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| ==इतिहास सामान्य ज्ञान==
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| <quiz display=simple>
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| {निम्नलिखित में से कौन-सा [[अभिलेख]] एक ग्रीक नागरिक द्वारा 'गरूड़ स्तम्भ' की स्थापना का उल्लेख करता है?(पृ.सं.-3)
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| |type="()"}
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| -एरण अभिलेख
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| -साँची अभिलेख
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| +बेसनगर अभिलेख
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| -भरहुत अभिलेख
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| {निम्नलिखित में से किसने प्रथम बार [[बौद्ध]] भिक्षुओं को प्रशासनिक एवं वित्तीय मुक्ति प्रदान की? (पृ.सं.-4)
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| -[[गौतमीपुत्र शातकर्णी]]
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| +[[मौर्य]] सम्राट [[अशोक]]
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| -[[बृहद्रथ]]
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| -यज्ञ शातकर्णी
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| ||[[चित्र:Ashokthegreat1.jpg|right|100px|अशोक के चित्र की प्रतिलिपि]]इसमें संदेह नहीं कि [[अशोक]] [[बौद्ध धर्म]] का अनुयायी था। सभी बौद्ध ग्रंथ अशोक को बौद्ध धर्म का अनुयायी बताते हैं। अशोक के [[बौद्ध]] होने के सबल प्रमाण उसके [[अभिलेख]] हैं। अपने राज्याभिषेक से सम्बद्ध लघु शिलालेख में अशोक ने अपने को 'बुद्धशाक्य' कहा है। साथ ही यह भी कहा है कि वह ढाई वर्ष तक एक साधारण उपासक रहा। राज्याभिषेक के दसवें वर्ष में अशोक ने [[बोध गया]] की यात्रा की, बारहवें वर्ष वह [[निगालि सागर]] गया और [[कोनगमन बुद्ध]] के [[स्तूप]] के आकार को दुगुना किया। [[महावंश]] तथा [[दीपवंश]] के अनुसार उसने [[तृतीय बौद्ध संगीति]] भी बुलाई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक]]
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| {निम्नलिखित में से किस [[बहमनी राजवंश|बहमनी]] शासक ने बहमनी राजधानी को [[गुलबर्गा]] से [[बीदर]] स्थानान्तरित किया? (पृ.सं.-5)
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| |type="()"}
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| +[[अहमदशाह प्रथम|अहमदशाह]]
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| -[[फ़िरोजशाह बहमनी]]
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| -[[मुहम्मद बहमनी शाह द्वितीय|मुहम्मदशाह द्वितीय]]
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| -[[ग़यासुद्दीन बहमनी|ग़यासुद्दीन]]
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| ||अहमदशाह बहमनी ने 1422 से 1435 ई. तक राज्य किया। वह [[बहमनी सल्तनत]] का नवाँ सुल्तान था, जो 1422 ई. में अपने भाई, आठवें सुल्तान [[फ़िरोजशाह बहमनी|फ़िरोजशाह]] की हत्या करके तख़्त पर बैठा था। [[अहमदशाह बहमनी]] ने अपनी राजधानी [[गुलबर्गा]] से हटाकर [[बीदर]] में स्थापित की। उसने बीदर का नया नाम 'मुहम्मदाबाद' रखा था। अहमदशाह द्वारा 1432 ई. में निर्मित प्रसिद्ध बीदर दुर्ग के रंगमहल के तीन कमरों में किसी समय सुन्दर पुष्पलताओं के चित्र थे, किन्तु अब वे नष्ट हो चुके हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अहमदशाह प्रथम|अहमदशाह]]
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| {'[[नेहरू रिपोर्ट]]' का संबंध किससे है? (पृष्ठ संख्या-12)
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| +[[मोतीलाल नेहरू]]
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| -[[जवाहरलाल नेहरू]]
