"कमलापति त्रिपाठी": अवतरणों में अंतर
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'''कमलापति त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kamalapati Tripathi'', जन्म: [[3 सितम्बर]], [[1905]]; मृत्यु: [[8 अक्टूबर]], [[1990]], [[वाराणसी]]) भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से एक वरिष्ठ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे संविधान सभा के सदस्य रहे। कमलापति त्रिपाठी [[उत्तर प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] और रेलवे के केंद्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं प्रदान की। | '''कमलापति त्रिपाठी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Kamalapati Tripathi'', जन्म: [[3 सितम्बर]], [[1905]]; मृत्यु: [[8 अक्टूबर]], [[1990]], [[वाराणसी]]) एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से एक वरिष्ठ [[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]] के नेता थे। वे [[संविधान सभा]] के सदस्य रहे। कमलापति त्रिपाठी ने [[उत्तर प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] और [[रेल परिवहन|रेलवे]] के केंद्रीय मंत्री के रूप में भी सेवाएं प्रदान की। | ||
==परिचय== | ==परिचय== | ||
कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितम्बर, 1905 को हुआ थ। उनके पिता का नाम पंडित नारायणपति त्रिपाठी था। मूल रूप से वह पंडी के त्रिपाठी परिवार के थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पंडी तिवारी कहा जाता था। | कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितम्बर, 1905 को हुआ थ। उनके पिता का नाम पंडित नारायणपति त्रिपाठी था। मूल रूप से वह पंडी के त्रिपाठी परिवार के थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पंडी तिवारी कहा जाता था। [[औरंगज़ेब]] के समय के दौरान उनके पूर्वज वाराणसी में बस गए थे। उन्होंने [[काशी विद्यापीठ]] से शास्त्री की उपाधि एवं डी. लिट. किया था। उन्होंने दैनिक हिंदी [[अखबार]] 'आज' और बाद में 'संसार' के लिए काम कर रहे एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह दो टैब्लोइड्स के संपादक भी थे। उनका 19 वर्ष की आयु में [[विवाह]] हो गया था। उनके 5 बच्चे थे, जिनमें उनके तीन बेटे और दो बेटियां थीं। उनके सबसे बड़े पुत्र लोकपति त्रिपाठी थे, जो उत्तर प्रदेश में मंत्री थे तथा उनके दूसरे बेटे मायापाति त्रिपाठी हैं, जिन्होंने अखिल भारतीय किसान मजदूर वाहिनी के नाम से सामाजिक संगठन की स्थापना की। उनका सबसे छोटा बेटा मंगलापति त्रिपाठी (जिसे शशिपति त्रिपाठी भी कहा जाता है) है। | ||
==राजनीतिक कॅरियर== | ==राजनीतिक कॅरियर== | ||
कमलपति त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने [[1921]] के दौरान [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लिया। वह [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भी सक्रिय भागीदार थे, जिसके लिए वह जेल भी गये। 1942 में वे आंदोलन में भाग लेने के लिए मुंबई गए थे जब उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तीन साल तक जेल भेज दिया गया। | कमलपति त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने [[1921]] के दौरान [[असहयोग आंदोलन]] में भाग लिया। वह [[सविनय अवज्ञा आंदोलन]] में भी सक्रिय भागीदार थे, जिसके लिए वह जेल भी गये। [[1942]] में वे आंदोलन में भाग लेने के लिए मुंबई गए थे जब उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तीन साल तक जेल भेज दिया गया। | ||
;उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री | ;उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री | ||
कमलपति त्रिपाठी [[4 अप्रैल]], [[1971]] से [[12 जून]], [[1973]] तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। वर्ष [[1973]] से [[1978]], [[1978]] से [[1980]] और [[1985]] से [[1986]] में वे राज्य सभा के सदस्य थे। वर्ष [[1980]] [[1984]] तक वे [[लोक सभा]] के सदस्य थे। | कमलपति त्रिपाठी [[4 अप्रैल]], [[1971]] से [[12 जून]], [[1973]] तक [[उत्तर प्रदेश]] के [[मुख्यमंत्री]] बने रहे। वर्ष [[1973]] से [[1978]], [[1978]] से [[1980]] और [[1985]] से [[1986]] में वे [[राज्य सभा]] के सदस्य थे। वर्ष [[1980]] [[1984]] तक वे [[लोक सभा]] के सदस्य थे। | ||
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कमलापति त्रिपाठी [[1975]] से [[1977]] के बीच रेलवे के केंद्रीय मंत्री थे और [[1980]] से कुछ समय पहले भी। उन्होंने [[भारत]] के रेलवे बजट को [[1975]] से [[1976]] | कमलापति त्रिपाठी [[1975]] से [[1977]] के बीच [[रेल परिवहन|रेलवे]] के केंद्रीय मंत्री थे और [[1980]] से कुछ समय पहले भी। उन्होंने [[भारत]] के रेलवे बजट को [[1975]] से [[1976]], 1976 से [[1977]] और [[1980]] से [[1981]] तक पेश किया। कमलापति त्रिपाठी ने [[पुणे]] में डीजल लोको शेड अपने कार्यकाल के दौरान शुरू किया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने निम्नलिखित गाड़ियों की शुरुआत की- | ||
