"इतिहास सामान्य ज्ञान 13": अवतरणों में अंतर

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{'[[गायत्री मंत्र]]' किस [[वेद]] से लिया गया है?
|type="()"}
+[[ऋग्वेद]]
-[[सामवेद]]
-[[यजुर्वेद]]
-[[अथर्ववेद]]
||[[चित्र:Rigveda.jpg|right|100px|ऋग्वेद का आवरण पृष्ठ]]'ऋग्वेद' सबसे प्राचीनतम [[वेद]] है। 'ॠक' का अर्थ होता है- 'छन्दोबद्ध रचना या [[श्लोक]]'। [[ऋग्वेद]] में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं। साथ ही इसमें कुल 10,580 ऋचाएँ हैं। ये स्तुति [[मन्त्र]] हैं। ऋग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। प्रथम और अन्तिम मण्डल दोनों ही समान रूप से बड़े हैं। उनमें सूक्तों की संख्या भी 191 है। लोकप्रिय '[[गायत्री मंत्र]]' ([[सावित्री]]) का उल्लेख भी ऋग्वेद के 7वें मण्डल में किया गया है। इस मण्डल के रचयिता [[वसिष्ठ]] थे। यह मण्डल वरुण देवता को समर्पित है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ऋग्वेद]]
{[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा जाता है?
|type="()"}
+क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[देवता|देवताओं]] द्वारा की गई है।
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना पुरुषों द्वारा की गई है।
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[ऋषि|ऋषियों]] द्वारा की गई है।
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Ved-merge.jpg|right|100px|वेद]][[वेद]] 'पौरुषेय' (मानवनिर्मित) है या 'अपौरुषेय' (ईश्वरप्रणीत)। वेद का स्वरूप क्या है? इस महत्त्वपूर्ण प्रश्न का स्पष्ट उत्तर [[ऋग्वेद]] में इस प्रकार है- 'वेद' परमेश्वर के मुख से निकला हुआ 'परावाक' है, वह 'अनादि' एवं 'नित्य' कहा गया है। वह अपौरुषेय ही है।' सारांश यह कि वेद परमेश्वर का नि:श्वास है, अत: परमेश्वर द्वारा ही निर्मित है। [[वेद]] से ही समस्त जगत का निर्माण हुआ है। इसीलिये वेद को अपौरुषेय कहा गया है। [[सायणाचार्य]] के इन विचारों का समर्थन पाश्चात्य वेद विद्वान प्रो. विल्सन, प्रो. मैक्समूलर आदि ने अपने पुस्तकों में किया है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वेद]]
{राष्ट्र एवं राजा शब्द का उल्लेख सर्वप्रथम कब हुआ?
|type="()"}
-सैन्धव काल में
-ऋग्वैदिक काल में
+उत्तरवैदिक काल में
-[[महाकाव्य]] में
{[[आर्य|आर्यों]] के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?
{[[आर्य|आर्यों]] के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?
|type="()"}
|type="()"}
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+मध्य [[एशिया]] में [[बैक्ट्रिया]]
+मध्य [[एशिया]] में [[बैक्ट्रिया]]
-[[भारत]] में [[सप्त सिंघव]] प्रदेश
-[[भारत]] में [[सप्त सिंघव]] प्रदेश
-मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र
-मध्य एशिया का [[पामीर|पामीर क्षेत्र]]
||[[चित्र:Asia-Map.gif|right|100px|मानचित्र, एशिया महाद्वीप]]एशियाई महाद्वीप [[भूमध्य सागर]], अंध सागर, आर्कटिक महासागर, [[प्रशांत महासागर]] और [[हिन्द महासागर]] से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत और यूराल पर्वत प्राकृतिक रूप से [[एशिया]] को [[यूरोप]] से अलग करते हैं। एशिया आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा [[महाद्वीप]] है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएँ यूरोप से मिलती हैं। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी 'यूरेशिया' भी कहा जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एशिया]]
||[[चित्र:Asia-Map.gif|right|100px|मानचित्र, एशिया महाद्वीप]]एशियाई महाद्वीप [[भूमध्य सागर]], अंध सागर, [[आर्कटिक महासागर]], [[प्रशांत महासागर]] और [[हिन्द महासागर]] से घिरा हुआ है। काकेशस पर्वत और [[यूराल पर्वत]] प्राकृतिक रूप से [[एशिया]] को [[यूरोप]] से अलग करते हैं। एशिया आकार और जनसंख्या दोनों ही दृष्टि से विश्व का सबसे बड़ा [[महाद्वीप]] है, जो उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित है। पश्चिम में इसकी सीमाएँ यूरोप से मिलती हैं। एशिया और यूरोप को मिलाकर कभी-कभी 'यूरेशिया' भी कहा जाता है। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[एशिया]]
||[[बैक्ट्रिया]] विशाल सीरियन साम्राज्य का एक प्रान्त था और वहाँ का शासन करने के लिए सीरियन सम्राटों की ओर से [[क्षत्रप|क्षत्रपों]] की नियुक्ति की जाती थी। इस प्रदेश की आबादी में 'ग्रीक' ([[यवन]]) लोगों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। 210 ई. पू. के लगभग विशाल [[मौर्य साम्राज्य]] की शक्ति क्षीण हो गई और [[कलिंग]], [[आन्ध्र प्रदेश]] आदि अनेक देश उसकी अधीनता से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गए थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बैक्ट्रिया]]
||[[बैक्ट्रिया]] विशाल सीरियन साम्राज्य का एक प्रान्त था और वहाँ का शासन करने के लिए सीरियन सम्राटों की ओर से [[क्षत्रप|क्षत्रपों]] की नियुक्ति की जाती थी। इस प्रदेश की आबादी में 'ग्रीक' ([[यवन]]) लोगों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। 210 ई. पू. के लगभग विशाल [[मौर्य साम्राज्य]] की शक्ति क्षीण हो गई और [[कलिंग]], [[आन्ध्र प्रदेश]] आदि अनेक देश उसकी अधीनता से मुक्त होकर स्वतंत्र हो गए थे। - अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बैक्ट्रिया]]