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| -[[कमला नेहरू]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||[[चित्र:Motilal-nehru.jpg|right|100px|मोतीलाल नेहरू]]मोतीलाल नेहरू [[भारत]] के प्रथम [[प्रधानमंत्री]] [[जवाहरलाल नेहरू]] के [[पिता]] थे। ये [[कश्मीर]] के [[ब्राह्मण]] थे। इनकी पत्नी का नाम 'स्वरूप रानी' था। [[पंडित मोतीलाल नेहरू]] की क़ानून पर पकड़ बहुत मज़बूत थी। इसी कारण से '[[साइमन कमीशन]]' के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन ने वर्ष [[1927]] में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई, जिसे [[भारत का संविधान]] बनाने का दायित्व सौंपा गया था। इस समिति की रिपोर्ट को ही '[[नेहरू रिपोर्ट]]' के नाम से जाना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोतीलाल नेहरू]]
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| {निम्न में से किस पुस्तक को चित्रित करने के लिए [[मुग़ल]] दरबार में मीर सैय्यद अली और ख़्वाजा अब्दुस समद को आमंत्रित किया गया था? (पृ.सं.-10)
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| |type="()"}
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| -[[आइना-ए-अकबरी]]
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| -[[बाबरनामा]]
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| +दास्तान-ए अमीर हमज़ा
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| -मुन्तखब-उल-तवारिख
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| {'द गोल्डन थ्रेशहोल्ड' नामक कविता संग्रह की रचयिता निम्नलिखित में से कौन हैं? (पृष्ठ संख्या-15)
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| |type="()"}
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| -[[अरुणा आसफ़ अली]]
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| -[[ऐनी बेसेन्ट]]
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| +[[सरोजिनी नायडू]]
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| -[[विजयलक्ष्मी पंडित]]
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| ||[[चित्र:Sarojini-Naidu.jpg|right|100px|सरोजिनी नायडू]]सरोजिनी नायडू [[भारत]] की सुप्रसिद्ध कवयित्री और देश के सर्वोत्तम राष्ट्रीय नेताओं में से एक थीं। वह भारत के स्वाधीनता संग्राम में सदैव आगे रहीं। सरोजिनी के प्रथम कविता-संग्रह 'द गोल्डन थ्रेशहोल्ड' को वर्ष [[1905]] में बहुत ही उत्साह के साथ पढ़ा गया था। उन्हें एक सक्षम, होनहार और नवोदित कवयित्री के रूप में भी सम्मानित किया गया। इंग्लैंड के कई बड़े-बड़े अखबारों 'लंदन-टाइम्स' और 'द मेन्चैस्टर गार्ड्यन' में इस कविता-संग्रह की प्रशंसा युक्त समीक्षाएँ लिखी गई थीं। भारत में उन्हें एक नया उदीयमान तेजस्वी तारा माना गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सरोजिनी नायडू]]
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| {नीचे [[वैदिक साहित्य|उत्तर वैदिक साहित्य]] से ज्ञात राजाओं एवं राज्यों के नाम दिये गए हैं। इनमें से कौन-सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (पृ.सं.-9)
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| |type="()"}
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| +[[अजातशत्रु]] - [[काशी]]
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| -[[अश्वपति]] - [[बाहीक]]
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| -[[जनक]] - [[विदेह]]
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| -[[जनमेजय]] - [[कुरु जनपद|कुरु]]-[[पंचाल]]
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| ||अजातशत्रु [[बिंबिसार]] का पुत्र था। उसने [[मगध]] की राजगद्दी अपने [[पिता]] की हत्या करके प्राप्त की थी। यद्यपि यह एक घृणित कृत्य था, तथापि एक वीर और प्रतापी राजा के रूप में उसने बहुत ख्याति प्राप्त की थी। अपने पिता के समान ही उसने भी साम्राज्य विस्तार की नीति को अपनाया और साम्राज्य की सीमाओं को चरमोत्कर्ष तक पहुँचा दिया। [[अजातशत्रु]] ने [[अंग महाजनपद|अंग]], लिच्छवी, वज्जी, [[कोसल]] तथा [[काशी जनपद|काशी]] जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विशाल साम्राज्य को स्थापित किया था। [[पालि]] ग्रंथों में अजातशत्रु का नाम अनेक स्थानों पर आया है, क्योंकि वह बुद्ध का समकालीन था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अजातशत्रु]]
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| {'[[साइमन कमीशन]]' की घोषणा कब की गई थी?(भारत डिस्कवरी)
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| +[[8 नवम्बर]], [[1927]] ई.
