"रामायण सामान्य ज्ञान 5": अवतरणों में अंतर

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{[[वरुण देवता|वरुण]] के [[हाथी]] का क्या नाम है?
|type="()"}
+सौमनस
-हिमपांड्र
-महापद्म
-[[ऐरावत]]
||[[चित्र:Varuna.jpg|right|120px|वरुण]][[देवता|देवताओं]] में तीसरा स्थान '[[वरुण देवता|वरुण]]' का माना जाता है, जिसे [[समुद्र]] का देवता, विश्व के नियामक और शासक सत्य का प्रतीक, ऋतु परिवर्तन एवं दिन-रात का कर्ता-धर्ता, [[आकाश]], [[पृथ्वी]] एवं [[सूर्य]] के निर्माता के रूप में जाना जाता है। वरुण देवलोक में सभी सितारों का मार्ग निर्धारित करते हैं। [[ऋग्वेद]] का सातवाँ मण्डल वरुण देवता को समर्पित है। ये दण्ड के रूप में लोगों को 'जलोदर रोग' से पीड़ित करते हैं। सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर [[राजसूय यज्ञ]] जलाधीश वरुण ने ही किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वरुण देवता]]
{[[श्रीराम]] आदि चारों भाइयों के [[विवाह]] कार्य जिस [[ऋषि]] ने सम्पन्न कराए थे, उनका नाम क्या था?
|type="()"}
-[[विश्वामित्र]]
+[[वसिष्ठ]]
-[[अत्रि]]
-[[याज्ञवलक्य|याज्ञवल्क्य]]
||[[वेद]], [[इतिहास]], [[पुराण|पुराणों]] में [[वसिष्ठ]] के अनगिनत कार्यों का उल्लेख किया गया है। महर्षि वसिष्ठ की उत्पत्ति का वर्णन पुराणों में विभिन्न रूपों में प्राप्त होता है। कहीं ये [[ब्रह्मा]] के मानस पुत्र, कहीं मित्रावरुण के पुत्र और कहीं अग्निपुत्र कहे गये हैं। इनकी पत्नी का नाम '[[अरून्धती|अरून्धती देवी]]' था। वसिष्ठ ने [[सूर्यवंश]] का पौरोहित्य करते हुए अनेक लोक-कल्याणकारी कार्यों को सम्पन्न किया था। इन्हीं के उपदेश के बल पर [[भगीरथ]] ने प्रयत्न करके [[गंगा]] जैसी लोक कल्याणकारिणी नदी को लोगों के लिये सुलभ कराया। [[दिलीप]] को [[नन्दिनी]] की सेवा की शिक्षा देकर [[रघु]] जैसे पुत्र प्रदान करने वाले तथा [[दशरथ|महाराज दशरथ]] की निराशा में आशा का संचार करने वाले महर्षि वसिष्ठ ही थे। इन्हीं की सम्मति से महाराज दशरथ ने पुत्रेष्टि-यज्ञ सम्पन्न किया और भगवान [[श्रीराम]] का [[अवतार]] हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वसिष्ठ]]
{उस [[हाथी]] का क्या नाम था, जिसे [[सगर]] पुत्रों ने [[पृथ्वी]] धारण करते हुए देखा था?
|type="()"}
-[[अश्वत्थामा हाथी|अश्वत्थामा]]
-[[कुवलयापीड़|कुवलयापीड]]
+विरूपाक्ष
-शत्रुहंता
{उस मणि का क्या नाम है, जो [[समुद्र मंथन]] से उत्पन्न हुई थी?
|type="()"}
+[[कौस्तुभ मणि|कौस्तुभ]]
-पारस
-वैदूर्य
-स्यमंतक
||[[चित्र:Vishnu-1.jpg|right|80px|भगवान विष्णु]]कौस्तुभ मणि को भगवान [[विष्णु]] धारण करते हैं। माना जाता है कि यह मणि देवताओं और असुरों द्वारा किये गए [[समुद्र मंथन]] के समय प्राप्त चौदह मूल्यवान वस्तुओं में से एक थी। यह बहुत ही कांतिमान थी और जहाँ भी यह मणि होती है, वहाँ किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा नहीं होती। कहा गया है कि [[कालिय नाग]] को [[श्रीकृष्ण]] ने [[गरुड़]] के त्रास से मुक्त किया था। इस समय कालिय नाग ने अपने मस्तक से उतार कर श्रीकृष्ण को [[कौस्तुभ मणि]] दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौस्तुभ मणि]]
{[[कुबेर]] को [[ब्रह्मा|ब्रह्माजी]] ने जो विमान दिया था, उसका नाम क्या था?
|type="()"}
-वायुपुत्र
-सौभ
+[[पुष्पक विमान|पुष्पक]]
-तीव्रगामी
||'पुष्पक विमान' का उल्लेख '[[रामायण]]' में मिलता है, जिसमें बैठकर [[लंका]] के राजा [[रावण]] ने [[सीता]] का हरण किया था। रामायण में वर्णित है कि युद्ध के बाद [[श्रीराम]], [[सीता]], [[लक्ष्मण]] तथा अपने अन्य सहयोगियों के साथ दक्षिण में स्थित लंका से [[अयोध्या]] [[पुष्पक विमान]] द्वारा ही आये थे। पुष्पक विमान पहले [[कुबेर]] के पास था, लेकिन रावण ने अपने भाई कुबेर से बलपूर्वक इसे हासिल कर लिया था। पुष्पक विमान की यह विशेषता थी कि वह छोटा या बड़ा किया जा सकता था। उसमें मन की गति से चलने की क्षमता थी। यह एक आकाशचारी देव वाहन था, जो भूमि पर भी चल सकता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पुष्पक विमान]]
{उस [[ब्राह्मण]] का क्या नाम था, जिसे [[श्रीराम]] ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की [[गाय|गायें]] उन्हें मिल जायेंगी?
{उस [[ब्राह्मण]] का क्या नाम था, जिसे [[श्रीराम]] ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की [[गाय|गायें]] उन्हें मिल जायेंगी?
|type="()"}
|type="()"}
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-अश्वकेतु
-अश्वकेतु
-अश्वसेन
-अश्वसेन
||त्रिजट मुनि [[अयोध्या]] के निवासी थे। इनकी समस्त [[गाय|गायें]] वृद्धावस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थीं। [[त्रिजट मुनि]] के परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किलों से हो रहा था। जब त्रिजट को इस बात का पता लगा कि वनगमन से पूर्व [[श्रीराम]] गरीबों को दान दे रहे हैं, तब वह भी उनके पास सहायता प्राप्ति हेतु गया। श्रीराम कृशकाय त्रिजट को देखते ही समझ गए कि उसके पास खाद्यान्न व [[दूध]] आदि का सर्वथा अभाव है। उन्होंने कहा- "विप्र देव! आप अपने हाथ का डंडा जितनी दूर भी फेंक सकेंगे, वहाँ तक की भूमि व [[गाय|गायें]] आपकी हो जाएंगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[त्रिजट मुनि]]
||त्रिजट मुनि [[अयोध्या]] के निवासी थे। इनकी समस्त [[गाय|गायें]] वृद्धावस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थीं। [[त्रिजट मुनि]] के परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किलों से हो रहा था। जब त्रिजट को इस बात का पता लगा कि वनगमन से पूर्व [[श्रीराम]] ग़रीबों को दान दे रहे हैं, तब वह भी उनके पास सहायता प्राप्ति हेतु गया। श्रीराम कृशकाय त्रिजट को देखते ही समझ गए कि उसके पास खाद्यान्न व [[दूध]] आदि का सर्वथा अभाव है। उन्होंने कहा- "विप्र देव! आप अपने हाथ का डंडा जितनी दूर भी फेंक सकेंगे, वहाँ तक की भूमि व [[गाय|गायें]] आपकी हो जाएंगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[त्रिजट मुनि]]