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कमलापति त्रिपाठी [[हिन्दी]] तथा [[संस्कृत]] के | कमलापति त्रिपाठी [[हिन्दी]] तथा [[संस्कृत]] के विद्वान् व ग्रंथकार थे। उन्होंने 'आज' तथा 'संसार' नामक [[समाचार पत्र|समाचार पत्रों]] का सम्पादन किया। गांधी दर्शन से सम्बद्ध पुस्तक पर उन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया। वो संसदीय विषयों के अच्छे वक्ता होने के साथ ही प्रभावशाली वक्ता भी थे। | ||
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05:56, 8 अक्टूबर 2022 के समय का अवतरण
कमलापति त्रिपाठी
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पूरा नाम | कमलापति त्रिपाठी |
जन्म | 3 सितम्बर, 1905 |
मृत्यु | 8 अक्टूबर, 1990 |
मृत्यु स्थान | वाराणसी |
अभिभावक | पंडित नारायणपति त्रिपाठी |
संतान | तीन पुत्र तथा दो पुत्री |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री |
कार्य काल | 4 अप्रैल, 1971 से 13 जून, 1973 |
शिक्षा | शास्त्री की उपाधि एवं डी. लिट. |
विद्यालय | काशी विद्यापीठ |
जेल यात्रा | कमलापति त्रिपाठी सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल गये। |
अन्य जानकारी | कमलापति त्रिपाठी हिन्दी तथा संस्कृत के विद्वान् व ग्रंथकार थे। उन्होंने 'आज' तथा 'संसार' नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। |
कमलापति त्रिपाठी (अंग्रेज़ी: Kamalapati Tripathi, जन्म: 3 सितम्बर, 1905; मृत्यु: 8 अक्टूबर, 1990, वाराणसी) एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लेखक, पत्रकार और स्वतंत्रता सेनानी थे। वे वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से एक वरिष्ठ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वे संविधान सभा के सदस्य रहे। कमलापति त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और रेलवे के केंद्रीय मंत्री के रूप में भी सेवाएं प्रदान की।
परिचय
कमलापति त्रिपाठी का जन्म 3 सितम्बर, 1905 को हुआ थ। उनके पिता का नाम पंडित नारायणपति त्रिपाठी था। मूल रूप से वह पंडी के त्रिपाठी परिवार के थे, जिन्हें लोकप्रिय रूप से पंडी तिवारी कहा जाता था। औरंगज़ेब के समय के दौरान उनके पूर्वज वाराणसी में बस गए थे। उन्होंने काशी विद्यापीठ से शास्त्री की उपाधि एवं डी. लिट. किया था। उन्होंने दैनिक हिंदी अखबार 'आज' और बाद में 'संसार' के लिए काम कर रहे एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। वह दो टैब्लोइड्स के संपादक भी थे। उनका 19 वर्ष की आयु में विवाह हो गया था। उनके 5 बच्चे थे, जिनमें उनके तीन बेटे और दो बेटियां थीं। उनके सबसे बड़े पुत्र लोकपति त्रिपाठी थे, जो उत्तर प्रदेश में मंत्री थे तथा उनके दूसरे बेटे मायापाति त्रिपाठी हैं, जिन्होंने अखिल भारतीय किसान मजदूर वाहिनी के नाम से सामाजिक संगठन की स्थापना की। उनका सबसे छोटा बेटा मंगलापति त्रिपाठी (जिसे शशिपति त्रिपाठी भी कहा जाता है) है।
राजनीतिक कॅरियर
कमलपति त्रिपाठी स्वतंत्रता सेनानी भी थे। उन्होंने 1921 के दौरान असहयोग आंदोलन में भाग लिया। वह सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी सक्रिय भागीदार थे, जिसके लिए वह जेल भी गये। 1942 में वे आंदोलन में भाग लेने के लिए मुंबई गए थे जब उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया और तीन साल तक जेल भेज दिया गया।
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री
कमलपति त्रिपाठी 4 अप्रैल, 1971 से 12 जून, 1973 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने रहे। वर्ष 1973 से 1978, 1978 से 1980 और 1985 से 1986 में वे राज्य सभा के सदस्य थे। वर्ष 1980 1984 तक वे लोक सभा के सदस्य थे।
रेलमंत्री
कमलापति त्रिपाठी 1975 से 1977 के बीच रेलवे के केंद्रीय मंत्री थे और 1980 से कुछ समय पहले भी। उन्होंने भारत के रेलवे बजट को 1975 से 1976, 1976 से 1977 और 1980 से 1981 तक पेश किया। कमलापति त्रिपाठी ने पुणे में डीजल लोको शेड अपने कार्यकाल के दौरान शुरू किया था। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने निम्नलिखित गाड़ियों की शुरुआत की-
- साबरमती एक्सप्रेस
- गंगा कावेरी एक्सप्रेस
- नीलंबारी एक्सप्रेस
- वाराणसी एक्सप्रेस (दिल्ली-लखनऊ एक्सप्रेस)
- तमिलनाडु एक्सप्रेस
- काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस
साहित्य सेवा
कमलापति त्रिपाठी हिन्दी तथा संस्कृत के विद्वान् व ग्रंथकार थे। उन्होंने 'आज' तथा 'संसार' नामक समाचार पत्रों का सम्पादन किया। गांधी दर्शन से सम्बद्ध पुस्तक पर उन्हें मंगला प्रसाद पारितोषिक प्रदान किया गया। वो संसदीय विषयों के अच्छे वक्ता होने के साथ ही प्रभावशाली वक्ता भी थे।
निधन
कमलापति त्रिपाठी का 8 अक्टूबर, 1990 को वाराणसी में निधन हो गया।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ उत्तर प्रदेश विधान सभा (हिंदी) uplegisassembly.gov.in। अभिगमन तिथि: 2 जून, 2017।
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