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| { 'मृदंग केसरी' किसे कहा जाता है?
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| -ठाकुर भीकम सिंह
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| -पालधार रघु
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| -सखा राम
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| +नान साहब पानसे
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| { [[संगीत]] में प्रयुक्त 'धैवत स्वर' से किस [[देवता]] का बोध होता है?
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| -[[अग्नि]]
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| +[[गणेश]]
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| -[[लक्ष्मी]]
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| -[[सरस्वती]]
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| ||[[चित्र:Ganesha.jpg|right|120px|गणेश]]गणेश और [[हनुमान]] ही [[कलि युग]] के ऐसे [[देवता]] हैं, जो अपने [[भक्त|भक्तों]] से कभी रुठते नहीं, अत: इनकी आराधना करने वालों से ग़लतियाँ भी होती हैं, तो वह क्षम्य होती हैं। भगवान [[गणेश]] [[संगीत]] के [[स्वर (संगीत)|स्वर]] 'धैवत' से भी मुख्य रूप से जुड़े हुए हैं। गणेश जी ही ऐसे देवता हैं, जिनकी [[पूजा]] घास-फूस अपितु पेड़-पौधों की पत्तियों से भी करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। इनकी [[पूजा]] के लिए इनके प्रधान 21 नामों से 21 पत्ते अर्पण करने का विधान मिलता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गणेश]]
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| { पंडित विश्व मोहन भट्ट ने किस [[वाद्य यंत्र]] की खोज की है?
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| |type="()"}
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| -[[वीणा]]
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| -[[सितार]]
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| -सरोद
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| +मोहन वीणा
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| { [[बिहार]] के प्रसिद्ध [[तबला]] वादक 'निदेश पाण्डेय' के गुरु का नाम क्या है?
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| |type="()"}
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| -[[उस्ताद ज़ाकिर हुसैन]]
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| +पंडित कपिल देव सिंह
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| -[[भीमसेन जोशी]]
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| -[[बिरजू महाराज]]
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| { [[संगीत]] में पंचम [[स्वर (संगीत)|स्वर]] किस पशु/पक्षी का द्योतक है?
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| |type="()"}
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| -[[मयूर]]
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| -[[हाथी]]
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| -[[बाघ]]
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| +कोयल
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| { प्रसिद्ध पुस्तक 'राग विबोध' के रचयिता कौन हैं?
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| |type="()"}
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| -पंडित अहोबल
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| +पंडित सोमनाथ
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| -पंडित व्यंकटमुखी
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| -पंडित ओंकारनाथ ठाकुर
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| { ‘संगीत भारती’ नामक [[संगीत]] शिक्षण संस्थान कहाँ पर है?
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| |type="()"}
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| -[[अजमेर]]
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| -[[जयपुर]]
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| +[[बीकानेर]]
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| -[[दिल्ली]]
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| ||[[चित्र:Junagarh-Fort-Bikaner.jpg|right|120px|जूनागढ़ क़िला, बीकानेर]]बीकानेर [[जोधपुर]], [[जयपुर]], [[दिल्ली]], [[नागौर]] और [[गंगानगर]] से रेलमार्ग और सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। ज़िले की सीमा जहाँ चूरू, नागौर, गंगानगर, [[हनुमानगढ़]], जोधपुर व [[जैसलमेर]] की सीमा को छूती है। [[बीकानेर]] के महाविद्यालय (मेडिकल स्कूल और शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान सहित) 'राजस्थान विश्वविद्यालय' से संबद्ध हैं। यहाँ का 'संगीत भारती' नामक शिक्षण संस्थान मुख्य रूप से उल्लेखनीय है। जिसके द्वारा प्रतिवर्ष हज़ारों विद्यार्थियों को [[संगीत]] की शिक्षा दी जाती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बीकानेर]]
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| { [[भारत]] का राष्ट्रीय [[वाद्य यंत्र]] कौन-सा है?
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| |type="()"}
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| -[[वीणा]]
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| +[[सितार]]
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| -[[बाँसुरी]]
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| -[[तबला]]
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| ||[[चित्र:Sitar.jpg|right|120px|सितार]][[सितार]] परंपरिक [[वाद्य यंत्र]] होने के साथ ही सबसे अधिक लोकप्रिय भी है, और सितार ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसने पूरी दुनिया में [[भारत]] का नाम लोकप्रिय किया है। सितार को भारत का राष्ट्रीय '''वाद्य यंत्र''' होने का गौरव भी प्राप्त है। सितार बहुआयामी साज होने के साथ ही एक ऐसा वाद्य यंत्र है, जिसके ज़रिये भावनाओं को प्रकट किया जाता हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गणेश]]
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| { [[सितार]] में कितने तार होते हैं?
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| |type="()"}
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| -पाँच
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| -छ:
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| +सात
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| -चार
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| { '[[तानपुरा]]' के बीच के स्टील से बने दोनों तारों को क्या कहा जाता है?
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| |type="()"}
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| -षड़ज का तार
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| -तरब का तार
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| -चिकारी का तार
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| +जोड़ी का तार
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| { [[सितार]] में उपस्थित प्रथम तार को क्या कहा जाता है?
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| |type="()"}
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| +बोल तार या बाज का तार
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| -लरज का तार
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| -जोड़ी का तार
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| -चिकारी का तार
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| { [[अरब]] देशों में वायलिन का नाम किस रूप में प्रचलित था?
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| |type="()"}
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| -[[सारंगी]]
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| +रवाब
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| -बाहुलिन
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| -लीरा
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| { [[चण्डीगढ़]] में कौन-सा [[संगीत]] शिक्षण संस्थान विद्यमान है?
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| |type="()"}
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| +प्राचीन कला केन्द्र
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| -प्रयाग संगीत समिति
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| -गन्धर्व महाविद्यालय
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| -कला संस्थान
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| { किस [[वाद्य यंत्र]] के प्रयोग में 'शीशम' की लकड़ी का अधिक प्रयोग होता है?
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| |type="()"}
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| -[[हारमोनियम]]
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| +[[तबला]]
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| -गिटार
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| -[[तानपुरा]]
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| ||[[चित्र:Zakir-Hussain.jpg|right|120px|ज़ाकिर हुसैन]]आधुनिक काल में गायन, वादन तथा [[नृत्य कला|नृत्य]] की संगति में तबले का प्रयोग होता है। तबले के दो भागों को क्रमशः '[[तबला]]' तथा 'डग्गा' या 'डुग्गी' कहा जाता है। अधिकांशत: तबले का निर्माण शीशम की लकड़ी से किया जाता है, क्योंकि शीशम की लकड़ी अत्यधिक मजबूत होती है। तबले को बजाने के लिये हथेलियों तथा हाथ की उंगलियों का प्रयोग किया जाता है। तबले के द्वारा अनेकों प्रकार के बोल निकाले जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तबला]]
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| { [[भारत]] में मुख्यत: कितने प्रकार की [[स्वर (संगीत)|स्वर]] [[लिपि]] पद्धतियाँ प्रचलित हैं?
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| |type="()"}
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| -एक
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| +दो
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| -तीन
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| -चार
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| </quiz>
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