{उस [[पर्वत]] का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है?
{उस [[पर्वत]] का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है?
|type="()"}
|type="()"}
+[[हिमालय]]
+[[हिमालय]]
-मैनाक
-[[मैनाक]]
-[[गिरनार पर्वत|गिरनार]]
-[[गिरनार पर्वत|गिरनार]]
-[[पारसनाथ पहाड़ी|पारसनाथ]]
-[[पारसनाथ पहाड़ी|पारसनाथ]]
||[[चित्र:Himalayas-1.jpg|right|100px|हिमालय पर्वत]]हिमालय [[संस्कृत]] के 'हिम' तथा 'आलय' शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है- 'बर्फ़ का घर'। [[हिमालय]] [[भारत]] की धरोहर है। इस [[पर्वत]] की एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखंड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहा जाता है। हिमालय एक पूरी पर्वत शृंखला है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और [[तिब्बत]] को अलग करता है। यह [[भारतवर्ष]] का सबसे ऊँचा पर्वत है, जो उत्तर में देश की लगभग 2500 किलोमीटर लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर [[एशिया]] से पृथक करता है। [[कश्मीर]] से लेकर [[असम]] तक इसका विस्तार है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिमालय]]
||[[चित्र:Himalayas-1.jpg|right|100px|हिमालय पर्वत]]हिमालय [[संस्कृत]] के 'हिम' तथा 'आलय' शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है- 'बर्फ़ का घर'। [[हिमालय]] [[भारत]] की धरोहर है। इस [[पर्वत]] की एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखंड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहा जाता है। हिमालय एक पूरी पर्वत श्रृंखला है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और [[तिब्बत]] को अलग करता है। यह [[भारतवर्ष]] का सबसे ऊँचा पर्वत है, जो उत्तर में देश की लगभग 2500 किलोमीटर लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर [[एशिया]] से पृथक् करता है। [[कश्मीर]] से लेकर [[असम]] तक इसका विस्तार है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिमालय]]


