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| ==कला और संस्कृति==
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| <quiz display=simple>
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| {'[[राउफ नृत्य|राउफ]]' किस राज्य की प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैली है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 15)
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| -[[गुजरात]]
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| -[[पश्चिम बंगाल]]
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| +[[जम्मू-कश्मीर]]
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| -[[हिमाचल प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Gulmarg-Jammu-And-Kashmir.jpg|right|120px|गुलमर्ग]]'जम्मू-कश्मीर' भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग में पश्चिमी पर्वत श्रेणियों के निकट स्थित है। राज्य में [[मुस्लिम|मुस्लिमों]] द्वारा मनाए जाने वाले चार प्रमुख त्योहार हैं- [[ईद-उल-फितर]], [[ईद उल ज़ुहा]], [[ईद-ए-मिलाद]] या मीलादुन्नबी और मेराज आलम। [[मुहर्रम]] भी यहाँ बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। [[भारत]] में प्रचलित कुछ प्रमुख [[लोक नृत्य]] शैलियों में से एक [[रउफ नृत्य]] यहाँ का प्रसिद्ध [[नृत्य कला|नृत्य]] है। यह नृत्य मुख्यत: कश्मीरी स्त्रियों द्वारा किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जम्मू-कश्मीर]]
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| {'कीर्तन' कहाँ का प्रमुख [[लोक नृत्य]] है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 27)
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| +[[पश्चिम बंगाल]]
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| -[[असम]]
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| -[[उड़ीसा]]
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| -[[उत्तर प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Shyam-Rai-Temple-Bishnupur.jpg|right|100px|श्याम राय मन्दिर, विष्णुपुर]][[रंगमंच]] [[पश्चिम बंगाल]] में अत्यधिक लोकप्रिय है तथा नए कलाकारों के साथ-साथ पेशेवर कलाकारों द्वारा मंच-प्रस्तुति उच्च कोटि की होती है। यहाँ 'जात्रा' खुले रंगमंच पर होने वाला पारंपरिक कार्यक्रम है, जिसकी कथावस्तु अब स्पष्ट रूप से पौराणिक एवं ऐतिहासिक विषयों से समकालीन विषय-वस्तु में परिवर्तित हो रही है और यह ग्रामीण और शहरी, दोनों शहरों में लोकप्रिय है। 'कथाकाता' एक धार्मिक जाप है और लोक गीतों पर आधारित ग्रामीण मनोरंजन का एक पारम्परिक स्वरूप है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पश्चिम बंगाल]]
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| {[[लोक नृत्य]] और राज्यों के युग्मों में कौन-सा एक सुमेलित नहीं है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 374, प्र. 47)
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| -[[तमाशा]] - [[महाराष्ट्र]]
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| +झूमर - [[हरियाणा]]
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| -कजरी - [[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[गिद्दा नृत्य|गिद्दा]] - [[पंजाब]]
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| ||[[हरियाणा की संस्कृति|हरियाणा के सांस्कृतिक]] जीवन में राज्य की [[कृषि]] आधारित अर्थव्यवस्था के विभिन्न अवसरों की लय प्रतिबिंबित होती है और इसमें [[प्राचीन भारत]] की परंपराओं व लोक कथाओं का भंडार है। स्थानीय लोक गीत और [[लोक नृत्य]] अपने आकर्षक अंदाज़ में राज्य के सांस्कृतिक जीवन को प्रदर्शित करतें हैं। [[बसंत ऋतु]] में मौजमस्ती से भरे [[होली]] के त्योहार को लोग एक-दूसरे पर [[गुलाल]] उड़ाकर और गीला [[रंग]] डालकर मनाते हैं। भगवान [[कृष्ण]] के जन्मदिन '[[जन्माष्टमी]]' का [[हरियाणा]] में विशिष्ट धार्मिक महत्त्व है, क्योंकि [[कुरुक्षेत्र]] ही वह रणभूमि थी, जहाँ कृष्ण ने योद्धा [[अर्जुन]] को [[श्रीमद्भगवद गीता]] का उपदेश दिया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हरियाणा]]
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| {गायन के क्षेत्र में [[संयुक्त राष्ट्र]] में गायन का गौरव निम्न में से किसे प्राप्त है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 376, प्र. 17)
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| -अनूप जलौटा
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| -[[भूपेन हज़ारिका]]
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| -[[लता मंगेशकर]]
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| +[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]
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| ||[[चित्र:Subbulakshami.jpg|right|100px|एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]'एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी' को [[कर्नाटक]] [[संगीत]] का पर्याय माना जाता है। वह [[भारत]] की ऐसी पहली गायिका थीं, जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण '[[भारत रत्न]]' से सम्मानित किया गया था। उनके गाये हुए गाने, ख़ासकर भजन आज भी लोगों के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं। [[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]] ने जब [[संयुक्त राष्ट्र]] की असेम्बली में अपना गायन पेश किया था, तो प्रसिद्ध पत्र 'न्यूयार्क टाइम्स' ने लिखा था कि वे अपने संगीत के द्वारा पश्चिम के श्रोताओं से जो सम्पर्क स्थापित करती हैं, उसके लिए यह आवश्यक नहीं कि श्रोता उनके शब्दों का अर्थ समझें।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी]]
