"अमर्त्य सेन": अवतरणों में अंतर
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{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | |||
[[ | |चित्र=Amartya Sen.jpg | ||
|चित्र का नाम=अमर्त्य सेन | |||
अमर्त्य सेन हार्वड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं। सेन ने एम.आई.टी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के रूप में भी शिक्षण कार्य किया है। | |पूरा नाम=अमर्त्य सेन | ||
|अन्य नाम= | |||
|जन्म=[[3 नवम्बर]], [[1933]] | |||
|जन्म भूमि=[[शांति निकेतन]], [[कोलकाता]] | |||
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|कर्म-क्षेत्र=अर्थशास्त्री, प्राध्यापक | |||
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|विषय= | |||
|खोज= | |||
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|शिक्षा= | |||
|विद्यालय=प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता, ट्रिनीटी कॉलेज कैम्ब्रिज | |||
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|प्रसिद्धि='[[नोबेल पुरस्कार]]' प्राप्त करने वाले पहले एशियाई | |||
|विशेष योगदान= | |||
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|अन्य जानकारी=इन्होंने अकाल, ग़रीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखीं हैं, वे अपने आप में बेजोड़ हैं। | |||
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'''अमर्त्य सेन''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Amartya Sen'', जन्म: [[3 नवम्बर]], [[1933]], [[कोलकाता]]) [[अर्थशास्त्र]] के लिये [[1998]] का [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त करने वाले पहले एशियाई हैं। [[शांति निकेतन]] में जन्मे इस विद्वान् अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक पुस्तकें तथा पर्चे लिखे हैं। प्रो. अमर्त्य सेन आम अर्थशास्त्रियों के सम्मान के समान नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ, एक मानववादी भी हैं। इन्होंने अकाल, ग़रीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखीं हैं, वे अपने आप में बेजोड़ हैं। अमर्त्य सेन हार्वड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं। अमर्त्य सेन ने एम.आई.टी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के रूप में भी शिक्षण कार्य किया है। | |||
==शिक्षा== | ==शिक्षा== | ||
अमर्त्य सेन का जन्म [[कोलकाता]] शहर के शांति निकेतन नामक स्थान में हुआ था। जहाँ उनके नाना 'क्षिति मोहन सेन' शिक्षक थे। उनके पिता 'आशुतोष सेन' ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के अध्यापक थे। कोलकाता के शांति निकेतन और 'प्रेसीडेंसी कॉलेज' से शिक्षा पूर्ण करके उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। | अमर्त्य सेन का जन्म [[कोलकाता]] शहर के [[शांति निकेतन]] नामक स्थान में हुआ था। जहाँ उनके नाना 'क्षिति मोहन सेन' शिक्षक थे। उनके पिता 'आशुतोष सेन' ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के अध्यापक थे। कोलकाता के शांति निकेतन और 'प्रेसीडेंसी कॉलेज' से शिक्षा पूर्ण करके उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के कुछ वर्ष अमर्त्य सेन ने बर्मा (वर्तमान [[म्यांमार]]) में स्थित मांडले नामक स्थान पर भी बिताए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ढाका में हुई। अमर्त्य सेन को [[1999]] में [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया। | ||
केनेथ ऐरो नाम के एक अर्थशास्त्री ने असंभाव्यता सिद्धांत नाम की अपनी खोज में कहा था कि व्यक्तियों की अलग-अलग पसन्द को मिलाकर समूचे समाज के लिए किसी एक संतोषजनक पसन्द का निर्धारण करना सम्भव नहीं हैं। | केनेथ ऐरो नाम के एक अर्थशास्त्री ने असंभाव्यता सिद्धांत नाम की अपनी खोज में कहा था कि व्यक्तियों की अलग-अलग पसन्द को मिलाकर समूचे समाज के लिए किसी एक संतोषजनक पसन्द का निर्धारण करना सम्भव नहीं हैं। | ||