{'[[रामायण]]' के प्रथम कांड का क्या नाम है?
{'[[रामायण]]' के प्रथम कांड का क्या नाम है?
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-[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]]
-[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]]
-[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]]
-[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]]
||'[[रामायण]]' के इस प्रसिद्ध कांड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें [[नारद]] से [[वाल्मीकि]] संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में धार्मिक दृष्टि से भी इस कांड का महत्त्व बहुत अधिक है। [[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] का [[यज्ञ]], तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, [[विश्वामित्र]] का [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को ले जाकर 'बला' तथा 'अतिबला' विद्याएँ प्रदान करना, [[राक्षस|राक्षसों]] का वध, [[जनक]] के धनुषयज्ञ में जाकर [[सीता]] का [[विवाह]] आदि वृतान्त वर्णित हैं। बालकांड में 77 सर्ग तथा 2280 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकांड]]
||'[[रामायण]]' के इस प्रसिद्ध कांड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें [[नारद]] से [[वाल्मीकि]] संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में धार्मिक दृष्टि से भी इस कांड का महत्त्व बहुत अधिक है। [[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] का [[यज्ञ]], तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, [[विश्वामित्र]] का [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को ले जाकर 'बला' तथा 'अतिबला' विद्याएँ प्रदान करना, [[राक्षस|राक्षसों]] का वध, [[जनक]] के धनुषयज्ञ में जाकर [[सीता]] का [[विवाह]] आदि वृत्तांत वर्णित हैं। बालकांड में 77 सर्ग तथा 2280 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकांड]]


{उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था?
{उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था?

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1 उस ब्राह्मण का क्या नाम था, जिसे श्रीराम ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की गायें उन्हें मिल जायेंगी?

त्रिजट
कश्यप
अश्वकेतु
अश्वसेन

2 उस पर्वत का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है?

हिमालय
मैनाक
गिरनार
पारसनाथ

4 उस सागर का क्या नाम था, जिसका देवताओं और असुरों ने मंथन किया था?

क्षीरोद सागर
प्रशांत सागर
कश्यप सागर
विष्णु सागर

5 हनुमान जब अशोक वाटिका में सीताजी से मिलने गए थे, उस समय वे किस वृक्ष पर छिपे थे?

अशोक
शमी
साल
अश्वत्थ

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