"इतिहास सामान्य ज्ञान 10": अवतरणों में अंतर

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{आरंभिक [[वैदिक साहित्य]] में सर्वाधिक वर्णित नदी कौन-सी है?
|type="()"}
+[[सिन्धु नदी|सिन्धु]]
-[[परुष्णी नदी|परुष्णी]]
-[[सरस्वती नदी|सरस्वती]]
-[[गंगा]]
||[[चित्र:Sindhu-River-1.jpg|सिन्धु नदी|right|100px]]संसार की प्रमुख नदियों में से एक [[सिन्धु नदी]] [[पाकिस्तान]] की सबसे बड़ी नदी है, [[तिब्बत]] के [[कैलाश मानसरोवर|मानसरोवर]] के निकट 'सिन-का-बाब' नामक जलधारा सिन्धु नदी का उद्गम स्थल है। इस नदी की लंबाई प्रायः 2,880 किलोमीटर है। यहाँ से यह नदी तिब्बत और [[कश्मीर]] के बीच बहती है। [[नंगा पर्वत]] के उत्तरी भाग से घूम कर यह नदी दक्षिण पश्चिम में पाकिस्तान के बीच से गुजरती है और फिर [[अरब सागर]] में जाकर मिलती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सिन्धु नदी]]
{उपनिषद काल के राजा [[अश्वपति]] कहाँ के शासक थे?
|type="()"}
-[[काशी]]
+केकय
-[[पांचाल]]
-[[विदेह]]
{वैदिक नदी 'कुभा' ([[काबुल नदी]]) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए?
{वैदिक नदी 'कुभा' ([[काबुल नदी]]) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए?
|type="()"}
|type="()"}
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-[[कश्मीर]] में
-[[कश्मीर]] में
-[[पंजाब]] में
-[[पंजाब]] में
||[[चित्र:Afghanistan-Flag.png|right|120px|अफ़ग़ानिस्तान का ध्वज]][[अफ़ग़ानिस्तान]] या 'अफ़ग़ान इस्लामिक गणराज्य' जंबूद्वीप ([[एशिया]]) का एक देश है। यह दक्षिणी मध्य एशिया में अवस्थित देश है, जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है, लेकिन देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में [[पाकिस्तान]], उत्तर पूर्व में [[कश्मीर]] तथा [[चीन]], उत्तर में ताज़िकिस्तान, कज़ाकिस्तान तथा तुर्कमेनिस्तान और पश्चिम में [[ईरान]] स्थित हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अफ़ग़ानिस्तान]]
||[[चित्र:Afghanistan-Flag.png|right|120px|अफ़ग़ानिस्तान का ध्वज]][[अफ़ग़ानिस्तान]] या 'अफ़ग़ान इस्लामिक गणराज्य' जंबूद्वीप ([[एशिया]]) का एक देश है। यह दक्षिणी [[मध्य एशिया]] में अवस्थित देश है, जो चारों ओर से ज़मीन से घिरा हुआ है। प्रायः इसकी गिनती मध्य एशिया के देशों में होती है, लेकिन देश में लगातार चल रहे संघर्षों ने इसे कभी मध्य पूर्व तो कभी दक्षिण एशिया से जोड़ दिया है। इसके पूर्व में [[पाकिस्तान]], उत्तर पूर्व में [[कश्मीर]] तथा [[चीन]], उत्तर में तज़ाकिस्तान, [[कज़ाकिस्तान]] तथा तुर्कमेनिस्तान और पश्चिम में [[ईरान]] स्थित हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अफ़ग़ानिस्तान]]


