"रामायण सामान्य ज्ञान 5": अवतरणों में अंतर
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{उस [[ब्राह्मण]] का क्या नाम था, जिसे [[श्रीराम]] ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की [[गाय|गायें]] उन्हें मिल जायेंगी? | {उस [[ब्राह्मण]] का क्या नाम था, जिसे [[श्रीराम]] ने कहा था कि वह अपने दंड (डंडे) को जहाँ तक फेंक सकेंगे, वहाँ तक की [[गाय|गायें]] उन्हें मिल जायेंगी? | ||
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||त्रिजट मुनि [[अयोध्या]] के निवासी थे। इनकी समस्त [[गाय|गायें]] वृद्धावस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थीं। [[त्रिजट मुनि]] के परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किलों से हो रहा था। जब त्रिजट को इस बात का पता लगा कि वनगमन से पूर्व [[श्रीराम]] | ||त्रिजट मुनि [[अयोध्या]] के निवासी थे। इनकी समस्त [[गाय|गायें]] वृद्धावस्था के कारण मृत्यु को प्राप्त हो चुकी थीं। [[त्रिजट मुनि]] के परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किलों से हो रहा था। जब त्रिजट को इस बात का पता लगा कि वनगमन से पूर्व [[श्रीराम]] ग़रीबों को दान दे रहे हैं, तब वह भी उनके पास सहायता प्राप्ति हेतु गया। श्रीराम कृशकाय त्रिजट को देखते ही समझ गए कि उसके पास खाद्यान्न व [[दूध]] आदि का सर्वथा अभाव है। उन्होंने कहा- "विप्र देव! आप अपने हाथ का डंडा जितनी दूर भी फेंक सकेंगे, वहाँ तक की भूमि व [[गाय|गायें]] आपकी हो जाएंगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[त्रिजट मुनि]] | ||
{उस [[पर्वत]] का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है? | {उस [[पर्वत]] का क्या नाम है, जो समस्त पर्वतों का राजा है? | ||
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-[[गिरनार पर्वत|गिरनार]] | -[[गिरनार पर्वत|गिरनार]] | ||
-[[पारसनाथ पहाड़ी|पारसनाथ]] | -[[पारसनाथ पहाड़ी|पारसनाथ]] | ||
||[[चित्र:Himalayas-1.jpg|right|100px|हिमालय पर्वत]]हिमालय [[संस्कृत]] के 'हिम' तथा 'आलय' शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है- 'बर्फ़ का घर'। [[हिमालय]] [[भारत]] की धरोहर है। इस [[पर्वत]] की एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखंड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहा जाता है। हिमालय एक पूरी पर्वत | ||[[चित्र:Himalayas-1.jpg|right|100px|हिमालय पर्वत]]हिमालय [[संस्कृत]] के 'हिम' तथा 'आलय' शब्दों से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है- 'बर्फ़ का घर'। [[हिमालय]] [[भारत]] की धरोहर है। इस [[पर्वत]] की एक चोटी का नाम 'बन्दरपुच्छ' है। यह चोटी [[उत्तराखंड]] के [[टिहरी गढ़वाल ज़िला|टिहरी गढ़वाल ज़िले]] में स्थित है। इसकी ऊँचाई लगभग 20,731 फुट है। इसे '[[सुमेरु पर्वत|सुमेरु]]' भी कहा जाता है। हिमालय एक पूरी पर्वत श्रृंखला है, जो भारतीय उपमहाद्वीप और [[तिब्बत]] को अलग करता है। यह [[भारतवर्ष]] का सबसे ऊँचा पर्वत है, जो उत्तर में देश की लगभग 2500 किलोमीटर लंबी सीमा बनाता है और देश को उत्तर [[एशिया]] से पृथक् करता है। [[कश्मीर]] से लेकर [[असम]] तक इसका विस्तार है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हिमालय]] | ||
{'[[रामायण]]' के प्रथम कांड का क्या नाम है? | {'[[रामायण]]' के प्रथम कांड का क्या नाम है? | ||
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-[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]] | -[[अयोध्या काण्ड वा॰ रा॰|अयोध्याकांड]] | ||
-[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]] | -[[किष्किन्धा काण्ड वा॰ रा॰|किष्किंधाकांड]] | ||
||'[[रामायण]]' के इस प्रसिद्ध कांड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें [[नारद]] से [[वाल्मीकि]] संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में धार्मिक दृष्टि से भी इस कांड का महत्त्व बहुत अधिक है। [[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] का [[यज्ञ]], तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, [[विश्वामित्र]] का [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को ले जाकर 'बला' तथा 'अतिबला' विद्याएँ प्रदान करना, [[राक्षस|राक्षसों]] का वध, [[जनक]] के धनुषयज्ञ में जाकर [[सीता]] का [[विवाह]] आदि | ||'[[रामायण]]' के इस प्रसिद्ध कांड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’ के नाम से प्रख्यात है। इसमें [[नारद]] से [[वाल्मीकि]] संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। [[हिन्दू धर्म]] में धार्मिक दृष्टि से भी इस कांड का महत्त्व बहुत अधिक है। [[अयोध्या]] के [[राजा दशरथ]] का [[यज्ञ]], तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, [[विश्वामित्र]] का [[राम]]-[[लक्ष्मण]] को ले जाकर 'बला' तथा 'अतिबला' विद्याएँ प्रदान करना, [[राक्षस|राक्षसों]] का वध, [[जनक]] के धनुषयज्ञ में जाकर [[सीता]] का [[विवाह]] आदि वृत्तांत वर्णित हैं। बालकांड में 77 सर्ग तथा 2280 [[श्लोक]] प्राप्त होते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बाल काण्ड वा॰ रा॰|बालकांड]] | ||
{उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था? | {उस [[सागर]] का क्या नाम था, जिसका [[देवता|देवताओं]] और [[असुर|असुरों]] ने मंथन किया था? |
11:37, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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