'''प्रो. सेन ने गणितीय आधार यह सिद्ध किया है कि समाज इस तरह के नतीजों के असर को कम करने के उपाय ढूँढ सकता है।''' | '''प्रो. सेन ने गणितीय आधार यह सिद्ध किया है कि समाज इस तरह के नतीजों के असर को कम करने के उपाय ढूँढ सकता है।''' | ||
==भारत से सीखे पश्चिम: अमर्त्य सेन== | ==भारत से सीखे पश्चिम: अमर्त्य सेन== | ||
====4 जून, 2011, शनिवार==== | ====4 जून, 2011, शनिवार==== | ||
[[अर्थशास्त्र]] में [[नोबेल पुरस्कार]] जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री [[अमर्त्य सेन|डॉ. अमर्त्य सेन]] ने पश्चिमी देशों को [[भारत]] और [[चीन]] से सीख लेने की सलाह दी है। डॉक्टर सेन का कहना है कि पश्चिमी देशों को नए विचारों की | [[अर्थशास्त्र]] में [[नोबेल पुरस्कार]] जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री [[अमर्त्य सेन|डॉ. अमर्त्य सेन]] ने पश्चिमी देशों को [[भारत]] और [[चीन]] से सीख लेने की सलाह दी है। डॉक्टर सेन का कहना है कि पश्चिमी देशों को नए विचारों की ज़रूरत है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेड बिजनेस स्कूल में संजय लाल विजिटिंग प्रोफेसरशीप ऑफ बिज़नेस एंड डेवलपमेंट की शुरुआत करते हुए डॉ. सेन ने एक पैनल चर्चा में कहा कि विकासशील देश पश्चिम में अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही चर्चा में स्तरीय विचार दे सकते हैं। डॉक्टर सेन के मुताबिक़ भारत और चीन बाज़ारों को सुरक्षित ढंग से खोल रहे हैं। [[नई दिल्ली]] और बीजिंग के पास नए विचार हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीक़े से अमल में भी लाया जा रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के मुताबिक़ पश्चिमी देशों को भी ऐसा ही करने की ज़रूरत है। | ||
====समाचार को विभिन्न | ====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें==== | ||
*[http://www.livehindustan.com/news/business/businessnews/article1-Western-economy-should-learn-from-India:-Amratya-Sen-45-45-174552.html लाइव हिन्दुस्तान] | *[http://www.livehindustan.com/news/business/businessnews/article1-Western-economy-should-learn-from-India:-Amratya-Sen-45-45-174552.html लाइव हिन्दुस्तान] | ||
*[http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%96-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8-1110604117_1.htm वेबदुनिया हिन्दी] | *[http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF/%E0%A4%AA%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%AE-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A5%80%E0%A4%96-%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%A4%E0%A4%BE-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%85%E0%A4%AE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8-1110604117_1.htm वेबदुनिया हिन्दी] | ||
*[http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15130833,00.html dw-world.de] | *[http://www.dw-world.de/dw/article/0,,15130833,00.html dw-world.de] | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश |लेखक= लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन= भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या= 41|url=|ISBN=}} | |||
<references/> | |||
==बाहरी कड़ियाँ== | ==बाहरी कड़ियाँ== | ||
*[http://nobelprize.org/nobel_prizes/economics/laureates/1998/sen-autobio.html Amartya Sen] | *[http://nobelprize.org/nobel_prizes/economics/laureates/1998/sen-autobio.html Amartya Sen] | ||
*[http://pustak.org/bs/home.php?bookid=6242 अमर्त्य सेन का जीवन] | *[http://pustak.org/bs/home.php?bookid=6242 अमर्त्य सेन का जीवन] | ||
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10:05, 11 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण
अमर्त्य सेन