{[[भारत]] के किस स्थल की खुदाई से [[लोहा|लौह धातु]] के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं?
{[[भारत]] के किस स्थल की खुदाई से [[लोहा|लौह धातु]] के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं?
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-[[कौशाम्बी]]  
-[[कौशाम्बी]]  
-[[हस्तिनापुर]]  
-[[हस्तिनापुर]]  
||'अतरंजीखेड़ा' [[उत्तर प्रदेश]] के [[एटा]] ज़िलांतर्गत [[गंगा]] की सहायक [[काली नदी]] के तट पर स्थित एक प्रागैतिहासिक स्थल है। इस स्थल की खोज [[1961]]-[[1962]] ई. में [[कनिंघम]] ने की थी। कनिंघम ने चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] द्वारा उल्लिखित 'पि-लो-शा-न' नामक स्थल का अतरंजीखेड़ा से समीकरण किया है। [[अवशेष|अवशेषों]] के आधार पर यहाँ की [[संस्कृति]] को चार स्तरों में बांटा गया है, जिनमें से तीसरे स्तर 'चित्रितधूसर मृद्भाण्ड संस्कृति' में लौह उपकरणों के प्राप्त होने की बात कही गई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अतरंजीखेड़ा]]
||'अतरंजीखेड़ा' [[उत्तर प्रदेश]] के [[एटा]] ज़िलांतर्गत [[गंगा]] की सहायक [[काली नदी]] के तट पर स्थित एक प्रागैतिहासिक स्थल है। इस स्थल की खोज [[1961]]-[[1962]] ई. में [[कनिंघम]] ने की थी। कनिंघम ने चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] द्वारा उल्लिखित 'पि-लो-शा-न' नामक स्थल का अतरंजीखेड़ा से समीकरण किया है। [[अवशेष|अवशेषों]] के आधार पर यहाँ की [[संस्कृति]] को चार स्तरों में बांटा गया है, जिनमें से तीसरे स्तर 'चित्रितधूसर मृद्भाण्ड संस्कृति' में लौह उपकरणों के प्राप्त होने की बात कही गई है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अतरंजीखेड़ा]]
 
{निम्नलिखित में किसका संकलन [[ऋग्वेद]] पर आधारित है?
|type="()"}
-[[यजुर्वेद]]
+[[सामवेद]]
-[[अथर्ववेद]]
-इनमें से कोई नहीं
||‘साम‘ शब्द का अर्थ है ‘गान‘। सामवेद में संकलित मंत्रों को [[देवता|देवताओं]] की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं। जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘उदगाता‘ करते थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सामवेद]]
 
{निम्नांकित में कौन 'प्रस्थानत्रयी' में शामिल नहीं है?
|type="()"}
+[[भागवत पुराण|भागवत]]
-[[गीता|भगवद्गीता]]
-[[ब्रह्मसूत्र]]
-[[उपनिषद]]
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|100px|भागवत पुराण, [[गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ]] इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश कहना अधिक उचित होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण [[हिन्दू]] समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भागवत पुराण]]


{कर्म का सिद्धांत संबंधित है?  
{निम्नलिखित में से 'कर्म का सिद्धांत' किससे संबंधित है?
|type="()"}
|type="()"}
-[[न्याय दर्शन|न्याय]] से  
-[[न्याय दर्शन|न्याय]] से
+मीमांसा से  
+[[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]] से
-[[वेदांत]] से  
-[[वेदांत]] से
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] से  
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] से
||'मीमांसा' शब्द का अर्थ किसी वस्तु के स्वरूप का यथार्थ वर्णन है। [[वेद]] के मुख्यत: दो भाग हैं- प्रथम भाग में 'कर्मकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की प्रवृत्ति होती है। द्वितीय भाग में 'ज्ञानकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की निवृत्ति होती है। कर्म तथा ज्ञान के विषय में कर्ममीमांसा और वेदान्त की दृष्टि में अन्तर है। [[वेदान्त]] के अनुसार कर्मत्याग के बाद ही आत्मज्ञान संभव है। कर्म तो केवल चित्तशुद्धि का साधन है। मोक्ष की प्राप्ति तो ज्ञान से ही हो सकती है, परन्तु कर्ममीमांसा के अनुसार मुमुक्षुजन को भी कर्म करना चाहिए। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]]


{'[[चरक संहिता]]' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?  
{'[[चरक संहिता]]' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?
|type="()"}
|type="()"}
-[[अर्थशास्त्र]]  
-[[अर्थशास्त्र]]
-[[राजनीति]]  
-राजनीति
+चिकित्सा  
+चिकित्सा
-[[धर्म]]  
-[[धर्म]]
||[[चित्र:Charaka-Samhita.jpg|border|100px|right|चरक संहिता]]'चरक संहिता' [[आयुर्वेद]] का एक मूल ग्रन्थ है। यह प्रसिद्ध ग्रंथ [[संस्कृत]] [[भाषा]] में है, जिसके रचयिता [[चरक|आचार्य चरक]] थे। यह आयुर्वेद के सिद्धांत का पूर्ण ग्रंथ है। [[चरक संहिता]] में व्याधियों के उपचार तो बताए ही गए हैं, प्रसंगवश स्थान-स्थान पर [[दर्शन]] और अर्थशास्त्र के विषयों के भी उल्लेख हैं। आयुर्वेद के उपलब्ध ग्रन्थों में प्राचीनतम चरक संहिता और [[सुश्रुत संहिता]] हैं। इनमें से चरक संहिता काय चिकित्सा प्रधान और सुश्रुत संहिता शल्य चिकित्सा प्रधान है। विदेशी विद्वान् भी चरक संहिता को आदर की दृष्टि से देखते हैं। - अधिक जानकारी देखें:- [[चरक संहिता]]