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| {'भातखण्डे संगीत महाविद्यालय' कहाँ स्थित है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 377, प्र. 33)
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| +[[लखनऊ]]
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| -[[अहमदाबाद]]
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| -[[चण्डीगढ़]]
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| -[[इलाहाबाद]]
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| ||[[चित्र:Chota-Imambara-Lucknow.jpg|right|120px|छोटा इमामबाड़ा, लखनऊ]]'लखनऊ' को ऐतिहासिक रूप से 'अवध क्षेत्र' के नाम से जाना जाता था। पुरातत्त्ववेत्ताओं के अनुसार इसका प्राचीन नाम 'लक्ष्मणपुर' था। [[राम]] के छोटे भाई [[लक्ष्मण]] ने इसे बसाया था। यहाँ के [[शिया]] नवाबों ने शिष्टाचार, ख़ूबसूरत उद्यानों, कविता, [[संगीत]], और बढ़िया व्यंजनों को सदैव संरक्षण दिया। [[लखनऊ]] को 'नवाबों का शहर' कहा जाता था। इस शहर को पूर्व का 'स्वर्ण नगर' और 'शिराज-ए-हिंद' के रूप में भी जाना जाता है। [[कला]] और [[संस्कृति]] के संरक्षक [[अवध]] के नवाबों के शासनकाल में की गई [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल चित्रकारी]] आज भी कई संग्रहालयों में है। [[बड़ा इमामबाड़ा लखनऊ|बड़ा इमामबाड़ा]], [[छोटा इमामबाड़ा लखनऊ|छोटा इमामबाड़ा]] तथा [[रूमी दरवाज़ा लखनऊ|रूमी दरवाज़ा]], [[मुग़ल कालीन स्थापत्य एवं वास्तुकला|मुग़ल वास्तुकला]] के अद्भुत उदाहरण हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लखनऊ]]
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| {[[मुग़ल चित्रकला]] किसके राज्य काल में अपनी पराकाष्ठा पर पहुँची?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 381, प्र. 45)
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| -[[हुमायूँ]]
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| +[[जहाँगीर]]
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| -[[अकबर]]
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| -[[शाहजहाँ]]
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| ||[[चित्र:Jahangir-Tomb-Lahore.jpg|right|100px|जहाँगीर का मक़बरा, लाहौर]][[मुग़ल]] बादशाह होने के साथ-साथ [[जहाँगीर]] के चरित्र में एक अच्छा लक्षण था- प्रकृति से ह्रदय से आनंद लेना तथा [[फूल|फूलों]] को प्यार करना, उत्तम सौन्दर्य, बोधात्मक रुचि से सम्पन्न। स्वयं चित्रकार होने के कारण जहाँगीर [[कला]] एवं [[साहित्य]] का पोषक था। 'किराना घराने' की उत्पत्ति का मुख्य श्रेय जहाँगीर को ही दिया जाता है। उसका 'तुजूके-जहाँगीरी' संस्मरण उसकी साहित्यिक योग्यता का प्रमाण है। जहाँगीर ने एक आदर्श प्रेमी की तरह 1615 ई. में [[लाहौर]] में संगमरमर की एक सुन्दर क़ब्र बनवायी, जिस पर एक प्रेमपूर्ण [[अभिलेख]] था, "यदि मै अपनी प्रेयसी का चेहरा पुनः देख पाता, तो क़यामत के दिन तक अल्लाह को धन्यवाद देता रहता।"{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
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| {[[भीमबेटका गुफ़ाएँ भोपाल|भीमबेटका]] किसके लिए प्रसिद्ध है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 382, प्र. 55)
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| |type="()"}
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| +गुफ़ाओं के शैलचित्र
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| -[[खनिज]]
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| -[[बौद्ध]] प्रतिमाएँ
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| -[[सोन नदी]] का उद्गम स्थल
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| {[[जैन]] तीर्थंकरों के क्रम में अंतिम [[तीर्थंकर]] कौन थे?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 383, प्र. 10)
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| |type="()"}
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| -[[पार्श्वनाथ तीर्थंकर|पार्श्वनाथ]]
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| -[[ऋषभदेव]]
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| +[[महावीर]]
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| -[[नेमिनाथ तीर्थंकर|नेमिनाथ]]
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| ||[[चित्र:Mahaveer.jpg|right|100px|वर्धमान महावीर]]'महावीर' या 'वर्धमान महावीर' [[जैन धर्म]] के प्रवर्तक भगवान [[ऋषभनाथ तीर्थंकर|ऋषभनाथ]] की परम्परा में 24वें जैन [[तीर्थंकर]] थे। इनका जीवन काल 599 ई. ईसा पूर्व से 527 ई. ईसा पूर्व तक माना जाता है। भगवान [[महावीर|महावीर स्वामी]] का जन्म कुंडलपुर, [[वैशाली]] के [[इक्ष्वाकु वंश]] में [[चैत्र मास]] के [[शुक्ल पक्ष]] की [[त्रयोदशी]] को [[उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र]] में हुआ था। इनकी [[माता]] का नाम 'त्रिशला देवी' और [[पिता]] का नाम राजा सिद्धार्थ था। [[कलिंग]] नरेश की कन्या यशोदा से महावीर का [[विवाह]] हुआ। किंतु 30 वर्ष की उम्र में अपने ज्येष्ठबंधु की आज्ञा लेकर इन्होंने घर-बार छोड़ दिया और तपस्या करके 'कैवल्य ज्ञान' प्राप्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जहाँगीर]]
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| {[[बौद्ध धर्म]] में '[[स्तूप]]' किसका प्रतीक है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 53)
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| |type="()"}
