"भूपेन हज़ारिका सेतु": अवतरणों में अंतर
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11:57, 8 मार्च 2022 के समय का अवतरण
भूपेन हज़ारिका सेतु
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अन्य नाम | ढोला-सदिया सेतु |
देश | भारत |
राज्य | असम |
नदी | लोहित नदी |
रखरखाव | सड़क यातायात और राजमार्ग मंत्रालय |
लम्बाई | 9.15 कि.मी. |
उद्घाटन | 26 मई, 2017 |
उद्घाटनकर्ता | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी |
निर्माण | शुरुआत- 2011; पूर्ण- 10 मार्च, 2017 |
भूपेन हज़ारिका सेतु या ढोला-सदिया सेतु (अंग्रेज़ी: Bhupen Hazarika Setu or Dhola–Sadiya Bridge) भारत का सबसे लम्बा सेतु है जो भारतीय राज्य असम में स्थित है। इस सेतु का उद्घाटन 26 मई, 2017 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किया गया था। यह सेतु 9.15 किलोमीटर (5.69 मील) लम्बा है और लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उपनदी है। भूपेन हज़ारिका सेतु का एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला कस्बे में और दूसरा छोर असम के तिनसुकिया जिले के सदिया कस्बे में है।
- असम का सदिया वही जगह है, जिसकी मिट्टी ने भूपेन हज़ारिका जैसी शख्सियत को जन्म दिया, जिसने गीत संगीत की दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी. जिसके नाम से संगीत की दुनिया दमक उठती है, जिसकी आवाज़ से गायकी की दुनिया गूंज उठती है, जिसकी कविताओं से मुहब्बत के साज़ निकलते हैं, जिसने फिल्में भी बनाई और गीत भी लिखे. जिसकी शख्सियत से असम का सीना चौड़ा हो जाता है. उस महान गायक पर भारत को नाज़ है।
- भूपेन हजारिका देश के एक महान संगीतकार, बेहतरीन गायक, अच्छे कवि, उत्कृष्ठ फिल्म निर्माता और शानदार गीतकार रहे। असम ही नहीं देश-दुनिया उनकी प्रतिभा को सलाम करती थी। आपने हिंदी फिल्म 'रुदाली' के कई गानों को आवाज दी. इसके अलावा असमिया भाषा के कवि, फिल्म निर्माता, लेखक और असम की संस्कृति और संगीत के अच्छे जानकार भी रहे.
- भूपेन हज़ारिका सेतु का निर्माण साल 2011 में शुरू किया गया था.
- असम के तिनसुकिया ज़िले के सदिया में 2,056 करोड़ रुपये की लागत से बना यह पुल 9.15 किलोमीटर लंबा है और मुंबई स्थित बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से 3.55 किलोमीटर अधिक लंबा है.
- इस पुल के बन जाने से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच यात्रा करने में लगने वाले समय में चार घंटे की कमी आई है। इसके अलावा दोनों राज्यों के सदूरवर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को भी इसका फायदा मिला है।
- यह पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किलोमीटर और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 300 किलोमीटर दूर है. इस पुल के चलते दोनों राज्यों के बीच की दूरी 165 किलोमीटर तक घट गई है।
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