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पूरा नाम | अमर्त्य सेन |
जन्म | 3 नवम्बर, 1933 |
जन्म भूमि | शांति निकेतन, कोलकाता |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | अर्थशास्त्री, प्राध्यापक |
विद्यालय | प्रेसीडेंसी कॉलेज कोलकाता, ट्रिनीटी कॉलेज कैम्ब्रिज |
पुरस्कार-उपाधि | भारत रत्न, नोबेल पुरस्कार |
प्रसिद्धि | 'नोबेल पुरस्कार' प्राप्त करने वाले पहले एशियाई |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | इन्होंने अकाल, ग़रीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखीं हैं, वे अपने आप में बेजोड़ हैं। |
अमर्त्य सेन (अंग्रेज़ी: Amartya Sen, जन्म: 3 नवम्बर, 1933, कोलकाता) अर्थशास्त्र के लिये 1998 का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले एशियाई हैं। शांति निकेतन में जन्मे इस विद्वान् अर्थशास्त्री ने लोक कल्याणकारी अर्थशास्त्र की अवधारणा का प्रतिपादन किया है। उन्होंने कल्याण और विकास के विभिन्न पक्षों पर अनेक पुस्तकें तथा पर्चे लिखे हैं। प्रो. अमर्त्य सेन आम अर्थशास्त्रियों के सम्मान के समान नहीं हैं। वह अर्थशास्त्री होने के साथ-साथ, एक मानववादी भी हैं। इन्होंने अकाल, ग़रीबी, लोकतंत्र, स्त्री-पुरुष असमानता और सामाजिक मुद्दों पर जो पुस्तकें लिखीं हैं, वे अपने आप में बेजोड़ हैं। अमर्त्य सेन हार्वड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक हैं। वे जादवपुर विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकानामिक्स और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी शिक्षक रहे हैं। अमर्त्य सेन ने एम.आई.टी, स्टैनफोर्ड, बर्कली और कॉरनेल विश्वविद्यालयों में अतिथि अध्यापक के रूप में भी शिक्षण कार्य किया है।
शिक्षा
अमर्त्य सेन का जन्म कोलकाता शहर के शांति निकेतन नामक स्थान में हुआ था। जहाँ उनके नाना 'क्षिति मोहन सेन' शिक्षक थे। उनके पिता 'आशुतोष सेन' ढाका विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र के अध्यापक थे। कोलकाता के शांति निकेतन और 'प्रेसीडेंसी कॉलेज' से शिक्षा पूर्ण करके उन्होंने कैम्ब्रिज के ट्रिनीटी कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की। अपने जीवन के कुछ वर्ष अमर्त्य सेन ने बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में स्थित मांडले नामक स्थान पर भी बिताए। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा ढाका में हुई। अमर्त्य सेन को 1999 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
केनेथ ऐरो नाम के एक अर्थशास्त्री ने असंभाव्यता सिद्धांत नाम की अपनी खोज में कहा था कि व्यक्तियों की अलग-अलग पसन्द को मिलाकर समूचे समाज के लिए किसी एक संतोषजनक पसन्द का निर्धारण करना सम्भव नहीं हैं। प्रो. सेन ने गणितीय आधार यह सिद्ध किया है कि समाज इस तरह के नतीजों के असर को कम करने के उपाय ढूँढ सकता है।
भारत से सीखे पश्चिम: अमर्त्य सेन
4 जून, 2011, शनिवार
अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री डॉ. अमर्त्य सेन ने पश्चिमी देशों को भारत और चीन से सीख लेने की सलाह दी है। डॉक्टर सेन का कहना है कि पश्चिमी देशों को नए विचारों की ज़रूरत है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेड बिजनेस स्कूल में संजय लाल विजिटिंग प्रोफेसरशीप ऑफ बिज़नेस एंड डेवलपमेंट की शुरुआत करते हुए डॉ. सेन ने एक पैनल चर्चा में कहा कि विकासशील देश पश्चिम में अर्थव्यवस्था को लेकर चल रही चर्चा में स्तरीय विचार दे सकते हैं। डॉक्टर सेन के मुताबिक़ भारत और चीन बाज़ारों को सुरक्षित ढंग से खोल रहे हैं। नई दिल्ली और बीजिंग के पास नए विचार हैं और उन्हें चरणबद्ध तरीक़े से अमल में भी लाया जा रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री के मुताबिक़ पश्चिमी देशों को भी ऐसा ही करने की ज़रूरत है।
समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय चरित कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 41 |