{[[भागवत धर्म]] का प्रधान [[ग्रंथ]] निम्न में से कौन-सा था?
{[[भागवत धर्म]] का प्रधान [[ग्रंथ]] निम्न में से कौन-सा था?
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-[[महाभारत]]
-[[महाभारत]]
-उपर्युक्त सभी
-उपर्युक्त सभी
{[[जैन धर्म|जैन मत]] का सर्वाधिक प्रचार-प्रसार किस समुदाय में हुआ?
|type="()"}
-शासक वर्ग
-किसान वर्ग
+व्यापारी वर्ग
-शिल्पी वर्ग
{[[जैन धर्म]] 'श्वेताम्बर' एवं 'दिगम्बर' सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?
|type="()"}
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य]] के समय में
-[[अशोक]] के समय में
-[[कनिष्क]] के समय में
-उपर्युक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Chandragupt-Maurya-Stamp.jpg|right|100px|चन्द्रगुप्त मौर्य]][[मेगस्थनीज़]] ने लिखा है कि चन्द्रगुप्त वन में रहने वाले तपस्वियों से परामर्श करता था और उन्हें [[देवता|देवताओं]] की [[पूजा]] के लिए नियुक्त करता था। वर्ष में एक बार विद्वानों की सभा बुलाई जाती थी, ताकि वे जनहित के लिए उचित परामर्श दे सकें। दार्शनिकों से सम्पर्क रखना [[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]] की जिज्ञासु प्रवृत्ति का सूचक है। [[जैन]] अनुयायियों के अनुसार जीवन के अन्तिम चरण में चन्द्रगुप्त ने [[जैन धर्म]] स्वीकार कर लिया। कहा जाता है कि जब [[मगध]] में 12 वर्ष का अकाल पड़ा तो चन्द्रगुप्त राज्य त्यागकर [[जैन]] आचार्य भद्रबाहु के साथ श्रवण बेल्गोला, [[मैसूर]] के निकट, चला गया और एक सच्चे जैन भिक्षु की भाँति उसने निराहार समाधिस्थ होकर प्राणत्याग किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]


