"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 428": अवतरणों में अंतर
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{[[ | {[[महावीर|भगवान महावीर]] ने कितने वर्षों की [[साधना]] के पश्चात 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया? | ||
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||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|border|80px|महावीर]]'महावीर' [[जैन धर्म]] के [[प्रवर्तक]] [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|भगवान ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें [[जैन]] [[तीर्थंकर]] थे। वे अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे। उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। [[कलिंग]] नरेश की कन्या यशोदा से [[महावीर]] का [[विवाह]] हुआ। किंतु 30 [[वर्ष]] की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके '[[कैवल्य ज्ञान]]' प्राप्त किया। महावीर ने [[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]] के आरंभ किए तत्वज्ञान को परिमार्जित करके उसे [[जैन दर्शन]] का स्थायी आधार प्रदान किया। महावीर ऐसे धार्मिक नेता थे, जिन्होंने राज्य का या किसी बाहरी शक्ति का सहारा लिए बिना, केवल अपनी श्रद्धा के बल पर [[जैन धर्म]] की पुन: प्रतिष्ठा की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महावीर]] | |||
{मरुद्गण कुल कितने माने जाते हैं? | {मरुद्गण कुल कितने माने जाते हैं? | ||
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-अड़तालीस (48) | |||
+उनचास (49) | |||
-पचास (50) | |||
-इक्यावन (51) | |||
||'मरुद्गण' एक देवगण का नाम है। [[वेद|वेदों]] में इन्हें रुद्र और वृश्नि का पुत्र लिखा गया है और इनकी संख्या 60 की तिगुनी मानी गई है; पर [[पुराण|पुराणों]] में इन्हें [[कश्यप]] और [[दिति]] का पुत्र लिखा गया है, जिसे उसके वैमात्रिक भाई [[इंद्र]] ने गर्भ में काटकर एक से उनचास टुकड़े कर डाले थे, जो 49 मरुद् हुए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मरुद्गण]] | |||
{पिछवाई कलाकृतियों में बने चित्र उद्धृत किये गए हैं- | {पिछवाई कलाकृतियों में बने चित्र उद्धृत किये गए हैं- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
महाभारत से | -[[महाभारत]] से | ||
-[[रामायण]] से | |||
+[[कृष्ण|भगवान कृष्ण]] के जीवन से | |||
-[[राजपूत]] राजाओं के जीवन से | |||
||[[चित्र:Krishna-Radha-1.jpg|right|border|80px|कृष्ण]]'कृष्ण' को [[हिन्दू धर्म]] में [[विष्णु|भगवान विष्णु]] का [[अवतार]] माना जाता है। [[सनातन धर्म]] के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को भोग तथा [[मोक्ष]] प्रदान करने वाले प्रमुख [[देवता]] हैं। [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] साधारण व्यक्ति न होकर 'युग पुरुष' थे। उनके व्यक्तित्व में [[भारत]] को एक प्रतिभा सम्पन्न 'राजनीतिवेत्ता' ही नही, एक महान् 'कर्मयोगी' और 'दार्शनिक' प्राप्त हुआ, जिसका '[[गीता]]' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। कृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृष्ण]] | |||
{निम्न में से वह कौन था, जिसने असुरों के गुरु शुक्राचार्य से छलपूर्वक संजीवनी विद्या प्राप्त की थी? | {निम्न में से वह कौन था, जिसने [[असुर|असुरों]] के [[शुक्राचार्य|गुरु शुक्राचार्य]] से छलपूर्वक संजीवनी विद्या प्राप्त की थी? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
भरत | +[[कच]] | ||
-[[भरत]] | |||
-[[पुरु]] | |||
-[[प्रह्लाद]] | |||
||'कच' पौराणिक धर्म ग्रंथों और [[हिन्दू]] मान्यताओं के अनुसार [[देवता|देवताओं]] के गुरु [[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] के पुत्र थे। इन्होंने [[दैत्य]] गुरु [[शुक्राचार्य]] से संजीवनी विद्या प्राप्त की थी। किंतु गुरु पुत्री [[देवयानी]] के प्रेम को ठुकरा देने के कारण देवयानी ने [[कच]] को संजीवनी विद्या भूल जाने का शाप दे दिया। इसके साथ ही कच ने भी देवयानी को यह शाप दिया कि 'कोई भी [[ब्राह्मण]] उससे [[विवाह]] नहीं करेगा।'{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कच]] | |||
{'पाई डंडा' नृत्य शैली भारत के किस क्षेत्र से सम्बन्धित है? | {'पाई डंडा' [[नृत्य कला|नृत्य शैली]] [[भारत]] के किस क्षेत्र से सम्बन्धित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +[[बुंदेलखंड]] | ||
-[[उत्तरांचल]] | |||
-[[छत्तीसगढ़]] | |||
-[[झारखण्ड]] | |||
||[[चित्र:Orchha-Fort-Bundelkhand.jpg|right|border|80px|ओरछा किला, बुंदेलखंड]]'बुंदेलखंड' [[उत्तर प्रदेश]] के दक्षिण और [[मध्य प्रदेश]] के पूर्वोत्तर में स्थित है। यह एक पहाड़ी इलाका है, जिसमें पूर्व स्वातंत्रय युग में अनेक छोटी-बड़ी रियासतें थीं। [[बुंदेलखंड]] का अधिकांश भूभाग अब उत्तर प्रदेश में है, किन्तु कुछ भाग मध्य प्रदेश में भी मिला है। यह उस भूखण्ड का नाम है, जिसके उत्तर में [[यमुना नदी|यमुना]] और दक्षिण में [[विन्ध्याचल पर्वत|विन्ध्य पर्वत श्रृंखला]], पूर्व में [[बेतवा नदी|बेतवा]] और पश्चिम में [[टौंस नदी|टौंस]] अथवा [[तमसा नदी]] स्थित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बुंदेलखंड]] | |||
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11:46, 9 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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