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| {निम्न में से कौन-सी फ़सल [[हड़प्पा संस्कृति]] के लोगों को अज्ञात प्रतीत होती है?(पृ.सं. 175
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| -[[चावल]]
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| -[[कपास]]
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| +[[ज्वार]] (रागी)
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| -[[जौ]]
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| ||[[चित्र:Sorghum-1.jpg|80px|right|ज्वार]]'ज्वार' विश्व की मोटे अनाज वाली एक महत्वपूर्ण फ़सल है। [[वर्षा]] आधारित [[कृषि]] के लिये यह सबसे उपयुक्त फ़सल है। [[ज्वार]] की फ़सल का दोहरा लाभ मिलता है। मानव आहार के साथ-साथ पशु आहार के रूप में इसकी अच्छी खपत होती है। ज्वार की फ़सल कम वर्षा में भी अच्छी उपज दे सकती है। एक ओर जहाँ ज्वार सूखे का सक्षमता से सामना कर सकती है, वहीं कुछ समय के लिये भूमि में जलमग्नता को भी सहन कर सकती है। [[ज्वार]] का पौधा अन्य अनाज वाली फ़सलों की अपेक्षा कम 'प्रकाश संश्लेषण' एवं प्रति इकाई समय में अधिक शुष्क पदार्थ का निर्माण करता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ज्वार]]
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| {[[हड़प्पा सभ्यता|हड़प्पाकालीन सभ्यता]] मुख्यत: निम्नलिखित में से किन प्रदेशों में केन्द्रीयभूत थी? (पृ.सं. 174
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| |type="()"}
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| +[[पंजाब]], [[राजस्थान]] और [[गुजरात]]
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| -पंजाब, राजस्थान और [[उत्तर प्रदेश]]
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| -[[हरियाणा]], राजस्थान और [[दिल्ली]]
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| -[[गुजरात]], [[हरियाणा]] और पश्चिमी [[उत्तर प्रदेश]]
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| ||[[चित्र:Golden-Temple-Amritsar.jpg|right|100px|स्वर्णमन्दिर, पंजाब]]पंजाब [[भारत]] के उत्तर-पश्चिम में स्थित राज्य है, जिसकी सीमाएँ पश्चिम में [[पाकिस्तान]], उत्तर में [[जम्मू और कश्मीर]], उत्तर-पूर्व में [[हिमाचल प्रदेश]] और दक्षिण में [[हरियाणा]] और [[राजस्थान]] राज्य से मिलती हैं। प्राचीन समय में [[पंजाब]] भारत और [[ईरान]] का क्षेत्र था। यहाँ [[मौर्य]], बैक्ट्रियन, [[यूनानी]], [[शक]], [[कुषाण]], [[गुप्त]] आदि अनेक शक्तियों का उत्थान और पतन हुआ। पंजाब [[मध्य काल]] में [[मुस्लिम]] शासकों के अधीन रहा था। यहाँ सबसे पहले [[महमूद ग़ज़नवी|गज़नवी]], [[मुहम्मद ग़ोरी|ग़ोरी]], [[ग़ुलाम वंश]], [[ख़िलजी वंश]], [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक]],[[लोदी वंश|लोदी]] और [[मुग़ल वंश]] के शासकों ने यहाँ राज किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पंजाब]], [[राजस्थान]] और [[गुजरात]]
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| {निम्नलिखित में से कौन एक [[हड़प्पा संस्कृति]] की सुदूर पश्चिमी बस्ती थी? (पृ.सं. 175
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| -[[लोथल]]
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| +सुत्कागेनडोर
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| -[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
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| -मांडा
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| {'कनिक्कई' नामक कर निम्नलिखित में से किस राज्य में वसूला जाता था?(भारतकोश)
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| -[[चोल साम्राज्य]]
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| -[[पल्लव साम्राज्य]]
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| +[[विजयनगर साम्राज्य]]
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| -[[राष्ट्रकूट साम्राज्य]]
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| ||'विजयनगर' का शाब्दिक अर्थ है- 'जीत का शहर'। प्रायः इस नगर को [[मध्य काल]] का प्रथम [[हिन्दू]] साम्राज्य माना जाता है। [[विजयनगर साम्राज्य]] में [[चोल]] कालीन सभा को कहीं-कहीं 'महासभा', 'उर' एवं 'महाजन' कहा जाता था। साम्राज्य द्वारा वसूल किये जाने वाले विविध करों के प्रमुख नाम थे- 'कदमाई', 'मगमाइ', 'कनिक्कई', 'कत्तनम', 'कणम', 'वरम', 'भोगम', 'वारिपत्तम', 'इराई' और 'कत्तायम'। ‘शिष्ट’ नामक भूमिकर विजयनगर राज्य की आय का प्रमुख एवं सबसे बड़ा स्रोत था। राज्य उपज का 1/6 भाग कर के रूप में वसूल करता था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विजयनगर साम्राज्य]]
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| {[[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] के सन्दर्भ में [[अब्दुल हमीद लाहौरी]] कौन थे? (पृ.सं. 30
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| |type="()"}
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| -[[अकबर]] के शासन में एक महत्त्वपूर्ण सैन्य कमांडर
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| -[[औरंगज़ेब]] का एक महत्त्वपूर्ण सामन्त तथा विश्वासपात्र
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| +[[शाहजहाँ]] के शासन का एक राजकीय इतिहासकार
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| -[[मुहम्मदशाह]] के शासन में एक इतिवृत्तिकार तथा [[कवि]]
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| ||[[चित्र:Shah-Jahan.jpg|right|100px|शाहजहाँ ]बादशाह शाहजहाँ के शासन−काल में [[मुग़ल साम्राज्य]] की समृद्धि, शान−शौक़त और ख्याति चरम सीमा पर थी। उसके दरबार में देश−विदेश के अनेक प्रतिष्ठित व्यक्ति आते थे। वे [[शाहजहाँ]] के वैभव और ठाट−बाट को देख कर चकित रह जाते थे। उसके दरबार में [[अब्दुल हमीद लाहौरी]] एक सरकारी इतिहासकार था। राज दरबार में उसे काफ़ी मान-सम्मान और प्रतिषठा प्राप्त थी। अब्दुल हमीद लाहौरी ने जिस महत्त्वपूर्ण कृति की रचना की, उसका नाम 'पादशाहनामा' है। 'पादशाहनामा' को शाहजहाँ के शासन का प्रामाणिक इतिहास माना जाता है। इसमें शाहजहाँ का सम्पूर्ण वृतांत लिखा हुआ है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शाहजहाँ]]
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| {[[सिकन्दर]] के [[भारत]] अभियान के समय उसके साथ कई लेखक भी आये थे। निम्नलिखित में से कौन सिकन्दर का समकालीन नहीं है? (पृ.सं. 171
