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| <quiz display=simple>
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| {[[रामायण]] कालीन [[सरयू नदी]] को वर्तमान में क्या कहते हैं?(पृ.सं.-12
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| -[[यमुना नदी|यमुना]]
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| +[[घाघरा नदी|घाघरा]]
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| -[[गोमती नदी|गोमती]]
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| -[[गंगा नदी|गंगा]]
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| {[[समुद्र]] में रहने वाली उस [[नाग]] माता का क्या नाम था, जिसने समुद्र लाँघते हुए [[हनुमान]] को रोका और उन्हें खा जाने को उद्यत हुई थी?(पृ.सं.-12
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| |type="()"}
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| -त्रिजटा
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| -[[मंथरा]]
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| -बलंधरा
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| +सुरसा
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| {[[राजा दशरथ]] ने पुत्रोत्पत्ति हेतु जो [[यज्ञ]] किया था, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-13
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| |type="()"}
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| -[[राजसूय यज्ञ|राजसूय]]
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| +पुत्रेष्टि
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| -[[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]]
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| -इनमें से कोई नहीं
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| {[[जनक|राजा जनक]] के [[पुरोहित]] का नाम क्या था?(पृ.सं.-13
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| |type="()"}
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| -सीरध्वज
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| -[[वशिष्ठ]]
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| +शतानंद
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| -[[याज्ञवल्क्य]]
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| {[[विश्वामित्र|महर्षि विश्वामित्र]] की तपस्या जिस [[अप्सरा]] ने भंग की थी, उसका नाम क्या था?(पृ.सं.-13
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| |type="()"}
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| -[[उर्वशी]]
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| -[[रम्भा]]
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| -घृताची
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| +[[मेनका]]
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| {[[जनक|राजा जनक]] के छोटे भाई का क्या नाम था?(पृ.सं.-13
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| |type="()"}
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| -कुशनाभ
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| -[[कुश]]
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| +कुशध्वज
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| -सीरध्वज
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| {[[शत्रुघ्न]] के [[पुरोहित]] का क्या नाम था?(पृ.सं.-13
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| |type="()"}
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| -शतानीक
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| -उपमन्यु
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| -[[आरुणि]]
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| +कांचन
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| {किस [[देवता]] का एक नाम 'सर्पमाली' है?(पृ.सं.-16
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| |type="()"}
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| -[[विष्णु]]
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| -[[इन्द्र]]
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| -[[वरुण देवता|वरुण]]
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| +[[शिव]]
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| {किस [[ऋषि]] को 'समुद्रचुलुक' कहा जाता है?(पृ.सं.-16
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| |type="()"}
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| -[[भारद्वाज]]
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| +[[अगस्त्य]]
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| -[[याज्ञवल्क्य]]
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| -[[वाल्मीकि]]
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| {पूर्वजन्म में [[रावण]] का नाम क्या था?(पृ.सं.-16
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| |type="()"}
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| +बलंधर
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| -भस्मासुर
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| -प्रतापभानु
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| -[[अघासुर]]
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| {[[निमि|राजा निमि]] की राजधानी का नाम क्या था?(पृ.सं.-16
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| |type="()"}
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| +[[वैजयंत]]
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| -[[कुशस्थली, द्वारका|कुशस्थली]]
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| -[[अहिच्छत्र]]
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| -[[चित्रकूट]]
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| {किस [[देवता]] का एक नाम 'स्थाणु' है?(पृ.सं.-16
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| |type="()"}
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| -[[विष्णु]]
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| -[[गणेश]]
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| -[[इन्द्र]]
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| +[[शिव]]
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| {[[रामायण]] के सबसे छोटे कांड का क्या नाम है?(पृ.सं.-18
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| |type="()"}
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| -[[बाल काण्ड वा. रा.|बालकांड]]
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| +[[अरण्य काण्ड वा. रा.|अरण्यकांड]]
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| -[[सुन्दर काण्ड वा. रा.|सुन्दरकांड]]
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| -[[उत्तर काण्ड वा. रा.|उत्तरकांड]]
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| {[[लंका]] का राजा [[रावण]] किस [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] को बजाने में निपुण था?
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| |type="()"}
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| -[[सितार]]
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| -[[सारंगी]]
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| +[[वीणा]]
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| -[[बाँसुरी]]
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| ||[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|right|120px|रामलीला में रावण]]'रावण' [[रामायण]] का एक विशेष पात्र है। वह स्वर्ण नगरी [[लंका]] का राजा था। [[रावण]] अपने दस सिरों के कारण भी जाना जाता था, जिस कारण उसका एक अन्य नाम 'दशानन' अर्थात 'दस मुख वाला' भी था। किसी भी कृति के लिये अच्छे पात्रों के साथ ही साथ बुरे पात्रों का होना अति आवश्यक है। किन्तु रावण में अवगुण की अपेक्षा गुण अधिक थे। जीतने वाला हमेशा अपने को उत्तम लिखता है, अतः [[रावण]] को बुरा कहा गया है। रावण को चारों [[वेद|वेदों]] का ज्ञाता कहा गया है। [[संगीत]] के क्षेत्र में भी रावण की विद्वता अपने समय में अद्वितीय मानी जाती थी। [[वीणा]] बजाने में रावण सिद्धहस्त था। उसने एक [[वाद्य यंत्र|वाद्य]] भी बनाया था, जो आज के 'बेला' या 'वायलिन' का ही मूल और प्रारम्भिक रूप है। इस वाद्य को 'रावणहत्था' कहते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रावण]]
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| {निम्न में से कौन '[[कवितावली]]' के रचनाकार हैं?
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| |type="()"}
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| +[[तुलसीदास]]
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| -[[चैतन्य महाप्रभु]]
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| -[[सूरदास]]
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| -[[कबीरदास]]
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| ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|तुलसीदास]][[हिन्दी साहित्य]] के आकाश के परम [[नक्षत्र]] [[गोस्वामी तुलसीदास]] [[भक्तिकाल]] की सगुण धारा की रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि [[कवि]] थे। वे एक [[कवि]], [[भक्त]] तथा समाज सुधारक इन तीनो रूपों में मान्य है। युवावस्था में जब इनका परिचय [[राम]] भक्त साधुओं से हुआ, तब इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिला। तुलसीदास साधुओं के साथ भ्रमण करते रहे और इस प्रकार समाज की तत्कालीन स्थिति से इनका सीधा संपर्क हुआ। इसी दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन का परिणाम तुलसी की अमूल्य कृतियाँ हैं, जो उस समय के भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। [[तुलसीदास]] द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें '[[रामचरितमानस]]', '[[कवितावली]]', '[[विनयपत्रिका]]', '[[दोहावली -तुलसीदास|दोहावली]]', '[[गीतावली -तुलसीदास|गीतावली]]', '[[जानकीमंगल]]', '[[हनुमान चालीसा]]', '[[बरवै रामायण]]' आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]]
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