|right|100px|सी. वी. रमन]]'सी. वी. रमन' पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वैज्ञानिक संसार में [[भारत]] को ख्याति दिलाई। उन्होंने 'रमन प्रभाव' की खोज की थी। 'रमन प्रभाव' की लोकप्रियता और उपयोगिता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि खोज के दस वर्ष के भीतर ही सारे विश्व में इस पर क़रीब 2,000 शोध पत्र प्रकाशित हुए। इसका अधिक उपयोग [[ठोस]], [[द्रव]] और गैसों की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाने में हुआ। [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|सी. वी. रमन]] को पूरा विश्वास था कि उन्हें अपनी खोज के लिए '[[नोबेल पुरस्कार]]' मिलेगा। इसलिए पुरस्कारों की घोषणा से | ||[[चित्र:C.V Raman.jpg|right|100px|सी. वी. रमन]]'सी. वी. रमन' पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने वैज्ञानिक संसार में [[भारत]] को ख्याति दिलाई। उन्होंने 'रमन प्रभाव' की खोज की थी। 'रमन प्रभाव' की लोकप्रियता और उपयोगिता का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि खोज के दस वर्ष के भीतर ही सारे विश्व में इस पर क़रीब 2,000 शोध पत्र प्रकाशित हुए। इसका अधिक उपयोग [[ठोस]], [[द्रव]] और गैसों की आंतरिक अणु संरचना का पता लगाने में हुआ। [[चंद्रशेखर वेंकट रामन|सी. वी. रमन]] को पूरा विश्वास था कि उन्हें अपनी खोज के लिए '[[नोबेल पुरस्कार]]' मिलेगा। इसलिए पुरस्कारों की घोषणा से छह [[महीने]] पहले ही उन्होंने स्टॉकहोम के लिए टिकट का आरक्षण करवा लिया था। उन्हें [[1930]] में 'भौतिकी का नोबेल पुरस्कार' प्रदान किया गया और सी. वी. रमन [[भौतिक विज्ञान]] में नोबेल पाने वाले [[एशिया]] के पहले व्यक्ति बने।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रशेखर वेंकट रामन|सी. वी. रमन]] | ||
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