"दो लड़के -सुमित्रानंदन पंत": अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "वीणा, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, लोकायतन, हार, आत्मकथात्मक संस्मरण- साठ वर्ष, युगपथ, स्वर्णकिरण) |
आदित्य चौधरी (वार्ता | योगदान) छो (Text replacement - "छः" to "छह") |
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किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से। | किलकारी भरते हैं, खुश हो-हो अन्दर से। | ||
दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल | दौड़ पार आँगन के फिर हो जाते ओझल | ||
वे नाटे | वे नाटे छह सात साल के लड़के मांसल | ||
सुन्दर लगती नग्न देह, मोहती नयन-मन, | सुन्दर लगती नग्न देह, मोहती नयन-मन, |
11:40, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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मेरे आँगन में, (टीले पर है मेरा घर) |
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