"अष्टभुजा शुक्ल": अवतरणों में अंतर
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केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा व सचिव, केदार सम्मान समिति नरेंद्र पुंडरीक ने बताया है कि कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनके कविता संग्रह "दु:स्वप्न भी आते है" के लिए वर्ष 2009 का केदार सम्मान देने का निर्णय किया गया है। प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह चौदहवाँ केदार सम्मान है। इस से पूर्व समकालीन कविता के चर्चित 13 कवियों को केदार सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। अष्टभुजा शुक्ल का ये संकलन "दु:स्वप्न भी आते हैं" वर्ष [[2004]] में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। निर्णय की घोषणा [[23 जुलाई]], [[2010]] को की गई। निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि-<br> | |||
'''कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ [[केदारनाथ अग्रवाल]] और [[नागार्जुन]] की झलक मिलती है।''' ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं '''जो खेत में लिख सकता है वही [[काग़ज़]] पर भी लिख सकता है'''; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं। यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धड़कता है। उनके कविता संग्रह "दु:स्वप्न भी आते हैं" की कविताएँ बाज़ारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच दूरदराज़ गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं। श्री अष्टभुजा शुक्ल को इससे पहले ही ललित निबंध के लिए राजा चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, [[रायपुर]], [[छत्तीसगढ़]]) व परिवेश सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। | |||
==प्रकाशन== | |||
ललित निबंध, कविता, आलोचनात्मक लेख देश की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में। | |||
==प्रमुख कृतियाँ== | |||
*मिठउवा (ललित निबंध) | |||
*पद-कुपद (कविता-संग्रह) | |||
*चैत के बादल (कविता-संग्रह) | |||
*दुःस्वप्न भी आते हैं (कविता-संग्रह) | |||
==सम्मान== | |||
परिवेश सम्मान, राजा चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, रायपुर, छत्तीसगढ़), केदार सम्मान (2010)। | |||
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अष्टभुजा शुक्ल<br> | अष्टभुजा शुक्ल<br> | ||
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तुलसीदास उदयराज संस्कृत महाविद्यालय<br> | तुलसीदास उदयराज संस्कृत महाविद्यालय<br> | ||
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==बाहरी कड़ियाँ== | |||
*[http://www.kavitakosh.org/kk/index.php?title=%E0%A4%85%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%AD%E0%A5%81%E0%A4%9C%E0%A4%BE_%E0%A4%B6%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E2%80%8D%E0%A4%B2 अष्टभुजा शुक्ल] | |||
*[http://www.srijangatha.com/kavita_16may2k10 अष्टभुजा शुक्ल की तीन कविताएँ] | |||
*[http://haashiya.wordpress.com/2007/08/26/%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A4%BE-%E0%A4%B2%E0%A4%B2%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%B2%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AE-%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0/ कितना ललितललाम यार है, भारत घोडे़ पर सवार है] | |||
*[http://hindi.indiawaterportal.org/content/sanjayubach-blogspot अष्टभुजा शुक्ल जी के लेखनी से संजय द्विवेदी का परिचय] | |||
==संबंधित लेख== | |||
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11:31, 7 मार्च 2021 के समय का अवतरण
- अष्टभुजा शुक्ल का जन्म भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के बस्ती जनपद के दीक्षापार गांव में 1954 में हुआ था।
- वर्तमान में संस्कृत महाविद्यालय चित्राखोर (बस्ती), उत्तर प्रदेश में अध्यापन कार्य करते हैं। इनके अब तक तीन काव्य संग्रह आ चुके हैं।
- कविता के अतिरिक्त ललित निबंधों व पदों की रचना के कारण वे अपनी विशेष पहचान हिन्दी जगत् में बना चुके हैं।
केदार सम्मान
केदार शोध पीठ न्यास, बाँदा व सचिव, केदार सम्मान समिति नरेंद्र पुंडरीक ने बताया है कि कवि अष्टभुजा शुक्ल को उनके कविता संग्रह "दु:स्वप्न भी आते है" के लिए वर्ष 2009 का केदार सम्मान देने का निर्णय किया गया है। प्रतिवर्ष दिया जाने वाला यह चौदहवाँ केदार सम्मान है। इस से पूर्व समकालीन कविता के चर्चित 13 कवियों को केदार सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। अष्टभुजा शुक्ल का ये संकलन "दु:स्वप्न भी आते हैं" वर्ष 2004 में राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किया गया है। निर्णय की घोषणा 23 जुलाई, 2010 को की गई। निर्णय की प्रशस्ति में लिखा गया है कि-
कवि अष्टभुजा शुक्ल एक ऐसे ग्रामीण कवि हैं, जिनकी कविता में एक साथ केदारनाथ अग्रवाल और नागार्जुन की झलक मिलती है। ऐसे समय में, जब कविता पन्त की प्रसिद्ध कविता भारतमाता ग्रामवासिनी से दूर छिटक रही है, वे लिखते हैं जो खेत में लिख सकता है वही काग़ज़ पर भी लिख सकता है; फिर उनकी कविता का केंद्र न केवल प्रसिद्ध काव्यलक्षण सौन्दर्य है, बल्कि जनजीवन के पूर्ण सुख दुःख भी हैं। यही कारण है कि उनकी सरल सपाट- सी दिखने वाली कविता में भी कविता का जीवन धड़कता है। उनके कविता संग्रह "दु:स्वप्न भी आते हैं" की कविताएँ बाज़ारवाद और भूमंडलीकरण के चक्रवात के बीच दूरदराज़ गाँवों के लोगों के पक्ष में खड़ी कविताएँ हैं। श्री अष्टभुजा शुक्ल को इससे पहले ही ललित निबंध के लिए राजा चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, रायपुर, छत्तीसगढ़) व परिवेश सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रकाशन
ललित निबंध, कविता, आलोचनात्मक लेख देश की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में।
प्रमुख कृतियाँ
- मिठउवा (ललित निबंध)
- पद-कुपद (कविता-संग्रह)
- चैत के बादल (कविता-संग्रह)
- दुःस्वप्न भी आते हैं (कविता-संग्रह)
सम्मान
परिवेश सम्मान, राजा चक्रधर सम्मान (सृजन-सम्मान, रायपुर, छत्तीसगढ़), केदार सम्मान (2010)।
- संपर्क
अष्टभुजा शुक्ल
प्राध्यापक
तुलसीदास उदयराज संस्कृत महाविद्यालय
चित्राखोर, बनकटी, बस्ती, उत्तरप्रदेश
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बाहरी कड़ियाँ
- अष्टभुजा शुक्ल
- अष्टभुजा शुक्ल की तीन कविताएँ
- कितना ललितललाम यार है, भारत घोडे़ पर सवार है
- अष्टभुजा शुक्ल जी के लेखनी से संजय द्विवेदी का परिचय