"कला-संस्कृति और धर्म सामान्य ज्ञान 3": अवतरणों में अंतर
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{ [[ | {[[शास्त्रीय संगीत]] का प्रारम्भिक स्रोत कौन-सा [[वेद]] है? | ||
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- [[सामवेद]] | - [[सामवेद]] | ||
- [[अथर्ववेद]] | - [[अथर्ववेद]] | ||
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद]] ऋग्वेद सनातन धर्म अथवा [[हिन्दू धर्म]] का स्रोत है। इसमें 1028 सूक्त हैं, जिनमें [[देवता|देवताओं]] की स्तुति की गयी है। इस ग्रंथ में देवताओं का यज्ञ में आह्वान करने के लिये मन्त्र हैं। यही सर्वप्रथम वेद है। ऋग्वेद को दुनिया के सभी इतिहासकार हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार की सबसे पहली रचना मानते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]] | |||
{ राग भैरव या राग भैरवी कब गाया जाता है? | { 'राग भैरव' या 'राग भैरवी' कब गाया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- रात्रि | - रात्रि का प्रथम प्रहर | ||
- रात्रि | - रात्रि का द्वितीय प्रहर | ||
- रात्रि | - रात्रि का तृतीय प्रहर | ||
+ प्रात:काल | + प्रात:काल | ||
{ राग देस किस प्रहर गाया जाता है? | { राग देस किस प्रहर में गाया जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- मध्य रात्रि | - मध्य रात्रि | ||
- प्रात:काल | - प्रात:काल | ||
- रात्रि | - रात्रि का प्रथम प्रहर | ||
+ रात्रि | + रात्रि का द्वितीय प्रहर | ||
{ निम्नलिखित में से कौन | { निम्नलिखित में से कौन गायन में सुविख्यात है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- शोभना नारायण | - शोभना नारायण | ||
+ एम. एस. | + [[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | ||
- पण्डित युवराज | - पण्डित युवराज | ||
- एम. एस. गोपालकृष्णन | - [[एम. एस. गोपालकृष्णन]] | ||
|| [[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'मदुरै षण्मुखवडिवु सुब्बुलक्ष्मी' अथवा एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी को कर्नाटक संगीत का पर्याय माना जाता है और [[भारत]] की वह ऐसी पहली गायिका थीं जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण [[भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया। उनके गाये हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। {{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी]] | |||
{ | {पन्नालाल घोष का संबंध किस [[वाद्य यंत्र]] से है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- [[मृदंग]] | -[[मृदंग]] | ||
+ [[बाँसुरी]] | -[[शहनाई]] | ||
- | +[[बाँसुरी]] | ||
-[[सरोद]] | |||
|| [[चित्र: | ||[[चित्र:Pannalal-Ghosh.jpg|right|100px|border|पन्नालाल घोष]]'पन्नालाल घोष' [[भारत]] के प्रसिद्ध [[बाँसुरी वादक]] थे। वह 'बांसुरी के मसीहा', 'नयी बांसुरी के जन्मदाता' और 'भारतीय शास्त्रीय संगीत के युगपुरुष' कहे जाते हैं, जिसने लोक वाद्य [[बाँसुरी]] को शास्त्रीय के रंग में ढालकर शास्त्रीय वाद्य यंत्र बना दिया। बांसुरी को शास्त्रीय वाद्य के रूप में लोगों के दिलों में बसाने का काम [[पन्नालाल घोष]] ने शुरू किया और [[हरिप्रसाद चौरसिया|पंडित हरिप्रसाद चौरसिया]] जैसे बांसुरी वादकों ने इस वाद्य यंत्र को विदेशों में लोकप्रिय कर दिया। पन्नालाल जी ने कई फ़िल्मों में भी बांसुरी बजाई थी, जो आज भी अद्वितीय है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पन्नालाल घोष]], [[बाँसुरी]] | ||
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09:20, 12 दिसम्बर 2021 के समय का अवतरण
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- कला प्रांगण, कला कोश, संस्कृति प्रांगण, संस्कृति कोश, धर्म प्रांगण, धर्म कोश
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