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| -महाभिनिष्क्रमण
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| -धर्मचक्रप्रवर्तन
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| -समाधि
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| +महापरिनिर्वान
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| {[[ऋग्वेद]] में सूक्तों की कुल संख्या कितनी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 70)
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| |type="()"}
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| -1007
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| -1017
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| -1027
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| +1028
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| {[[महाभारत]] का मौलिक नाम क्या था?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 384, प्र. 86)
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| |type="()"}
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| -वृहद्कथा
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| -[[राजतरंगिणी]]
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| -कथासरित्सागर
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| +जयसंहिता
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| {[[यहूदी|यहूदियों]] का पूजा स्थल क्या कहलाता है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 386, प्र. 132)
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| |type="()"}
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| -अग्नि मन्दिर
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| +सिनानाग
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| -मजार
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| -[[चर्च]]
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| {[[उत्तर प्रदेश]] में [[बौद्ध]] एवं [[जैन]] दोनों की प्रसिद्ध [[तीर्थ स्थान|तीर्थ स्थली]] कौन-सी है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 387, प्र. 165)
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| |type="()"}
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| -[[सारनाथ]]
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| -[[कुशीनगर]]
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| +[[कौशाम्बी]]
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| -[[देवीपाटन]]
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| ||'कौशांबी', [[महात्मा बुद्ध]] के काल की परम प्रसिद्ध नगरी थी, जो [[वत्स जनपद|वत्स देश]] की राजधानी थी। इसका अभिज्ञान तहसील मंझनपुर, ज़िला [[इलाहाबाद]] में [[प्रयाग]] से 24 मील पर स्थित 'कोसम' नाम के ग्राम से किया गया है। यह नगरी [[यमुना नदी]] पर बसी हुई थी। [[कौशांबी]] से एक कोस उत्तर-पश्चिम में एक छोटी पहाड़ी थी, जिसकी [[प्लक्षगुहा|प्लक्ष]] नामक गुहा में बुद्ध कई बार आए थे। [[जैन]] ग्रंथों में भी कौशांबी का उल्लेख है। आवश्यक सूत्र की एक कथा में जैन भिक्षुणी 'चंदना' का उल्लेख है, जो भिक्षुणी बनने से पूर्व कौशांबी के एक व्यापारी धनावह के हाथों बेच दी गई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कौशाम्बी]]
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| {[[महावीर]] का प्रथम अनुयायी कौन था?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 387, प्र. 170)
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| |type="()"}
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| +जमालि
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| -यशोदा
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| -आणेज्जा
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| -त्रिशला
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| {निम्न में से कौन-सा [[बसंत ऋतु|बसंत]] का स्वागत करता भारतीय त्योहार है?(ल्युसेंट सा.ज्ञा., पृ. 389, प्र. 32)
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| |type="()"}
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| -[[होली]]
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| +[[बसंत पंचमी]]
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| -[[ओणम]]
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| -[[पोंगल]]
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| ||[[चित्र:Mustard.jpg|right|120px|सरसों का खेत]]'बसंत पंचमी' के पर्व से ही '[[बसंत ऋतु]]' का आगमन होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। पत्रपटल तथा [[पुष्प]] खिल उठते हैं। स्त्रियाँ पीले-वस्त्र पहन, [[बसंत पंचमी]] के इस दिन के सौन्दर्य को और भी अधिक बढ़ा देती हैं। लोकप्रिय खेल पतंगबाजी, बसंत पंचमी से ही जुड़ा है। यह विद्यार्थियों का भी दिन है, इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ [[सरस्वती देवी|सरस्वती]] की [[पूजा]] और आराधना की जाती है। [[पीला रंग]] [[हिन्दू|हिन्दुओं]] का शुभ [[रंग]] है। बसंत पंचमी पर न केवल पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, अपितु खाद्य पदार्थों में भी पीले [[चावल]], पीले लड्डू व [[केसर]] युक्त खीर का उपयोग किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बसंत पंचमी]]
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| </quiz>
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