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'''हेमचन्द्र गोस्वामी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hemchandra Goswami'', जन्म- [[8 जनवरी]], [[1872]]; मृत्यु- [[2 मई]], [[1928]]) आधुनिक असमिया साहित्य के शुरुआती दौर के भारतीय लेखक, [[कवि]], [[इतिहासकार]], शिक्षक और [[असम]] के भाषाविद थे। वह [[1920]] में तेजपुर में आयोजित 'असम साहित्य सभा' के चौथे अध्यक्ष थे। उन्होंने ब्रिटिश असम में अतिरिक्त सहायक आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी थीं। | {{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व | ||
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}}'''हेमचन्द्र गोस्वामी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Hemchandra Goswami'', जन्म- [[8 जनवरी]], [[1872]]; मृत्यु- [[2 मई]], [[1928]]) आधुनिक असमिया साहित्य के शुरुआती दौर के भारतीय लेखक, [[कवि]], [[इतिहासकार]], शिक्षक और [[असम]] के भाषाविद थे। वह [[1920]] में तेजपुर में आयोजित 'असम साहित्य सभा' के चौथे अध्यक्ष थे। उन्होंने ब्रिटिश असम में अतिरिक्त सहायक आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी थीं। [[भारत सरकार]] ने उन्हें मरणोपरान्त साल [[2023]] में [[पद्म श्री]] से सम्मानित किया है। | |||
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हेमचन्द्र गोस्वामी का जन्म 8 जनवरी, 1872 को गोलाघाट के गौरांग | हेमचन्द्र गोस्वामी का जन्म 8 जनवरी, 1872 को गोलाघाट के गौरांग क्षेत्र के एक [[ब्राह्मण]] [[परिवार]] में हुआ था। उनके [[पिता]] का नाम डोमरुधर गोस्वामी था। डोमरुधर गोस्वामी गोलाघाट गौरांग सत्र के अधिकारी होने के साथ-साथ मौजदार भी थे। लेकिन दुर्भाग्य से जब हेमचन्द्र गोस्वामी मात्र 8 वर्ष के थे तभी उनके पिता डोमरुधर गोस्वामी की मृत्यु हो गई। इसके बाद मां घनकांति देवी ने कई चुनौतियों और समस्याओं के बीच हेमचन्द्र गोस्वामी और उनके दो भाइयों का पालन-पोषण किया। | ||
महत्वपूर्ण बात यह है कि हेमचन्द्र गोस्वामी को स्कूली शिक्षा के लिए मां घनकांति देवी ने नागांव में अपने रिश्तेदार के घर भेजा था। नागांव उस समय [[असम]] का बौद्धिक हृदय था। छोटी उम्र से ही प्रतिभा का परिचय देने वाले हेमचन्द्र गोस्वामी की विभिन्न कविताएँ स्कूल में पढ़ते समय गुणविराम बरुआ द्वारा संपादित "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हुईं। [[कवि]], इतिहासकार सूर्यकुमार भुइयां ने भी "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हेमचन्द्र गोस्वामी की इन कविताओं की काफी सराहना की। | महत्वपूर्ण बात यह है कि हेमचन्द्र गोस्वामी को स्कूली शिक्षा के लिए मां घनकांति देवी ने नागांव में अपने रिश्तेदार के घर भेजा था। नागांव उस समय [[असम]] का बौद्धिक हृदय था। छोटी उम्र से ही प्रतिभा का परिचय देने वाले हेमचन्द्र गोस्वामी की विभिन्न कविताएँ स्कूल में पढ़ते समय गुणविराम बरुआ द्वारा संपादित "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हुईं। [[कवि]], इतिहासकार सूर्यकुमार भुइयां ने भी "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हेमचन्द्र गोस्वामी की इन कविताओं की काफी सराहना की। | ||
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हेमचन्द्र गोस्वामी
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पूरा नाम | हेमचन्द्र गोस्वामी |
जन्म | 8 जनवरी, 1872 |
जन्म भूमि | गोलाघाट, असम |
मृत्यु | 2 मई, 1928 |
मृत्यु स्थान | गुवाहाटी, असम |
अभिभावक | माता- घनकांति देवी पिता- डोमरुधर गोस्वामी |
कर्म भूमि | भारत |
कर्म-क्षेत्र | लेखन |
भाषा | असमिया |
पुरस्कार-उपाधि | पद्म श्री, 2023 |
प्रसिद्धि | लेखक, कवि, इतिहासकार, शिक्षक और असम के भाषाविद |
नागरिकता | भारतीय |
अन्य जानकारी | एक कवि के रूप में जाने जाने के साथ-साथ हेमचन्द्र गोस्वामी की दूसरी पहचान एक पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार के रूप में है। उन्होंने एडवर्ड गेट की प्रेरणा से असमिया संस्कृति के इतिहास पर चर्चा की। |
