"आयलर संख्याएँ": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{गणित}}
{{गणित}}
[[Category:गणित]][[Category:बीजगणित]][[Category:संख्या]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
[[Category:गणित]][[Category:अंकगणित]][[Category:संख्या]][[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__
__NOTOC__

07:40, 14 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

आयलर संख्याएँ आयलर (ऑयलर) संख्याओं का नाम जर्मन गणितज्ञ लियोनार्ड ऑयलर के नाम पर रखा गया है। ये संख्याएँ आयलर बहुपदों (पॉलीनोमियल्स) से उत्पन्न होती हैं:

यदि
जहाँ ई नेपरीय लघुगणकों का आधार है और

आ0न (य) = यन,

तो आ0न(य) को घात न और वर्ण (ऑर्डर) शून्य का आयलर बहुपद कहते हैं।

वर्ण स के आयलर बहुपदों की परिभाषा यह है: य =1/2स रखने से २नआन() (य) के जो मान प्राप्त होते हैं, उन्हें वर्ण स की आयलर संख्याएँ आन() कहते हैं। विषम प्रत्यय (साफ़िक्स) की समस्त आयलर संख्याएँ शून्य हो जाती हैं।

इस प्रकार आन (स)=२ आन(स) (1/2स)।

आन (१)(स) के लिए हम आन(स) लिखते हैं।

हम जानते हैं कि का पुनर्विन्यास करके य२प के गुणांक को श्रेणी 1/4p व्युकाे 1/2 pय के पद य२प के गुणांक के समान रखने से हमें यह प्राप्त होगा:
इस संबंध से स्पष्ट है कि आयलर संख्याएँ बराबर बढ़ती जाती हैं और प्रत्येक संख्या का चिन्ह बदलता जाता है, अर्थात्‌ वे क्रमानुसार घनात्मक और ऋणात्मक होती हैं।[1]

का मान सारणिक के रूप में होता है।

बर्नूली संख्याओं की भाँति आयलर संख्याएँ भी सांख्यिकी स्टैटिस्टिक्स) में अंतर्वेशन (इंटरपोलेशन) में प्रयुक्त होती हैं।[2]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 1 |प्रकाशक: नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 399-400 |
  2. सं.ग्रं.-मिल्न-टॉमसन: कैल्क्युलस ऑव फ़ाइनाइट डिफ़रेंसेज़।

संबंधित लेख