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| -[[10 नवम्बर]], [[1928]] ई.
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| -[[11 नवम्बर]], [[1927]] ई.
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| -[[7 नवम्बर]], [[1928]] ई.
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| ||'[[साइमन कमीशन]]' की नियुक्ति ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में की थी। इस कमीशन में सात सदस्य थे, जो सभी [[ब्रिटेन]] की संसद के मनोनीत सदस्य थे। यही कारण था कि [[भारत]] में इसे '''श्वेत कमीशन''' कहा गया। [[8 नवम्बर]], [[1927]] को इस आयोग की स्थापना की घोषणा हुई। इस आयोग का कार्य इस बात की सिफ़ारिश करना था कि, क्या भारत इस योग्य हो गया है कि यहाँ के लोगों को और संवैधानिक अधिकार दिये जाएँ और यदि दिये जाएँ तो उसका स्वरूप क्या हो?{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[साइमन कमीशन]]
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| {'सोशल डेमोक्रेटिक एलायंस' की स्थापना किसने की थी? (पृ.सं.-8)
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| |type="()"}
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| -कार्ल मार्क्स
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| +बाकुनिन
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| -मैलिनकौक
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| -जॉर्ज फ़ैकानौब
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| {कन्फ्यूसियस किस काल में हुए थे? (पृष्ठ संख्या-12)
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| |type="()"}
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| +चाउ वंश
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| -हान वंश
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| -सुइ वंश
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| -तांग वंश
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| {[[भारत]] में 19वीं शताब्दी के जनजातीय विद्रोह के लिए निम्निलिखित में से कौन-से तत्व ने साझा कारण मुहैया किया? पृष्ठ संख्या-13
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| |type="()"}
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| -भू-राजस्व की नई प्रणाली का लागू होना और जनजातीय उत्पादों पर कर का लगाया जाना।
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| -जनजातीय क्षेत्रों में विदेशी धर्म प्रचारकों का प्रभाव।
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| +जनजातीय क्षेत्रों में बिचौलियों के रूप में बड़ी संख्या में महाजनों, व्यापारियों और लगान के ठेकेदारों का बढ़ना।
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| -जनजातीय समुदायों की प्राचीन भूमि संबंधी व्यवस्था का संपूर्ण विदारण।
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| {आने वाली पीढ़ी के लिए [[रोम]] का पहला और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान किसकी स्थापना था? (पृष्ठ संख्या-12)
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| |type="()"}
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| -पैक्स रोमना (रोम की शांति) की स्थापना
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| -त्रेजन का युग
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| -अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था का आदर्श
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| +[[रोम]] का कानून
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| {[[महात्मा गांधी]] ने कहा था कि "उनकी कुछ सबसे गहन धारणाएँ 'ऑनटू दिस लास्ट' नामक पुस्तक में प्रतिबिंबित होती हैं और इस पुस्तक ने उनके जीवन को बदल डाला।" इस पुस्तक का वह संदेश क्या था, जिसने महात्मा गांधी को बदल दिया? पृष्ठ संख्या-13
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| |type="()"}