{[[यज्ञ]] संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है?
{[[यज्ञ]] संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है-
|type="()"}
|type="()"}
-[[ऋग्वेद]] से  
-[[ऋग्वेद]] से  
पंक्ति 75: पंक्ति 46:
-[[ब्राह्मण]] ग्रंथों से  
-[[ब्राह्मण]] ग्रंथों से  
+[[यजुर्वेद]] से  
+[[यजुर्वेद]] से  
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]]
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। [[यजुर्वेद]] मूलतः कर्मकाण्ड [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यों की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक [[पूजा]] के प्रति उदासीन होने लगे थे। यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक [[पुरोहित]] करता था। यजुर्वेद कर्मकाण्ड प्रधान ग्रंथ है। इसमें यज्ञों और हवनों के नियम और विधान हैं। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]]
 
{वैदिक [[युग]] में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी?
|type="()"}
-निरंकुश
-प्रजातंत्र
+गणतंत्र
-वंशानुगत राजतंत्र
 
{निम्नलिखित में से कौन भारतीय [[दर्शन]] की आरंभिक विचारधारा है?
|type="()"}
+[[सांख्य दर्शन|सांख्य]]
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]]
-मीमांसा
-योग
||[[चित्र:Sankhya-Darshan.jpg|right|100px|सांख्य दर्शन का आवरण पृष्ठ]] [[महाभारत]] में शान्तिपर्व के अन्तर्गत सृष्टि, उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय और मोक्ष विषयक अधिकांश मत सांख्य ज्ञान व शास्त्र के ही हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उस काल तक (महाभारत की रचना तक) वह एक सुप्रतिष्ठित, सुव्यवस्थित और लोकप्रिय एकमात्र दर्शन के रूप में स्थापित हो चुका था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सांख्य दर्शन]]
 
{निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है जो [[आर्य|आर्यों]] द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी?
|type="()"}
-मृदभांड (पॉटरी)
-[[आभूषण]]
-बढ़ईगीरी (काष्ठकारिता)
+लुहार (लुहारगीरी)
 
{किस [[वेद]] में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है?
|type="()"}
-[[ऋग्वेद]]
-[[यजुर्वेद]]
-[[सामवेद]]
+[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px||अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]] [[अथर्ववेद]] की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]]
 
{'[[आर्य]]' शब्द इंगित करता है?
|type="()"}
+नृजाति समूह को
-यायावरी जन को
-[[भाषा]] समूह को
-श्रेष्ठ वंश को
 
{[[ऋग्वेद]] में कुल कितने मंडल हैं?
|type="()"}
-7
-8
-9
+10
</quiz>
</quiz>
|}
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
__INDEX____NOTOC__
 


[[Category:सामान्य ज्ञान]]
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[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास कोश]]
[[Category:इतिहास सामान्य ज्ञान]]
[[Category:इतिहास सामान्य ज्ञान]]
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{{Review-G}}

13:38, 15 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण

सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 वैदिक नदी 'कुभा' (काबुल नदी) का स्थान कहाँ निर्धारित होना चाहिए?

अफ़ग़ानिस्तान में
चीनी तुर्किस्तान में
कश्मीर में
पंजाब में

2 भारत के किस स्थल की खुदाई से लौह धातु के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं?

तक्षशिला
अतरंजीखेड़ा
कौशाम्बी
हस्तिनापुर

3 निम्नलिखित में से 'कर्म का सिद्धांत' किससे संबंधित है?

न्याय से
मीमांसा से
वेदांत से
वैशेषिक से

4 'चरक संहिता' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?

अर्थशास्त्र
राजनीति
चिकित्सा
धर्म

5 यज्ञ संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है-

ऋग्वेद से
सामवेद से
ब्राह्मण ग्रंथों से
यजुर्वेद से

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