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| |type="()"}
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| -अरिस्टयेबुलस
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| -नियार्कस
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| -यूनेनीस
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| +इनमें से कोई नहीं
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| {चीनी यात्रियों के [[भारत]] भ्रमण की श्रृंखला में सुंगयुन का उल्लेख प्राप्त होता है। वह [[बौद्ध]] ग्रंथों की खोज में भारत आया था। उसके [[भारत]] आने का समय क्या था? (पृ.सं. 171
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| |type="()"}
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| +518 ई.
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| -629 ई.
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| -642 ई.
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| -817 ई.
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| {किस [[ग्रंथ]] में यह विवरण मिलता है कि [[पुष्यमित्र शुंग]] ने कई [[यज्ञ]] किये थे? (पृ.सं. 171
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| |type="()"}
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| -[[पाणिनी]] के व्याकरण में
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| -[[यास्क]] के [[निरुक्तम|निरुक्त]] में
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| -[[हेमचन्द्र राय चौधरी|हेमचन्द्र]] के परिशिष्ट पर्व में
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| +[[पतंजलि]] के [[महाभाष्य]] में
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| {निम्नलिखित कथनों में से असत्य कथन को छाँटिये? (पृ.सं. 172
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| |type="()"}
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| -[[चोल राजवंश|चोल]] स्वयं को [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] मानते थे
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| -[[नरसिंह वर्मन द्वितीय]] ने एक दूतमंडल [[चीन]] भेजा था
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| -[[कुलोत्तुंग प्रथम|चालुक्य कुलोत्तुंग]] मातृपक्ष से [[चोल|चोलों]] से सम्बन्धित था
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| +[[नन्दि वर्मन द्वितीय]] ने [[भारतीय संस्कृति]] के प्रचार में अनिच्छा प्रदर्शित की।
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| {निम्नलिखित में से किस विदेशी [[अभिलेख]] में भारतीय वैदिक मंडल के [[देवता|देवताओं]] [[वरुण देवता|वरुण]], [[इन्द्र]] एवं नासत्य का विवरण प्राप्त होता है? (पृ.सं. 173
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| |type="()"}
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| -पर्सिपोलिस के बेहिस्तून अभिलेख
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| +[[एशिया]] माइनर के [[बोगजकोई]] अभिलेख
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| -मितन्नी अभिलेख
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| -इनमें से कोई नहीं
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| {निम्नलिखित में से कौन-सा [[हड़प्पा संस्कृति]] का एक स्थल है, जहाँ से [[फ़ारस की खाड़ी]] की मुद्रा उत्खनन से प्राप्त हुई थी? (पृ.सं. 175
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| |type="()"}
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| -[[मोहनजोदड़ो]]
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| -[[धौलावीरा]]
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| +[[लोथल]]
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| -[[कालीबंगा]]
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| {[[ह्वेनसांग]] के विवरणों में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख नहीं मिलता? (पृ.सं. 171
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| |type="()"}
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| -[[कान्यकुब्ज]]
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| -[[नालन्दा]]
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| -[[प्रयाग]]
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| +इनमें से कोई नहीं
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| {[[सिन्धु घाटी सभ्यता]] के सभी स्थलों की सर्व-सामान्य विशेषताएँ क्या थीं? (पृ.सं. 175
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| |type="()"}
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| +पकायी गई ईंटों और [[मिट्टी]] के बर्तनों का उपयोग, विस्तृत जल निकास प्रणाली, दलदल और जंगली जानवरों का पाया जाना।
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| -जलवायु, वनस्पति, जीव जन्तु और कृत्रिम सिंचाई
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| -[[मरुस्थल|मरुभूमि]], नदियाँ एवं प्राणी विज्ञान की विशेषताएँ
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| -भवन, नगर योजना और और शवदाह प्रणाली
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| {आमरी संस्कृति कहाँ पर पनपी थी? (पृ.सं. 175
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| |type="()"}
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| -[[कच्छ|कच्छ क्षेत्र]]
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| -[[अफ़ग़ानिस्तान]]
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| -[[बलूचिस्तान]]
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| +[[सिन्ध]]
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| {पकी [[मिट्टी]] के बने हल का एक प्रतिरूप कहाँ से प्राप्त हुआ है? (पृ.सं. 175
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| |type="()"}
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| +वनवाली
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| -[[कालीबंगा]]
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| -[[राखीगढ़ी]]
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| -[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]
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| </quiz>
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