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| -सुशिक्षित व्यक्ति का यह नैतिक दायित्व है कि वह शोषित तथा निर्धनों का उत्थान करे।
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| +व्यक्ति का कल्याण सब के कल्याण में ही निहित है।
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| -उच्च जीवन के लिए ब्रह्मचर्य तथा आध्यात्मिक चिंतन अनिवार्य है।
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| -उपरोक्त सभी विकल्प सही हैं।
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| ||[[चित्र:Mahatma-Gandhi-2.jpg|right|100px|महात्मा गाँधी]]'[[महात्मा गाँधी]]' [[भारत]] एवं 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' के एक प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। वह सादा जीवन, शारीरिक श्रम और संयम के प्रति अत्यधिक आकर्षण महसूस करते थे। वर्ष [[1904]] में पूँजीवाद के आलोचक जॉन रस्किन की पुस्तक 'ऑनटू दिस लास्ट' पढ़ने के बाद उन्होंने डरबन के पास फ़ीनिक्स में एक फ़ार्म की स्थापना की, जहाँ वह अपने मित्रों के साथ केवल अपने श्रम के बूते पर जी सकते थे। छः वर्ष के बाद [[गाँधीजी]] की देखरेख में जोहेन्सबर्ग के पास एक नई बस्ती विकसित हुई। रूसी लेखक के नाम पर इसे 'टॉल्सटाय फ़ार्म' का नाम दिया गया। गाँधीजी टॉल्सटाय के प्रशंसक थे और उनसे पत्र व्यवहार करते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[महात्मा गांधी]]
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| {निम्नांकित में से किसने अपनी पुस्तक 'सब्जेक्शन ऑफ़ वूमेन' ([[1869]]) में महिला मताधिकार की बात कही है? पृष्ठ संख्या-13
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| -विल्बरफोर्स
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| -जैकारे मैकौले
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| +जॉन स्टुअर्ट
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| -रॉबर्ट पील
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| {1793 में [[लॉर्ड कार्नवालिस]] की भू-व्यवस्था प्रणाली लागू होने के बाद क़ानूनी विवादों की प्रवृत्ति में बढ़ोत्तरी देखी गई थी। निम्नलिखित प्रावधानों में से किस एक को सामान्यतया इसके कारक के रूप में जोड़ कर देखा जाता है? पृष्ठ संख्या-13
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| |type="()"}
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| -रैवत की तुलना में जमींदार की स्थिति को अधिक सशक्त बनाना।
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| +[[ईस्ट इंडिया कंपनी]] को जमींदारों का अधिपति बनाना।
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| -न्यायिक पद्धति को अधिक कार्यकुशल बनाना।
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| -उपरोक्त में से कोई नहीं
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| ||[[चित्र:Lord Cornwallis.jpg|right|100px|लॉर्ड कार्नवालिस]]1786 ई. में [[ईस्ट इंडिया कंपनी]] ने उच्च वंश एवं कुलीन वृत्ति के व्यक्ति [[लॉर्ड कार्नवालिस]] को '[[पिट एक्ट]]' के अन्तर्गत रेखाकिंत शांति स्थापना तथा शासन के पुनर्गठन हेतु [[गवर्नर-जनरल]] नियुक्त करके [[भारत]] भेजा। [[बंगाल (आज़ादी से पूर्व)|बंगाल]] में भू-राजस्व वसूली का अधिकार किसे दिया जाय तथा उसे कितने समय तक के लिए दिया जाय, इस पर अन्तिम निर्णय कार्नवालिस ने [[सर जॉन शोर]] के सहयोग से किया, और अन्तिम रूप से ज़मीदारों को भूमि का स्वामी मान लिया गया। ज्ञातव्य है कि 'जेम्स ग्रांट' ने कार्नवालिस तथा सर जॉन शोर के विचारों का विरोध करते हुए ज़मीदारों को केवल भूमिकर संग्रहकर्ता ही माना तथा समस्त भूमि को 'सरकन की भूमि' के रूप में मान्यता दी थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लॉर्ड कार्नवालिस]]
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| </quiz>
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