{[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
{[[जैन धर्म]] के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
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-[[जैन धर्म]] ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है।
-[[जैन धर्म]] ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है।


{[[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का पिता' किसने कहा था?
{[[बाल गंगाधर तिलक]] को 'आधुनिक भारत का निर्माता' किसने कहा था?
|type="()"}
|type="()"}
-[[लॉर्ड कर्ज़न]]
-[[सुभाष चंद्र बोस]]
-विंसेंट स्मिथ
-[[जवाहरलाल नेहरू]]
+वेलेंटाइल शिरॉल
+[[महात्मा गाँधी]]
-हेनरी कॉटन
-[[सरदार पटेल]]
||वेलेंटाइल शिरॉल ने [[बाल गंगाधर तिलक]] को 'भारतीय असंतोष का जनक' कहा।
|| [[बाल गंगाधर तिलक]] को श्रद्धांजलि देते हुए [[महात्मा गाँधी]] ने उन्हें 'आधुनिक भारत का निर्माता' और [[जवाहरलाल नेहरू|नेहरू]] जी ने 'भारतीय क्रांति के जनक' की उपाधि दी थी।


{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व '[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]]' का कमाण्डर कौन था?
{[[सुभाषचन्द्र बोस]] से पूर्व '[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]]' का कमाण्डर कौन था?
|type="()"}
|type="()"}
-ग्यानी प्रीतम सिंह
-ज्ञानी प्रीतम सिंह
+कैप्टन मोहन सिंह
+[[कैप्टन मोहन सिंह]]
-मेजर फुजीहारा
-मेजर फुजीहारा
-कैप्टन सूरज मल
-कैप्टन सूरज मल
 
||'कैप्टन मोहन सिंह' का '[[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]]' में बहुत ही महत्त्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने '[[आज़ाद हिन्द फ़ौज]]' की स्थापना [[15 दिसम्बर]], [[1941]] ई. में की थी। बाद में इस फ़ौज का नेतृत्व [[सुभाषचन्द्र बोस]] को [[21 अक्टूबर]], [[1943]] ई. को सौंपा गया। फ़ौज के [[तिरंगा|तिरंगे झण्डे]] के बीच में दहाडते हुआ [[शेर]] बनाया गया था, जो फ़ौज की वीरता का प्रतीक था। 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' की तीन ब्रिगेड थीं, जिनका नाम- 'सुभाष ब्रिगेड', 'गांधी ब्रिगेड' और 'जवाहर ब्रिगेड' था। - अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कैप्टन मोहन सिंह]]
{[[ऋग्वेद]] में 'निष्क' शब्द का प्रयोग किस [[आभूषण]] के लिए किया गया है?
|type="()"}
-कान का बुन्दा
-माथे का टीका
+गले का हार
-हाथ का कंगन
 
{[[अथर्ववेद]] में किन दो संस्थाओं को [[प्रजापति]] की दो पुत्रियाँ कहा गया है?
|type="()"}
-पंचायत एवं ग्राम सभा
-समिति एवं विरथ
+सभा एवं समिति
-सभा एवं विश
 
