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{'प्रथम बौद्ध संगीति' कहाँ आयोजित की गई थी?
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-[[वैशाली]]]]
-[[वैशाली]]
-[[पाटलीपुत्र]]
-[[पाटलीपुत्र]]
+[[राजगृह]]
+[[राजगृह]]
-[[उज्जैन]]
-[[उज्जैन]]
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|100px|right|border|बौद्ध धर्म का प्रतीक ]]'राजगृह' अथवा 'राजगीर' [[बिहार]] में [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यह कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करता था, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। राजगीर जिस समय मगध की राजधानी थी, उस समय इसे '[[राजगृह]]' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है। मथुरा से यह रास्ता [[वैरंजा]], [[सोरेय्य]], [[संकिस्सा]], [[कान्यकुब्ज]] होते हुए [[प्रयाग]], [[प्रतिष्ठानपुर]] जाता था, जहाँ पर [[गंगा]] पार करके [[वाराणसी]] पहुँचा जाता था। माना जाता है कि [[महावीर स्वामी|भगवान महावीर स्वामी]] ने [[वर्षा ऋतु]] में राजगृह में सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। यहाँ [[प्रथम बौद्ध संगीति|प्रथम विश्‍व बौद्ध संगीति]] का आयोजन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजगृह]]
||[[चित्र:Buddhism-Symbol.jpg|100px|right|border|बौद्ध धर्म का प्रतीक ]]'राजगृह' अथवा 'राजगीर' [[बिहार]] में [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक प्रसिद्ध शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यह कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करता था, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। राजगीर जिस समय मगध की राजधानी थी, उस समय इसे '[[राजगृह]]' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर राजगृह तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध]] ग्रंथों में प्राप्त होता है। मथुरा से यह रास्ता [[वैरंजा]], [[सोरेय्य]], [[संक़िस्सा ]], [[कान्यकुब्ज]] होते हुए [[प्रयाग]], [[प्रतिष्ठानपुर]] जाता था, जहाँ पर [[गंगा]] पार करके [[वाराणसी]] पहुँचा जाता था। माना जाता है कि [[महावीर स्वामी|भगवान महावीर स्वामी]] ने [[वर्षा ऋतु]] में राजगृह में सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। यहाँ [[प्रथम बौद्ध संगीति|प्रथम विश्‍व बौद्ध संगीति]] का आयोजन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजगृह]]
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