हेमचन्द्र गोस्वामी (अंग्रेज़ी: Hemchandra Goswami, जन्म- 8 जनवरी, 1872; मृत्यु- 2 मई, 1928) आधुनिक असमिया साहित्य के शुरुआती दौर के भारतीय लेखक, कवि, इतिहासकार, शिक्षक और असम के भाषाविद थे। वह 1920 में तेजपुर में आयोजित 'असम साहित्य सभा' के चौथे अध्यक्ष थे। उन्होंने ब्रिटिश असम में अतिरिक्त सहायक आयुक्त के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी थीं। भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरान्त साल 2023 में पद्म श्री से सम्मानित किया है।
परिचय
हेमचन्द्र गोस्वामी का जन्म 8 जनवरी, 1872 को गोलाघाट के गौरांग क्षेत्र के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम डोमरुधर गोस्वामी था। डोमरुधर गोस्वामी गोलाघाट गौरांग सत्र के अधिकारी होने के साथ-साथ मौजदार भी थे। लेकिन दुर्भाग्य से जब हेमचन्द्र गोस्वामी मात्र 8 वर्ष के थे तभी उनके पिता डोमरुधर गोस्वामी की मृत्यु हो गई। इसके बाद मां घनकांति देवी ने कई चुनौतियों और समस्याओं के बीच हेमचन्द्र गोस्वामी और उनके दो भाइयों का पालन-पोषण किया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हेमचन्द्र गोस्वामी को स्कूली शिक्षा के लिए मां घनकांति देवी ने नागांव में अपने रिश्तेदार के घर भेजा था। नागांव उस समय असम का बौद्धिक हृदय था। छोटी उम्र से ही प्रतिभा का परिचय देने वाले हेमचन्द्र गोस्वामी की विभिन्न कविताएँ स्कूल में पढ़ते समय गुणविराम बरुआ द्वारा संपादित "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हुईं। कवि, इतिहासकार सूर्यकुमार भुइयां ने भी "असम बंधु" पत्र में प्रकाशित हेमचन्द्र गोस्वामी की इन कविताओं की काफी सराहना की।
कविता संग्रह
छात्र जीवन से ही साहित्य साधना करने वाले हेमचन्द्र गोस्वामी जोनाकी युग की रोमांटिक शैली की पहली लहर के उल्लेखनीय कवियों में से एक थे। उनका पहला कविता संग्रह 1907 में प्रकाशित हुआ था। इस कविता संग्रह का नाम 'फूल साकी' है। असम बंधु, जोनाकी और उसके बाद लिखी गई कविताओं को मिलाकर 'फूल साकी' नामक कविता संग्रह प्रकाशित किया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि उनके द्वारा लिखी गई कविता 'प्रियतामा का पत्र' असमिया कविता के इतिहास में पहली सॉनेट कविता है। यह प्रियतमा पत्र कविता जोनाकी पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।
प्रियतमा की पत्र कविता इसलिए सॉनेट पेट्रार्क के पैटर्न में लिखी गई थी। उनके द्वारा लिखी गई अन्य लोकप्रिय और उल्लेखनीय कविताएँ 'काको अरु हिया निबिलाँ', 'पुवा', 'काकुती', 'बरदाइसिला' आदि हैं। हेमचन्द्र गोस्वामी की कविता 'पुवा/मॉर्निंग' ने आधुनिक कविता में एक नई शैली का निर्माण किया। महत्वपूर्ण बात यह है कि जोनाकी के दूसरे अंक में प्रकाशित यह कविता 'पुवा/मॉर्निंग' असमिया रोमांटिक युग की दूसरी कविता है।
पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार
एक कवि के रूप में जाने जाने के साथ-साथ हेमचन्द्र गोस्वामी की दूसरी पहचान एक पुरातत्ववेत्ता और इतिहासकार के रूप में है। उन्होंने एडवर्ड गेट की प्रेरणा से असमिया संस्कृति के इतिहास पर चर्चा की। असमिया साहित्य और जाति में हेमचन्द्र गोस्वामी की दो पुस्तकें "असमिया पांडुलिपि की एक वर्णनात्मक सूची" और "असमिया साहित्य की सानेकी" महत्वपूर्ण योगदान हैं। इन दोनों पुस्तकों ने असम के विभिन्न हिस्सों के साथ-साथ असम के बाहर के लोगों को असमिया भाषा और साहित्य से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुस्तक "ए डिस्क्रिप्टिव कैटलॉग ऑफ असमिया पांडुलिपि" में हेमचन्द्र गोस्वामी ने अहोम और संस्कृत भाषा की असमिया में 1334 सांची पाट पुस्तकों/चित्रात्मक पुस्तकों का अध्ययन किया और इसमें 233 पुस्तकों और पांडुलिपियों की एक कथा सूची शामिल है। यह पुस्तक पहली बार 1930 में प्रकाशित हुई थी।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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