{[[विशाखदत्त]] के [[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]] में वर्णित नाम 'चन्द्रसिरी' (चन्द्र श्री) के रूप में किस राजा की पहचान की गई है?
|type="()"}
-[[अशोक|अशोक महान]]
+[[चन्द्रगुप्त मौर्य|चन्द्रगुप्त]]
-[[बिन्दुसार]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[विशाखदत्त]] के नाटक '[[मुद्राराक्षस ग्रंथ|मुद्राराक्षस]]' में चन्द्रगुप्त को नंदपुत्र न कहकर 'मौर्यपुत्र' कहा गया है। फिर भी उसे 'नंदवंश की सन्तान' कहा गया है, क्योंकि वह सर्वार्थसिद्धि के पुत्र 'मौर्य' का बेटा था और सर्वार्थसिद्धि नौ नंदों का [[पिता]] था और स्वंय [[नंद वंश]] की सन्तान था। इस बूढ़े राजा को भी 'नंद' कहा गया है। नाटक में दिखाया गया है कि राक्षस के परामर्श से वह पाटलिपुत्र छोड़कर वन में भाग गया था, क्योंकि [[चन्द्रगुप्त मौर्य]] तथा [[चाणक्य]] ने एक-एक करके उसके सभी पुत्रों (नौ नंदों को) मरवा डाला था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
 
{निम्नलिखित में से कौन-सा प्रांत [[मौर्य साम्राज्य]] से बाहर था?
|type="()"}
-[[कलिंग]]
-[[सौराष्ट्र]]
-[[कश्मीर]]
+[[असम]]
||[[चित्र:View-Of-Assam.jpg|right|120px|चाय बाग़ान, असम]]प्राचीन समय में [[असम]] 'प्राग्ज्योतिष' अर्थात 'पूर्वी ज्योतिष का स्थान' कहलाता था। कालान्तर में इसका नाम '[[कामरूप]]' पड़ गया। कामरूप राज्य का सबसे पुराना उदाहरण [[इलाहाबाद]] में [[समुद्रगुप्त]] के [[शिलालेख]] से मिलता है। इस शिलालेख में कामरूप का विवरण ऐसे सीमावर्ती देश के रूप में मिलता है, जो [[गुप्त साम्राज्य]] के अधीन था और गुप्त साम्राज्य के साथ इस राज्य के मैत्रीपूर्ण संबंध थे। [[चीन]] का विद्वान यात्री [[ह्वेनसांग]] लगभग 743 ईस्वी में राजा कुमारभास्कर वर्मन के निमंत्रण पर कामरूप में आया। ह्वेनसांग ने कामरूप का उल्लेख 'कामोलुपा' के रूप में किया है। 11वीं शताब्दी के अरब इतिहासकार अलबेरूनी की पुस्तक में भी 'कामरूप' का विवरण प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चन्द्रगुप्त मौर्य]]
 
{'अवतारवाद' का प्रथम उल्लेख निम्न में से किसमें मिलता है?
|type="()"}
-[[महाभारत]]
-[[रामायण]]
+[[गीता|भगवदगीता]]
-[[विष्णु पुराण]]
</quiz>
</quiz>
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{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
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{{प्रचार}}
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
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[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
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{{Review-G}}

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सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान


इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश

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1 आर्यों के मूल निवास स्थान के बारे में सर्वाधिक मान्य मत कौन-सा है?

दक्षिणी रूस
मध्य एशिया में बैक्ट्रिया
भारत में सप्त सिंघव प्रदेश
मध्य एशिया का पामीर क्षेत्र

2 भागवत धर्म का प्रधान ग्रंथ निम्न में से कौन-सा था?

श्रीमदभागवदगीता
रामायण
महाभारत
उपर्युक्त सभी

3 जैन धर्म के विषय में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?

जैन धर्म में देवताओं का अस्तित्व स्वीकार किया गया है।
वर्ण व्यवस्था की निन्दा की गई है।
पूर्व जन्म में अर्जित पुण्य और पाप के आधार पर मनुष्य का जन्म उच्च या निम्न कुल में होता है।
जैन धर्म ने अपने को स्पष्टत: ब्राह्मण धर्म से अलग नहीं किया है।

5 सुभाषचन्द्र बोस से पूर्व 'आज़ाद हिन्द फ़ौज' का कमाण्डर कौन था?

ज्ञानी प्रीतम सिंह
कैप्टन मोहन सिंह
मेजर फुजीहारा
कैप्टन सूरज मल

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