"इतिहास सामान्य ज्ञान 41": अवतरणों में अंतर
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-[[गुरु अर्जुन देव]] | -[[गुरु अर्जुन देव]] | ||
-[[गुरु गोविंद सिंह]] | -[[गुरु गोविंद सिंह]] | ||
||[[चित्र:Guru ramdas.jpg|80px|right|गुरु रामदास]] गुरु रामदास [[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु थे। इन्होंने [[सिक्ख धर्म]] के सबसे प्रमुख पद 'गुरु' को 1574 ई. में प्राप्त किया था। इस पद पर ये 1581 ई. तक बने रहे। ये सिक्खों के तीसरे [[गुरु अमरदास]] के दामाद थे। इन्होंने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर [[अमृतसर]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गुरुजी ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी। | ||[[चित्र:Guru ramdas.jpg|80px|right|गुरु रामदास]] गुरु रामदास [[सिक्ख|सिक्खों]] के चौथे गुरु थे। इन्होंने [[सिक्ख धर्म]] के सबसे प्रमुख पद 'गुरु' को 1574 ई. में प्राप्त किया था। इस पद पर ये 1581 ई. तक बने रहे। ये सिक्खों के तीसरे [[गुरु अमरदास]] के दामाद थे। इन्होंने 1577 ई. में 'अमृत सरोवर' नामक एक नये नगर की स्थापना की थी, जो आगे चलकर [[अमृतसर]] के नाम से प्रसिद्ध हुआ। गुरुजी ने 'सतोषसर' नामक पवित्र सरोवर की खुदाई भी आरंभ कराई थी। अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुरु रामदास]] | ||
{[[प्राचीन भारत]] में '[[निष्क]]' किसे कहा जाता था? | {[[प्राचीन भारत]] में '[[निष्क]]' किसे कहा जाता था? | ||
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-[[मानसिंह]] | -[[मानसिंह]] | ||
-[[सूरजमल]] | -[[सूरजमल]] | ||
||[[चित्र:Jantar-Mantar-Delhi.jpg|right|100px|जंतर-मंतर, दिल्ली]] गुलाबी शहर [[जयपुर]] के संस्थापक राजा [[सवाई जयसिंह]] ने 18वीं सदी में [[भारत]] में अलग-अलग जगहों पर पाँच अंतरिक्षीय अनुसंधान केन्द्र बनवाए थे। [[दिल्ली]] का [[जंतर मंतर दिल्ली|जंतर-मंतर]] 1724 ई. में इस कड़ी में सबसे पहले बनवाया गया था। 1734 ई. में दिल्ली की वेधशाला को आधार बनाकर जयपुर में भी [[जंतर मंतर जयपुर|जंतर मंतर]] की स्थापना की गई। बाद में [[वाराणसी]], [[मथुरा]] और [[उज्जैन]] में भी इनकी स्थापना की गई। | ||[[चित्र:Jantar-Mantar-Delhi.jpg|right|100px|जंतर-मंतर, दिल्ली]] गुलाबी शहर [[जयपुर]] के संस्थापक राजा [[सवाई जयसिंह]] ने 18वीं सदी में [[भारत]] में अलग-अलग जगहों पर पाँच अंतरिक्षीय अनुसंधान केन्द्र बनवाए थे। [[दिल्ली]] का [[जंतर मंतर दिल्ली|जंतर-मंतर]] 1724 ई. में इस कड़ी में सबसे पहले बनवाया गया था। 1734 ई. में दिल्ली की वेधशाला को आधार बनाकर जयपुर में भी [[जंतर मंतर जयपुर|जंतर मंतर]] की स्थापना की गई। बाद में [[वाराणसी]], [[मथुरा]] और [[उज्जैन]] में भी इनकी स्थापना की गई। अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सवाई जयसिंह]] | ||
{[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के साप्ताहिक 'मिरात-उल-अख़बार' को कौन प्रकाशित करता था? | {[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] के साप्ताहिक 'मिरात-उल-अख़बार' को कौन प्रकाशित करता था? | ||
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-[[सैयद अहमद ख़ाँ]] | -[[सैयद अहमद ख़ाँ]] | ||
-[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | -[[मौलाना अबुल कलाम आज़ाद|मौलाना आज़ाद]] | ||
||[[चित्र:Raja-Rammohana-Roy-2.jpg|right|80px|राजा राममोहन राय]] 1821 ई. में ताराचंद्र और भवानी चरण ने [[बंगाली भाषा]] में साप्ताहिक पत्र 'संवाद कौमुदी' निकाला, लेकिन [[दिसंबर]] 1821 ई. में भवानी चरण ने संपादक पद से त्यागपत्र दे दिया, तो उसका भार [[राजा राममोहन राय]] ने संभाला। अप्रैल 1822 ई. में राजा राममोहन राय ने [[फ़ारसी भाषा]] में एक साप्ताहिक अख़बार 'मिरात-उल-अख़बार' नाम से शुरू किया, जो [[भारत]] में पहला फ़ारसी अख़बार था। | ||[[चित्र:Raja-Rammohana-Roy-2.jpg|right|80px|राजा राममोहन राय]] 1821 ई. में ताराचंद्र और भवानी चरण ने [[बंगाली भाषा]] में साप्ताहिक पत्र 'संवाद कौमुदी' निकाला, लेकिन [[दिसंबर]] 1821 ई. में भवानी चरण ने संपादक पद से त्यागपत्र दे दिया, तो उसका भार [[राजा राममोहन राय]] ने संभाला। अप्रैल 1822 ई. में राजा राममोहन राय ने [[फ़ारसी भाषा]] में एक साप्ताहिक अख़बार 'मिरात-उल-अख़बार' नाम से शुरू किया, जो [[भारत]] में पहला फ़ारसी अख़बार था। अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[राजा राममोहन राय]] | ||
{[[बंगाल]] का 'द्वैध शासन' कब से कब तक चला था? | {[[बंगाल]] का 'द्वैध शासन' कब से कब तक चला था? |
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- इस विषय से संबंधित लेख पढ़ें:- इतिहास प्रांगण, इतिहास कोश, ऐतिहासिक स्थान कोश
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